कर्नाटक के साइबर बदमाश पटना में कर रहे थे ठगी का गोरखधंधा, चार गिरफ्तार
कर्नाटक के बेंगलुरु के साइबर बदमाश पटना में रह कर ठगी का गोरखधंधा कर रहे थे. इसका खुलासा उस समय हुआ जब रामकृष्णा नगर थाने की पुलिस ने जकरियापुर स्थित एक मकान में छापेमारी की.
संवाददाता, पटना कर्नाटक के बेंगलुरु के साइबर बदमाश पटना में रह कर ठगी का गोरखधंधा कर रहे थे. इसका खुलासा उस समय हुआ जब रामकृष्णा नगर थाने की पुलिस ने जकरियापुर स्थित एक मकान में छापेमारी की. इस दौरान चार साइबर बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया गया. पकड़े गये बदमाशों में नालंदा के अस्थावां के चिंटू कुमार, बेंगलुरू के रॉबिन इरिफ डिकोस्टा, मधुसूदन रेड्डी और गोविंद राज हैं. इन लोगों के पास से 13 मोबाइल फोन और एक पिट्ठू बैग बरामद किया गया है. बदमाशों से पूछताछ में यह बात सामने आयी है कि गिरोह का सरगना नालंदा निवासी चुन्नू है. इन बदमाशों को केवल सरगना के नाम की ही जानकारी है. लेकिन वह मूल रूप से कहां का रहने वाला है, जानकारी नहीं है. मधुसूदन ने इंजीनियरिंग की है और रॉबिन व गोविंद राज प्लस टू पास है. सरगना ने रखा था नौकरी पर, देता था 30 हजार वेतन सरगना चुन्नु साइबर ठगी का मास्टरमाइंड है. इसने बेंगलुरू के रॉबिन इरिफ डिकोस्टा, मधुसूदन रेड्डी और गोविंद राज को नौकरी पर रखा था और 30 हजार रुपया वेतन देता था. साथ ही कमीशन भी देता था. सिटी एसपी पूर्वी परिचय कुमार ने बताया कि इन लोगों ने जकरियापुर इलाके में फ्लैट किराये पर लिया था और साइबर ठगी का धंधा कर रहे थे. चार को गिरफ्तार किया गया है. सरगना व अन्य के संबंध में जानकारी मिली है, उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी जारी है. लॉटरी लगने का देते थे झांसा, दक्षिण भारत के लोगों को बनाते थे ठगी का शिकार यह गिरोह दक्षिण भारत के लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे. उन्हें वे लॉटरी निकलने का झांसा देते थे और ठगी का शिकार बनाते थे. लोगों का नंबर चुन्नू के माध्यम से इन लोगों तक आता था और बेंगलुरू के रहने वाले तीनों उन लोगों से उनकी ही भाषा में बात करते थे. गिरोह लोगों को व्हाट्सएप पर मैसेज भेजता था कि आपका नंबर विजेता हुआ है और लाखों रुपया इनाम में मिलेगा. साथ ही लॉटरी निकलने का फर्जी फर्जी इनवॉइस भी भेज देते थे. इसके बाद जिन्हें लॉटरी की रकम लेने का लालच होता था, उनसे रजिस्ट्रेशन, जीएसटी आदि के नाम पर 25-50 हजार रुपये की ठगी कर लेते थे. इसके बाद अपना मोबाइल नंबर बंद कर देते थे. पुलिस ने उनके मोबाइल फोन व खाता की जांच की तो यह बात सामने आयी है कि गिरोह हर माह कम से कम 50-60 लाख की ठगी करता था.
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