पटना पुस्तक मेले में हर दिन हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम, संडे को पाठकों से गुलजार रहा मेला

पटना पुस्तक मेले में रविवार को चर्चित संस्कृति कर्मी व सामाजिक कार्यकर्ता राणा बनर्जी पर केंद्रित पुस्तक "फिरे ऐशो राणा दा ..." का विमोचन हुआ. यह किताब राणा बनर्जी की स्मृति में लिखी गयी है. इस किताब में उनको जानने वाले और उनके साथ काम करने वाले लोगों के लेख है

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2022 10:35 PM

पटना पुस्तक मेले में रविवार को पाठकों का जमावड़ा रहा. साहित्य में प्रेमचदं से लेकर चेतन भगत तक की किताबें खरीदी. वहीं महापुरुषों की जीवनी पर आधारित पुस्तकों में जवाहर लाल नेहरू, भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं. इन पर लिखी किताबें पुस्तक मेले में खूब बिक रही हैं. साहित्य में पुराने लेखकों के उपन्यास, कहानियां और कविताएं आज भी सदाबहार बनी हुई हैं. मेले में प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी किताबें भी खूब बिक रही हैं. मेले में रोजाना नुक्कड़ नाटक, साहित्यिक परिचर्चा, पुस्तकों का विमोचन जैसे कार्यक्रम हो रहे हैं. पुस्तक मेला 13 दिसंबर तक चलेगा. मेले में आइकार्ड के साथ छात्रों की इंट्री नि:शुल्क है.

राणा बनर्जी पर लिखी पुस्तक का हुआ विमोचन

पटना पुस्तक मेले में रविवार को चर्चित संस्कृति कर्मी व सामाजिक कार्यकर्ता राणा बनर्जी पर केंद्रित पुस्तक “फिरे ऐशो राणा दा …” का विमोचन हुआ. यह किताब राणा बनर्जी की स्मृति में लिखी गयी है. इस किताब में उनको जानने वाले और उनके साथ काम करने वाले लोगों के लेख है. इसका संपादन अनीश अंकुर ने किया है. इस किताब में राणा जी पर लिखे गए लेख और कविताएं हैं. साथ ही उनके द्वारा लिखी हुई कविताएं भी है. मौके पर विद्युत पाल, निवेदिता झा, अनिल अंशुमन , नंदकिशोर आदि ने राणा बनर्जी से जुड़े अपने संस्मरणों को साझा किया.

एक लेखक की नरक यात्रा का हुआ लोकार्पण

चर्चित व्यंग्यकार डॉ रामरेखा की पुस्तक एक लेखक की नरक यात्रा का विमोचन रविवार को पटना पुस्तक मेला में हुआ. विमोचनपुस्तक मेला के संयोजक अमित झा की उपस्थिति में साहित्यकार रत्नेश्वर एवं पत्रकार सुजीत कुमार झा ने किया. इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि प्रकाशन संस्था नयी दिल्ली से प्रकाशित एक लेखक की नरक यात्रा हरिशंकर परसाई के बाद काफी महत्वपूर्ण रचना है. एक चिकित्सक होने के नाते डॉ रामरेखा मरीज के इलाज के साथ समाज में मौजूद विद्रूपता पर जबरदस्त कटाक्षों से छा गये हैं. वरिष्ठ साहित्यकार रामधारी सिंह दिवाकर ने कहा कि शरद जोशी और हरिशंकर परसाई की रचनाओं में हास्य व व्यंग्य की संयुति देखी जाती थीं. उनकी परवर्ती पीढ़ी में डा ज्ञान चतुर्वेदी और डॉ रामरेखा की व्यंग्य शैली में इसे बखूबी महसूस किया जा सकता है.

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स्त्री आजादी को बताते नुक्कड़ नाटक की हुई प्रस्तुति

मेले में रविवार को पटना वीमेंस कॉलेज की छात्राओं द्वारा स्त्री आजादी नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गयी. कॉलेज की शिक्षिका ईनाक्षी डे विश्वास के द्वारा लिखित और निर्देशित था यह नाटक कमला भसीन और पुष्यमित्र उपाध्याय की कविताओं पर आधारित था. इसमें छात्राएं अवनी आनंद , प्रीति रानी, शैलजा झा ,शिप्रा , श्रृष्टि , अदिति, मीमांसा ,पिंकी , शालु, अपर्णा, फातमा , मैथिली, खुशी, दिविशा, बुशरा आदि के द्वारा नारी सशक्तिकारण पर बेहतरीन प्रस्तुति दी गयी.

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