नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट: बिहार में पिता के जीवित रहते 24.7 प्रतिशत बच्चे रहते हैं मां के साथ

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 वर्ष 2019-21 की जारी रिपोर्ट में अनाथपन की स्थिति के आंकड़े जारी किये गये हैं. इसमें बताया गया है कि बिहार में माता-पिता के साथ 68 प्रतिशत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे रहते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2022 6:00 AM

पटना. राष्ट्रीय स्तर पर 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अनाथपन को लेकर कराये गये सर्वे दिलचस्प है. राष्ट्रीय स्तर पर 18 वर्ष से कम उम्र के 82 प्रतिशत बच्चे अपने माता पिता के साथ ही रहते हैं. बिहार में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अपने माता पिता के साथ रहने का प्रतिशत कम है. बिहार में 18 वर्ष से कम उम्र के 68 प्रतिशत बच्चे ही अपने माता पिता के साथ रहते हैं. अनाथपन की स्थिति को देखा जाये तो राष्ट्रीय स्तर पर तीन प्रतिशत बच्चे अनाथपन के साथ रह रहे हैं जबकि बिहार में 3.6 प्रतिशत बच्चे अनाथपन के साथ रहते हैं. अनाथपन वाले बच्चे माता-पिता के जीवित रहने के बाद भी किसी के साथ नहीं रहते हैं.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 ने जारी की रिपोर्ट 

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 वर्ष 2019-21 की जारी रिपोर्ट में अनाथपन की स्थिति के आंकड़े जारी किये गये हैं. इसमें बताया गया है कि बिहार में माता-पिता के साथ 68 प्रतिशत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे तो रहते हैं. इसके साथ ही वैसे बच्चों की संख्या सर्वाधिक हैं जिनके माता-पिता जीवित रहने के बाद भी वे अपनी माता के साथ रह रहे हैं. बिहार में सिर्फ अपनी मां के साथ रहनेवाले 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की संख्या 26.9 प्रतिशत हैं. इसमें 24.7 प्रतिशत वैसे बच्चे हैं जिनके पिता जीवित हैं जबकि सिर्फ 2.2 प्रतिशत वैसे बच्चे हैं जिनके पिता जीवित नहीं हैं.

पिता के साथ रहने की संख्या बेहद कम

बिहार में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सिर्फ पिता के साथ रहने की संख्या बेहद कम हैं. बिहार में सिर्फ 1.5 प्रतिशत बच्चे ही अपने पिता के साथ रहते हैं. इसमें आधे प्रतिशत बच्चों की मां जीवित हैं जबकि 1.1 प्रतिशत बच्चों की मां के निधन के बाद भी पिता के साथ रह रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर माताओं के साथ सिर्फ 13.4 प्रतिशत बच्चे ही रहते हैं. इसमें पिता के जीवित रहने के बाद भी 10.6 प्रतिशत बच्चे अपनी मां के सात रह रहे हैं जबकि 2.8 प्रतिशत बच्चों के पिता की मौत होने के बाद मां के साथ रहना पड़ रहा है.

Next Article

Exit mobile version