Chhath Puja: छठ पूजा की तैयारी में अड़चन, घटता गंगा जलस्तर और घाटों पर कीचड़ से जूझती सफाई
Chhath Puja: बंशी घाट पर मिट्टी और पूजा सामग्री का अंबार, कदम घाट पर पीछे हटता गंगा का पानी, कृष्णा घाट पर अभी तैयारी शुरू भी नहीं हुई… लोकआस्था के महापर्व छठ में अब सिर्फ 13 दिन बचे हैं, लेकिन पटना के गंगा घाटों की जमीन अभी भी दलदल में धंसी है.
Chhath Puja : लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार में तैयारियों की गहमागहमी तेज हो चुकी है. पटना के गंगा घाटों की जमीन पर हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है. गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट से घाटों पर कीचड़ और मिट्टी जम गई है, नगर निगम और जिला प्रशासन के सामने घाटों को व्रतियों के अनुकूल बनाने की चुनौती खड़ी है. बंशी घाट से लेकर दीघा और दानापुर तक, कहीं दीवारों पर रंग चढ़ रहा है तो कहीं नावों से बालू ढोकर दलदल समतल किया जा रहा है. प्रशासनिक निरीक्षण जारी है, लेकिन वक्त तेजी से फिसल रहा है.
बंशी घाट : गंदगी और कीचड़ का अंबार, मिट्टी हटाना बड़ी चुनौती
बंशी घाट पर छठव्रतियों के लिए तैयारियां सबसे मुश्किल दिख रही हैं. यहां पूजा के विसर्जित सामान, प्लास्टिक और मिट्टी के बर्तनों का ढेर लगा है. गंगा का जलस्तर नीचे आने से घाट पर मोटी परत में कीचड़ जम गया है. नगर निगम की टीम ने ब्लीचिंग पाउडर छिड़कना शुरू कर दिया है, लेकिन असली काम अभी बाकी है — मिट्टी हटाकर घाट को समतल करना और बालू बिछाना. मजदूरों का कहना है कि जलस्तर में लगातार गिरावट के कारण घाट दलदल में बदलता जा रहा है, जिससे सफाई और निर्माण कार्य दोगुनी मेहनत मांग रहा है.
कदम घाट : पीछे हटता पानी, बढ़ती दलदल की परत
कदम घाट पर गंगा का पानी अब सीढ़ियों से नीचे जा रहा है. जैसे-जैसे पानी घट रहा है, सीढ़ियों पर जमी मिट्टी और दलदल का स्वरूप सामने आ रहा है. बालू के बोरे भर कर यहां बेरिकेडिंग की योजना है ताकि पानी की गहराई कमर भर तक सीमित रहे. घाट पर काम कर रहे लोगों का कहना है कि दलदल को हटाने में समय लगेगा और पानी घटने की रफ्तार पर ही बाकी तैयारियों की रफ्तार निर्भर है.
कृष्णा घाट : पेंटिंग शुरू, सफाई अधूरी
कृष्णा घाट पर फिलहाल दीवारों को रंगने और रेलिंग को काला रंग चढ़ाने का काम चल रहा है. गंगा का पानी अभी सीढ़ियों तक पहुंचा हुआ है, इसलिए घाट की मूलभूत सफाई और समतलीकरण का कार्य शुरू नहीं हो सका है. अगले कुछ दिनों में यहां दीवारों पर चित्रकला के जरिए छठ की महत्ता को दिखाने की योजना है, लेकिन वास्तविक सफाई और निर्माण कार्य का इंतजार गंगा के घटते जलस्तर पर टिका है.
दीघा से कलेक्ट्रेट घाट तक प्रशासन का निरीक्षण, बैरिकेडिंग के आदेश
रविवार को प्रमंडलीय आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर ने दीघा पाटीपुल घाट से लेकर कलेक्ट्रेट घाट तक पैदल निरीक्षण किया. उन्होंने घाटों पर कटाव, ढलान और दलदल की स्थिति देखी और अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए. सभी घाटों पर पांच फुट की गहराई वाले हिस्सों में बैरिकेडिंग करने, एप्रोच रोड की मरम्मत, वाच टावर बनाने और बाधाएं हटाने को कहा गया. निरीक्षण में डीडीसी, एसडीओ, एडीएम आपदा प्रबंधन और जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता भी शामिल थे.
नावों से आ रही बालू, दलदल को समतल करने में लगी टीमें
पटना सिटी के महाराज घाट, टेढ़ी घाट और हीरानंद घाट समेत कई जगहों पर दलदल समतल करने के लिए गंगा पार से नावों के जरिए बालू लायी जा रही है. हर घाट पर 20 से 25 नाव बालू बिछायी जाएगी. जेसीबी मशीनों से घाटों को समतल किया जा रहा है ताकि व्रतियों को जल में उतरते वक्त दलदल में पैर न धंसें. नगर निगम की टीम बांस की चाली भी बिछा रही है ताकि कीचड़ में स्थिरता आये और अस्थायी रास्ते मजबूत बन सकें.
दानापुर : 32 घाटों पर घटते जलस्तर से तैयारी में अड़चन
दानापुर नगर परिषद क्षेत्र में 32 पारंपरिक छठ घाट हैं, जहां लाखों श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस साल गंगा के जलस्तर में गिरावट के कारण घाटों पर कीचड़ और गंदगी की परत जम गई है. परिषद ने सफाई, रोशनी, शौचालय, चेंजिंग रूम, बैरिकेडिंग और पेयजल जैसी सुविधाओं पर डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक खर्च का लक्ष्य रखा है. परिषद के ईओ पंकज कुमार के अनुसार, जलस्तर में गिरावट को देखते हुए “वेट एंड वॉच” की स्थिति है. जैसे-जैसे गंगा पीछे हट रही है, घाटों की असली स्थिति सामने आ रही है और काम का दायरा बढ़ता जा रहा है.
समय कम, काम ज्यादा: छठ से पहले पूरी करनी होगी तैयारी
13 दिन बाद 25 अक्टूबर को नहाय-खाय से छठ महापर्व की शुरुआत होनी है. गंगा घाटों की मौजूदा स्थिति बताती है कि सफाई और समतलीकरण का काम समय पर पूरा करने के लिए प्रशासन को चौबीसों घंटे काम करना होगा. एसडीओ सत्यम सहाय ने घाटों पर चाली बिछाने, चेंजिंग रूम, वाच टावर, लाइटिंग और अतिक्रमण हटाने जैसे कार्यों को छठ से पहले हर हाल में पूरा करने का निर्देश दिया है.
छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, जनआस्था का ऐसा समुद्र है जो हर घाट पर उमड़ता है. लेकिन इस आस्था के सागर को सुरक्षित और व्यवस्थित माहौल देने की जिम्मेदारी प्रशासन और नगर निकायों पर है. इस बार गंगा का घटता जलस्तर प्रशासन के लिए एक नई चुनौती बनकर सामने आया है — जहां समय कम है, जमीन दलदल में फंसी है और लाखों श्रद्धालुओं की निगाहें तैयारियों पर टिकी हैं.
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