Champaran Satyagraha Museum : चंपारण में बनेगा सत्याग्रह संग्रहालय, संरक्षित होगा गया बाबू का मकान

Champaran Satyagraha Museum : 1917 का वह साल जब महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह के जरिए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी, अब एक संग्रहालय के रूप में जीवंत होने जा रहा है.

By Pratyush Prashant | August 31, 2025 11:48 AM

Champaran Satyagraha Museum : बिहार सरकार ने गांधीजी के ऐतिहासिक प्रवास स्थल को संरक्षित कर उसे “चंपारण सत्याग्रह संग्रहालय” के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है. यह स्थल मुजफ्फरपुर का वही रमना स्थित गया बाबू का मकान है, जहां महात्मा गांधी 10 अप्रैल 1917 को ठहरे थे और यहीं से किसानों के शोषण के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनी थी.

कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अधीन बनने वाला यह संग्रहालय आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता संग्राम की उस ऐतिहासिक विरासत से जोड़ने का केंद्र बनेगा.

गया बाबू के मकान में बनी थी चंपारण सत्याग्रह की योजना

1917 में जब महात्मा गांधी पहली बार बिहार आए, तब उनके कदम मुजफ्फरपुर की धरती पर पड़े थे. गया बाबू के मकान में ठहरने के दौरान गांधीजी ने किसानों की पीड़ा को नजदीक से समझा और तीन कठिया प्रथा जैसी अन्यायपूर्ण व्यवस्थाओं के खिलाफ संघर्ष की रूपरेखा तैयार की. यही प्रवास चंपारण सत्याग्रह की नींव बना, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन को सत्य और अहिंसा की शक्ति से नई ऊर्जा दी.

गांधीजी 15 अप्रैल को मुजफ्फरपुर से चंपारण रवाना हुए और किसानों के शोषण के खिलाफ लड़ाई छेड़ी. यह आंदोलन न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बना. इस दौरान गांधीजी ने लंगट सिंह कॉलेज का भी दौरा किया था, जहां आचार्य जेबी कृपलानी प्रोफेसर थे. कृपलानी के आमंत्रण पर ही गांधी मुजफ्फरपुर आए थे और यहीं उनकी मुलाकात किसान नेता राजकुमार शुक्ल से हुई, जिन्होंने चंपारण के किसानों की दयनीय हालत का विवरण दिया.

संरक्षित किया जाएंगा मुजफ्फरपुर के सांस्कृतिक धरोहरों को

आज 100 साल बाद, बिहार सरकार ने तय किया है कि इस ऐतिहासिक स्थल को संग्रहालय में बदलकर न केवल इतिहास को सहेजा जाएगा बल्कि इसे सांस्कृतिक पर्यटन का नया आयाम भी दिया जाएगा. मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने हाल ही में स्थल निरीक्षण किया और भवन को संग्रहालय का स्वरूप देने के निर्देश दिए. निरीक्षण के दौरान संग्रहालय निदेशालय के अपर निदेशक डॉ. विमल तिवारी भी मौजूद थे.

जिलाधिकारी ने भवन के जीर्णोद्धार पर विशेष जोर दिया ताकि इसका ऐतिहासिक स्वरूप बरकरार रहे. उन्होंने कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया कि भवन का नवीनीकरण आकर्षक और ऐतिहासिक महत्व के अनुरूप किया जाए तथा शीघ्र प्राक्कलन प्रस्तुत किया जाए. इस प्रक्रिया में स्थानीय प्रशासन की कई इकाइयों को शामिल किया गया है.

सिर्फ गया बाबू का मकान ही नहीं, बल्कि मुजफ्फरपुर के अन्य सांस्कृतिक धरोहरों को भी संरक्षित करने की योजना बन रही है. निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने मिठनपुरा स्थित रामचंद्र शाही संग्रहालय का भी दौरा किया. यहां रखी गई ऐतिहासिक पुरावशेषों और कलाकृतियों को देखकर उन्होंने सराहना की, लेकिन साथ ही संग्रहालय भवन की जर्जर स्थिति पर चिंता भी जताई. उन्होंने एलएईओ डिवीजन-1 को भवन के नवीनीकरण के लिए विस्तृत योजना तैयार करने का निर्देश दिया.

मुजफ्फरपुर बनेगा सांस्कृतिक पर्यटन स्थल

बिहार सरकार की यह पहल केवल एक भवन का संरक्षण भर नहीं है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अमूल्य धरोहर को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास है. चंपारण सत्याग्रह संग्रहालय बनने के बाद यह स्थान न केवल गांधीजी के संघर्ष की याद दिलाएगा, बल्कि यह मुजफ्फरपुर को सांस्कृतिक पर्यटन की दृष्टि से भी नई पहचान देगा.

स्थानीय लोग भी इस योजना से उत्साहित हैं. उनका मानना है कि संग्रहालय बनने से युवाओं को इतिहास जानने और गांधीजी के सत्य-अहिंसा के सिद्धांतों को समझने का अवसर मिलेगा. साथ ही, इससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी क्योंकि पर्यटन से रोजगार और आय के नए साधन विकसित होंगे.

महात्मा गांधी का जीवन और संघर्ष केवल स्वतंत्रता की लड़ाई तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज में समानता, न्याय और शांति का संदेश दिया. मुजफ्फरपुर का यह संग्रहालय उन्हीं मूल्यों को जीवित रखने का माध्यम बनेगा.

इस परियोजना के पूरा होने पर मुजफ्फरपुर न केवल गांधीजी के ऐतिहासिक प्रवास का गवाह रहेगा, बल्कि यह भावी पीढ़ियों को यह भी याद दिलाएगा कि सत्य और अहिंसा की राह पर चलकर भी बड़े से बड़ा संघर्ष जीता जा सकता है.

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