Bihar Vidhansabha Chunav 2025:मुकेश सहनी के डिप्टी सीएम वाले दावे को राजद ने ठुकराया,अब क्या करेंगे वीआईपी प्रमुख?
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: महागठबंधन की सरकार बनने र मुकेश सहनी के डिप्टी सीएम बनने के दावे को राजद ने खारिज क दिया है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने साफ इंकार करते हुए कहा कि ऐसा कोई वादा नहीं हुआ. मुकेश सहनी की 60 सीटों की मांग ने भी महागठबंधन में टेंशन बढ़ा दिया है. वहीं, सिद्दीकी का ताजा बयान गठबंधन की एकता और सीट बंटवारे पर सवाल उठा रहा है.
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन की सरकार बनने पर डिप्टी सीएम बनने का दावा किया है. उन्होंने कहा है कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होंगे और वह स्वयं डिप्टी सीएम की भूमिका निभाएंगे.
सरकार बनी तो सहनी डिप्टी सीएम बनेंगे—ऐसा तय नहीं: अब्दुल बारी सिद्दीकी
राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने मोतिहारी में एक कार्यक्रम के दौरान इस दावे को खारिज करते हुए मुकेश सहनी की उम्मीदों को झटका दे दिया है. राजद के प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि यह कहीं भी तय नहीं हुआ है कि सरकार बनेगी तो मुकेश साहनी डिप्टी सीएम बनेंगे.
बिहार के मोतिहारी में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “कोई भी कुछ भी दावा कर सकता है, कोई कुछ भी बोल दे… क्योंकि यह लोकतंत्र है और इसमें बोलने की आजादी है, लेकिन अभी तक कुछ भी किसी भी पद को लेकर तय नहीं हुआ है. गठबंधन में ऐसी कोई बात तय नहीं हुई.”
एक ओर मुकेश सहनी का दावा और दूसरी ओर राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी का यह बयान महागठबंधन के भीतर नेतृत्व और सीट बंटवारे को लेकर उभरते टेंशन की ओर भी इशारा कर रहा है.
महागठबंधन में बढ़ती खींचतान
मुकेश सहनी की महत्वाकांक्षी मांग ने महागठबंधन के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है. सहनी ने न केवल डिप्टी सीएम पद की दावेदारी की है, बल्कि अपनी पार्टी के लिए 60 सीटों की मांग भी की है. यह मांग राजद और कांग्रेस जैसे बड़े सहयोगियों के लिए असहज स्थिति पैदा कर रही है.
बिहार में 243 विधानसभा सीटों के बंटवारे में राजद पहले ही अपनी प्रमुख भूमिका सुनिश्चित करना चाहती है. ऐसे में सहनी की मांग गठबंधन की एकता को कमजोर कर सकती है. जानकारों का मानना है कि यह दावेदारी सहनी की प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा हो सकती है, ताकि वे अधिक सीटें हासिल कर सकें.
मुकेश सहनी की पार्टी का प्रभाव खासकर मछुआरा समुदाय और कुछ पिछड़ी जातियों तक सीमित है.2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने चार सीटें जीती थीं, लेकिन तब वे एनडीए के साथ थे. अब महागठबंधन में शामिल होकर सहनी अपनी सियासी जमीन मजबूत करना चाहते हैं. उनके 60 सीटों के दावे को जानकार हकीकत की जमीन से परे मानते हैं, क्योंकि महागठबंधन में छह पार्टियों का गठजोड़ है.
वहीं, अलायंस की बड़ी पार्टियां, राजद और कांग्रेस मिलकर 150 से अधिक सीटों पर दावा कर सकते हैं. ऐसे में मुकेश सहनी का यह दावा वास्तविक स्थिति से अलग है. हालांकि, उनका यह दावा गठबंधन के भीतर उनकी अपनी स्थिति को मजबूत करने और मतदाताओं में अपनी छवि को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
महागठबंधन की एकता पर सवाल
मुकेश सहनी के दावे और राजद के इंकार ने महागठबंधन की एकता पर सवाल उठा दिए हैं. बिहार में एनडीए के खिलाफ मजबूत विपक्षी गठबंधन की जरूरत है, लेकिन मुकेश सहनी की मांग और राजद का सख्त रुख आपसी विश्वास को कमजोर कर सकता है. कांग्रेस और वाम दलों की अपनी मांगें भी गठबंधन को उलझाऊ बना रही हैं.अब्दुल बारी सिद्दीकी के बयान से साफ है कि राजद नेतृत्व तेजस्वी यादव को केंद्र में रखकर रणनीति बनाना चाहता है और मुकेश सहनी जैसे छोटे सहयोगियों को सीमित भूमिका देना चाहता है.
महागठबंधन की चुनौतियां और आगे की राह
2025 के विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन को सीट बंटवारे और नेतृत्व के मुद्दों को सुलझाना होगा. सहनी की मांग को पूरी तरह नजरअंदाज करना राजद के लिए जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि वीआईपी का मछुआरा समुदाय में प्रभाव गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है.
दूसरी ओर मुकेश सहनी को अधिक महत्व देना कांग्रेस और अन्य सहयोगियों के लिए असंतोष का कारण बन सकता है. इस परिस्थिति का असर चुनावी रणनीति और गठबंधन की एकजुटता पर पड़ सकता है.
