पिता रामविलास पासवान के रास्ते पर चिराग, पढ़िए कौन लेंगे सूरजभान सिंह की जगह

दलितों के वोट बैंक के साथ रामविलास पासवान ने बिहार की राजनीति में कम वोट बैंक के बावजूद अग्रेसिव जाति भूमिहार को भी अपने साथ रखा। रामविलास के निधन के बाद भूमिहार नेता चंदन सिंह और सूरजभान सिंह चाचा पशुपति पारस के साथ चले गए. चिराग ने पिता के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने के लिए भूमिहारों के पढ़े लिखे नेता डॉ. अरुण कुमार को अपने साथ जोड़ा है.

By RajeshKumar Ojha | July 6, 2021 6:48 PM

पटना. दलितों के वोट बैंक के साथ रामविलास पासवान ने बिहार की राजनीति में कम वोट बैंक के बावजूद अग्रेसिव जाति भूमिहार को भी अपने साथ रखा। रामविलास के निधन के बाद भूमिहार नेता चंदन सिंह और सूरजभान सिंह चाचा पशुपति पारस के साथ चले गए. चिराग ने पिता के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने के लिए भूमिहारों के पढ़े लिखे नेता डॉ. अरुण कुमार को अपने साथ जोड़ा है.

उपेन्द्र कुशवाहा से अलग होने के बाद से अरुण सिंह भी अकेले पड़ गए थे. बिहार की राजनीति में फिलहार भूमिहार समाज से चार बड़े नेता के रुप में जाने जाते हैं डॉ. सी.पी. ठाकुर, गिरिराज सिंह, ललन सिंह और विजय चौधरी. अनंत सिंह को समाज का समर्थन प्राप्त है, लेकिन उनकी अलग छवि है. डॉ. अरुण कुमार की छवि साफ-सुथरी है. गांधी मैदान में एक ही मंच से उनका अंग्रेजी और हिंदी में दिया भाषण लोगों को आज भी याद है.

भूमिहारों पर चाचा भतीजे की नजर

लोजपा पारस गुट और चिराग गुट बिहार में वोट के लिहाज से कम लेकिन बिहार में अग्रेसिव राजनीति करने वाले भूमिहारों को अपने पक्ष में करने में लगे हैं. दोनों भूमिहार राजनीति के सामाजिक समीकरण को अपने अपने पक्ष में साधने की कोशिश कर रहे हैं. यही कारण है कि रामविलास पासवान की जयंती पर पटना आने के बाद किए गए अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिराग पासवान ने अपनी बाईं तरफ हुलास पांडेय और उषा विद्यार्थी को जगह दी थी. दोनों भूमिहार हैं.

हाजीपुर से लौटने के बाद चिराग पटना स्थित डॉ. अरुण कुमार के आवास पर उनसे मिलने गए थे. चिराग पासवान अपने साथ अरुण कुमार को लाकर सोशल इंजीनियरिंग को ताकत देना चाहते हैं. सूरजभान सिंह और चंदन सिंह को चिराग का तगड़ा जवाब है.

Next Article

Exit mobile version