Bihar Teacher News: छह लाख शिक्षकों की वरीयता पर बड़ा फैसला, शिक्षा विभाग ने बनाई उच्चस्तरीय समिति

Bihar Teacher News: बिहार के लाखों शिक्षकों के बीच चल रहा वरीयता विवाद अब सुलझने की दिशा में है. शिक्षा विभाग ने पहली बार इतने बड़े पैमाने पर सभी संवर्गों के शिक्षकों की वरीयता तय करने के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है.

By Pratyush Prashant | September 10, 2025 8:29 AM

Bihar Teacher News: राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों तक कार्यरत विभिन्न श्रेणी के लगभग छह लाख शिक्षकों की वरीयता निर्धारण को लेकर शिक्षा विभाग ने पहल शुरू कर दी है. मंगलवार को शिक्षा विभाग के सचिव सह माध्यमिक शिक्षा निदेशक दिनेश कुमार द्वारा जारी आदेश में इस दिशा में एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने की घोषणा की गई.

इस समिति की अध्यक्षता प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला करेंगी और इसे 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर विभाग आगे की कार्रवाई करेगा.

क्यों जरूरी हुआ वरीयता निर्धारण

वर्तमान में बिहार के स्कूलों में स्थानीय निकाय शिक्षक, विशिष्ट शिक्षक, बीपीएससी से चयनित विद्यालय अध्यापक, प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक के रूप में विभिन्न श्रेणियों के शिक्षक कार्यरत हैं. समय-समय पर हुए स्थानांतरण, पदोन्नति और श्रेणी परिवर्तन ने सेवा निरंतरता और वेतन संरक्षण जैसे मुद्दों पर भ्रम पैदा कर दिया है.

स्थानीय निकाय से नियुक्त कई शिक्षक सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद विशिष्ट शिक्षक बन गए हैं. वहीं, पिछले दो वर्षों में बीपीएससी के माध्यम से 2.33 लाख विद्यालय अध्यापक नियुक्त हुए हैं. वे स्वयं को अधिक वरीय मानते हैं. ऐसे में विशिष्ट शिक्षक और बीपीएससी अध्यापकों के बीच वरीयता का विवाद गहरा गया है.

विवाद का असर प्रशासन पर

शिक्षकों की वरीयता का विवाद केवल वेतन और पदोन्नति तक सीमित नहीं है. यह स्कूलों के प्रशासनिक प्रबंधन को भी प्रभावित कर रहा है. जिन विद्यालयों में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं, वहां प्रभारी प्रधानाध्यापक की नियुक्ति वरीयता के आधार पर होती है. लेकिन स्पष्टता न होने से लगातार असमंजस और टकराव की स्थिति बन रही है.

समिति का मुख्य उद्देश्य विभिन्न कोटियों के शिक्षकों की नियुक्ति नियमावलियों का गहन अध्ययन कर एक व्यवस्थित और पारदर्शी प्रणाली विकसित करना है. इसमें सेवा निरंतरता, वेतन संरक्षण, पदोन्नति के अवसर और प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाएगा.

जरूरत पड़ने पर समिति विधि विशेषज्ञों, शिक्षक संगठनों और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श भी ले सकती है.

समिति में कौन-कौन शामिल

शिक्षा विभाग ने इस समिति में कई वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया है. इसमें अध्यक्ष साहिला (प्राथमिक शिक्षा निदेशक), परामर्शी पंकज कुमार, निदेशक मनोरंजन कुमार, संयुक्त सचिव अमरेश कुमार मिश्र, क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक अमित कुमार, उप निदेशक (प्राथमिक शिक्षा) संजय कुमार चौधरी, उप निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) अब्दुस सलाम अंसारी, आंतरिक वित्तीय सलाहकार संजय कुमार सिंह और जिला शिक्षा पदाधिकारी योगेश कुमार सदस्य के रूप में होंगे.

शिक्षक संगठनों के अनुसार, यह पहल लंबे समय से चली आ रही असमानताओं को दूर करने की दिशा में अहम कदम है. अगर समिति एक पारदर्शी व्यवस्था तैयार करने में सफल होती है तो शिक्षकों के बीच आपसी टकराव खत्म होगा और वेतन, पदोन्नति तथा प्रशासनिक व्यवस्थाओं में स्थायित्व आएगा.

कब तक आएगा नतीजा

समिति को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंपनी है. इसके बाद विभाग उस पर आधारित होकर आगे की कार्रवाई करेगा.

माना जा रहा है कि समिति की सिफारिशें लागू होने के बाद राज्यभर के शिक्षकों की वरीयता स्पष्ट हो जाएगी और लंबित विवादों का स्थायी समाधान निकलेगा.

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