अंधेरे में स्कूल, टेंट-जेनरेटर पर खर्च! जब ACS एस सिद्धार्थ ने हेडमास्टर को सुनाई खरी-खोटी

Bihar Teacher News: बरौनी के असुरारी स्कूलों में शनिवार को बिहार शिक्षा विभाग के एसीएस डॉ. एस सिद्धार्थ ने औचक निरीक्षण किया. बदहाल व्यवस्था देखकर वे भड़क उठे और हेडमास्टर को फटकार लगाई. निरीक्षण में अभिभावकों ने भी कई समस्याएं गिनाईं, जिनके समाधान का आश्वासन एसीएस ने दिया.

By Abhinandan Pandey | July 19, 2025 7:57 PM

Bihar Teacher News: बिहार में सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था पर शिक्षा विभाग ने सख्ती तेज कर दी है. शनिवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. एस सिद्धार्थ ने बरौनी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय असुरारी और उच्च माध्यमिक विद्यालय असुरारी का औचक निरीक्षण किया. अचानक एसीएस के पहुंचते ही स्कूल में हड़कंप मच गया और कुछ देर के लिए शिक्षक और स्टाफ असहज नजर आए.

हेडमास्टर को लगाई जमकर फटकार

निरीक्षण के दौरान जब एसीएस ने स्कूल के कमरों, शौचालय और पेयजल की स्थिति देखी तो नाराज हो उठे. कई कमरों में बल्ब तक नहीं थे, पंखे खराब पड़े थे और जगह-जगह कबाड़ जमा था. एक कमरे में तो पुराने किताबों के बंडल इस कदर भरे थे कि पढ़ाई का नामोनिशान नहीं दिख रहा था. इस बदइंतजामी पर उन्होंने विद्यालय के हेडमास्टर अनिल कुमार राय को जमकर फटकार लगाई और तत्काल सुधार लाने का निर्देश दिया.

एसीएस ने की तीखी टिप्पणी

एसीएस ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि स्कूल में टेंट और जेनरेटर के लिए समय और पैसा है, लेकिन बल्ब और बुनियादी सुविधाओं के लिए नहीं. उन्होंने शिक्षकों को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं होतीं तो सभी की जवाबदेही तय की जाएगी.

एसीएस ने बच्चों के अभिभावकों से भी की बातचीत

निरीक्षण के दौरान एसीएस ने बच्चों के अभिभावकों से भी बातचीत की. अभिभावकों ने शिकायतों की झड़ी लगा दी. छात्रवृत्ति न मिलने, शिक्षकों की कमी, सफाई व्यवस्था बदहाल रहने, मध्याह्न भोजन न मिलने और रास्ते की खराब स्थिति जैसी समस्याएं खुलकर सामने आईं. एसीएस ने अभिभावकों को भरोसा दिलाया कि इन सभी समस्याओं का जल्द समाधान कराया जाएगा.

डॉ. एस सिद्धार्थ कर रहे स्कूलों का औचक निरीक्षण

डॉ. एस सिद्धार्थ बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए लगातार स्कूलों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं. कभी वीडियो कॉल के जरिए स्कूलों का हाल लेते हैं तो कभी खुद मौके पर जाकर स्थिति परखते हैं. उनकी यह सक्रियता सरकारी स्कूलों में सुधार की दिशा में अहम मानी जा रही है.

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