Bihar Politics: राहुल-प्रियंका सुधारेंगे कांग्रेस की सेहत या मजबूत करेंगे महागठबंधन की नींव

Bihar Politics: राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव व दीपंकर भट्टाचार्ज समेत महागठबंधन के कई नेता वोटर अधिकार यात्रा से मिथिला के महागठबंधन नेता व कार्यकर्ताओं में खास कर कांग्रेसियों में उत्साह बढ़ा है. लेकिन, चौक चौराहे पर बहस इस बात की छिड़ी है कि राहुल की इस यात्रा से मिथिला में कांग्रेस की नीव मजबूत होंगी या महागठबंधन के घटक दलों की जड़ों को खद पानी मिलेगा.

By Mithilesh kumar | August 28, 2025 10:54 AM

Bihar Politics: पटना. सफेद झकझक कुर्ता-पायजामा और कंधे पर तिरंगा वाला गमछा. मुंह मेंं पान और जुबां पर कांग्रेस. 1950 के दशक में पंडित जवाहर लाल नेहरू इस इलाके में आये थे. करीब सत्तर साल बाद उनकी चौथी पीढ़ी मिथिलांचल से गुजर रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विरोधी दल के नेता राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा मिथिला से गुजरी है. इस दौरान उनके साथ कांग्रेस की सबसे हिट फेस प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं.

1980 तक कांग्रेस का गढ़ रहा था यह इलाका

1980 के दशक तक मिथिला का यह इलाका कांग्रेस के लिए उपजाउ और उर्वर भूमि रहा था. खासकर दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर की तीस विधानसभा सीटों में विपक्ष को नाम मात्र की सीटें मिल पाती थी. लेकिन, 1990 के दशक में जब सामाजिक न्याय के रंग में मतदाता सराबोर होने लगे तो कांग्रेस इन सभी सीटों पर पिछड़ने लगी. 1985 के विधानसभा चुनाव में जहां मधुबनी जिले की सभी 11 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी रहे. 1990 के चुनाव कांग्रेस करीब आधी सीटों पर सिमट गयी. वहीं 2020 के चुनाव में राजद भी पीछे छूट गया. जहां कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला वहीं महागठबंधन के सबसे बड़ी पार्टी राजद को दो सीटों पर संतोष करना पड़ा. लोकसभा के चुनावों मेें भी कांग्रेस पिछड़ती रही. गठबंधन में या तो उसे मिथिलांचल की सीटें नहीं मिली, जहां मिली भी तो मतदाताओं का प्यार नहीं मिल पाया.

1990 में जनतादल ने झटक ली तीन सीटें

1985 के विधानसभा चुनाव में मधुबनी जिले की 11 सीटों में खासकर जिले की आरक्षित सीट खजौली में भी कांग्रेस की जीत हुइ. 2010 के परिसीमन के पहले तक मधुबनी जिले में विधानसभा की 11 सीटें थी. वहीं दरभंगा में नौ और समस्तीपुर में 10 सीटें रही. मधुबनी में उस चुनाव में डा जगन्नाथ मिश्रा, कुमुद रंजन झा,युगेश्वर झा जैसे नेता चुनाव जीते. 1990 आते-आते बिहार में मंडल की हवा फैलने लगी थी. इसका असर विधानसभा चुनाव पर साफ दिखा. 1990 के विधानसभा के चुनाव में मधुबनी जिले में जनता दल का खाता खुला. उसे जिले की फुलपरास, मधेपुर और बाबूबरही की सीटों पर जीत मिली. 2020 के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि जिले की 10 सीटों में एनडीए आठ सीट पर जीत गयी और कांग्रेस की सहयोगी दल राजद को मधुबनी और लौकहा की सीटें मिल पायी. लोकसभा चुनाव में झंझारपुर में 1984 में गौरीशंकर राजहंस अंतिम सांसद निर्वाचित हुए. वहीं मधुबनी में 2004 में कांग्रेस को सफलता मिली जब डा शकील अहमद यहां से चुनाव जीत गये. इसके पहले 1998 में शकील अहमद को विजयी श्री मिली थी.

दरभंगा में 1985 में कांग्रेस ने जीती थी छह सीटें, अभी जीरो

दरभंगा जिले में 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जिले की नौ सीटों में छह पर काबिज रही. अगले साल 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज चार सीटें मिली.उसे दो सीटों का नुकसान हुआ. दूसरी ओर सामाजिक न्याय की विचारधारा को लेकर चुनाव मैदान में उतरे जनता दल को पांच सीटें मिली. 2020 के चुनाव में कांग्रेस यहां भी धराशायी हो गयी. जिले में विधानसभा की अब 10 सीटें हो गयी. इनमें नौ सीटोंपर एनडीए के उम्मीदवार जीते और एक मात्र दरभंगा ग्रामीण से राजद के ललित यादव चुनाव जीत पाये. दरभंगा में 1980 में कांग्रेस के आखिरी सांसद पंडित हरिनाथ मिश्र हुए.

समस्तीपुर में 1985 में छह तो 1990 में महज मिली तीन सीट

समस्तीपुर जिले में सामाजिक न्याय की धारा शुरू से ही कांग्रेस को टक्कर देती रही है. 1985 के विधानसभा चुनाव में जिले की दस सीटों में छह पर चुनाव जीती. पांच साल बाद 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तीन सीटों पर सिमट गयी. जनता दल को छह सीटें मिली और एक सीट पर सीपीएम के रामदेव वर्मा चुनाव जीते. जहां तक लोकसभा की बात है समस्तीपुर जिले में दो सीटें रही है. इन दोनों सीटों पर कांग्रेस आखिरी बार 1984 का चुनाव जीत पायी. इसके बाद लगातार जनतादल, जदयू,राजद और लोजपा का कब्जा रहा.2024 के चुनाव में कांग्रेस ने जिले की समस्तीपुर सुरक्षित सीट पर अपने उम्मीदवार दिये थे, पर उसे सफलता नहीं मिली और लोजपा,रामविलास की नयी उम्मीदवार शांभवी चौधरी सबसे कम उम्र की सांसद निर्वाचित हुई.

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