बिहार के पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पे घायल होने पर नहीं मिलेगा इलाज का सारा खर्च, CGHS की दर पर होगा भुगतान

बिहार सरकार ने फैसला लिया है कि ड्यूटी के दौरान घायल होने पर पुलिसकर्मियों को भी बाकी सरकारी कर्मचारियों की तरह ही सेंट्रल गर्वमेंट हेल्थ स्कीम (CGSH) की तय दरों के हिसाब से ही राशि का भुगतान किया जाएगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2022 7:13 PM

बिहार पुलिस के पुलिसकर्मियों को अब विधि-व्यवस्था संभालने के दौरान जख्मी होने या इलाज के दौरान मृत्यु होने पर इलाज पर हुआ पूरा खर्च वापस नहीं मिलेगा. बिहार सरकार ने फैसला लिया है कि ड्यूटी के दौरान घायल होने पर पुलिसकर्मियों को भी बाकी सरकारी कर्मचारियों की तरह ही सेंट्रल गर्वमेंट हेल्थ स्कीम (CGSH) की तय दरों के हिसाब से ही राशि का भुगतान किया जाएगा. यदि इस दर से ज्यादा की राशि उपचार पर खर्च होती है तो भी उन्हें वही रकम वापस की जाएगी जो तय दर के अनुसार बनती है.

गृह विभाग ने भेज था प्रस्ताव 

गृह विभाग ने प्रस्ताव बनाकर पुलिसकर्मियों को इलाज का पूरा खर्च वापस करने की डिमांड की थी, जिसे स्वीकार नहीं किया गया है. प्रस्ताव में कहा गया था कि पुलिसर्कियों को अक्सर ड्यूटी के दौरान खतरों का सामना करना पड़ता है. कई बार गंभीर चोटें भी लगती हैं जिस वजह से बेहतर इलाज के लिए घायल पुलिसकर्मियों को बड़े अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. यहां इलाज पर होने वाला खर्च उन्हें खुद ही भरना होता है. इसे देखते हुए बिहार पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव बनाकर गृह विभाग के जरिए स्वास्थ्य विभाग को भेजा था, जिसमें ड्यूटी या विधि-व्यवस्था सुचारू करने के दौरान जख्मी होने या फिर इलाज के दौरान जान जाने पर इलाज के पूरे खर्च की प्रतिपूर्ति की डिमांड की गई थी.

स्वास्थ्य विभाग ने मंजूरी नहीं दी है

पुलिस मुख्यालय की ओर से बताया गया है कि इस संशोधन प्रस्ताव पर स्वास्थ्य विभाग ने मंजूरी नहीं दी है. विभाग ने साल 2015 और 17 के दो संकल्पों का जिक्र करते हुए ऑन ड्यूटी जख्मी या मृत पुलिसकर्मियों को अन्य सरकारीकर्मियों की तरह ही चिकित्सा में व्यय की गई राशि के नियमानुसार भुगतान की सलाह दी है.

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पुलिस मुख्यालय ने पत्र लिखकर सूचित किया 

स्वास्थ्य विभाग में संशोधन प्रस्ताव खारिज होने पर पुलिस मुख्यालय ने अपने सभी इकाइयों के साथ रेंज और जिलों को पत्र लिखकर इस बारे में सूचित कर दिया है. एडीजी पारसनाथ की ओर से लिखे गए पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग के उक्त संकल्प में जो प्रावधान हैं उसी के मद्देनजर कार्रवाई की जाए.

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