Bihar News: उत्तर बिहार के लिए ‘वरदान’! शुरू हुआ कोसी–मेची लिंक प्रोजेक्ट, 2.14 लाख हेक्टेयर जमीन को मिलेगी सिंचाई और बाढ़ से बड़ी राहत
Bihar News: उत्तर बिहार की दो बड़ी नदियों को जोड़ने की दशकों पुरानी योजना अब जमीन पर दिखने लगी है. सुपौल में मशीनों की गड़गड़ाहट के साथ वह काम शुरू हो गया है, जो आने वाले सालों में बाढ़ की तबाही कम कर सकता है और लाखों किसानों के खेतों तक पानी पहुंचा सकता है.
Bihar News: सुपौल जिले के वीरपुर में शुक्रवार को कोसी–मेची लिंक परियोजना के पहले चरण की औपचारिक शुरुआत हुई. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत बन रही यह मेगा परियोजना उत्तर बिहार के बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण साबित होगी. पहले फेज में कटैया पावर हाउस से निकलने वाली भेंगा धार के नौ किलोमीटर हिस्से की चौड़ीकरण और गाद हटाने का काम तेजी से चल रहा है.
70 मीटर चौड़ी धारा की खुदाई, दर्जनों मशीनें उतरीं काम पर
परियोजना के प्रारंभिक चरण में 70 मीटर चौड़ी भेंगा धार की सफाई और खुदाई का कार्य जारी है. हैदराबाद की रित्विक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को इस महत्वपूर्ण काम की जिम्मेदारी दी गई है. साइट पर मौजूद सुप्रिटेंडिंग इंजीनियर मो. बाशा ने बताया कि कई जगह धारा को उसके मूल बेड लेवल तक लाने के लिए 0.5 मीटर से लेकर 1 मीटर तक खुदाई की जा रही है. दो दर्जन से अधिक पोकलेन मशीनें लगातार मिट्टी और गाद निकालने में लगी हैं.
117.50 किलोमीटर लंबी परियोजना, कोसी का पानी मेची में जाएगा
कुल 117.50 किलोमीटर लंबी यह लिंक परियोजना उत्तर बिहार की महत्वपूर्ण नदी प्रबंधन योजनाओं में से एक है. कोसी नदी के अतिरिक्त जल को मेची नदी में प्रवाहित किया जाएगा, जिससे बरसात के मौसम में कोसी का दबाव कम होगा और बाढ़ की समस्या में राहत मिलेगी. साथ ही, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार जिलों में सिंचाई क्षमता बढ़ाने में यह योजना अहम भूमिका निभाएगी.
दूसरे चरण में 41 किमी लंबी नहर की सफाई, 200 करोड़ की लागत
परियोजना का दूसरा चरण भी जल्द शुरू होगा, जिसमें कोसी पूर्वी मुख्य नहर के 41 किलोमीटर हिस्से की सफाई शामिल है. इस चरण की अनुमानित लागत 200 करोड़ रुपये है. इंजीनियरों का कहना है कि लक्ष्य बरसात से पहले पूरा काम निपटाने का है, ताकि पानी बढ़ने या नहर ढहने जैसी समस्याएं निर्माण में बाधा न डालें. सिंचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार ने पुष्टि की कि विभाग ने तय प्लान के अनुसार काम आगे बढ़ा दिया है.
2.14 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को मिलेगी सिंचाई सुविधा
परियोजना पूरी होने पर लगभग 2.14 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा. इससे किसानों की फसल पैदावार बढ़ेगी, खासकर उन इलाकों में जहां अभी भी पानी की कमी के कारण खेती जोखिम भरा काम माना जाता है. कुल 6282.32 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना का टेंडर प्रोसेस पहले ही पूरा किया जा चुका है. उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह परियोजना उत्तर बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी.
स्थानीय लोगों में उम्मीद, काम को लेकर बढ़ी हलचल
भेंगा धार के किनारे रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए यह हलचल उम्मीद की नई किरण है. लोग वर्षों से बाढ़ और जलभराव की समस्या से परेशान रहे हैं, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि नहरों की सफाई और जलप्रवाह सुधारने से जलजमाव में बड़ी कमी आएगी.
