Bihar News: बिहार में जारी होगा धार्मिक कैलेंडर, ‘सनातन धर्म’ को बढ़ावा देने के लिए मंदिरों में होगी ये व्यवस्था
Bihar News: बिहार राज्य धार्मिक परिषद राज्य भर में ‘सनातन धर्म’ के प्रचार-प्रसार के लिए सभी जिलों में संयोजकों को नामित करने का निर्णय लिया है. पंजीकृत मंदिरों और मठों की गतिविधियों की निगरानी को लेकर यह निर्णय लिया गया है.
मुख्य बातें
Bihar News:पटना. बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद (बीएसआरटीसी) के अध्यक्ष रणबीर नंदन ने बताया कि परिषद धार्मिक कैलेंडर जारी करेगी, जो पंजीकृत मंदिरों और मठों के माध्यम से वितरित किए जाएंगे. रणबीर नंदन ने कहा कि परिषद आने वाले महीनों में राजगीर में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने की भी तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि परिषद राज्य भर में ‘सनातन धर्म’ के प्रचार-प्रसार के लिए सभी जिलों में संयोजकों को नामित करने का निर्णय लिया है. पंजीकृत मंदिरों और मठों की गतिविधियों की निगरानी को लेकर यह निर्णय लिया गया है.
केवल महंतों को बनाया जायेगा संयोजक
बीएसआरटीसी द्वारा नामित 38 संयोजक अपने-अपने क्षेत्रों में सभी पंजीकृत मंदिरों और मठों के मुख्य पुजारियों के साथ समन्वय स्थापित कर कार्य करेंगे. परिषद में कुल 2,499 मंदिर और मठ पंजीकृत हैं. बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष रणबीर नंदन ने रविवार को यह जानकारी दी है. बताया, कि परिषद ने राज्य भर के पंजीकृत मंदिरों और मठों के साथ समन्वय कर ‘सनातन धर्म’ के प्रचार-प्रसार के लिए सभी जिलों में संयोजकों को नामित करने का निर्णय लिया है. प्रत्येक जिले में एक संयोजक के चयन की प्रक्रिया एक-दो दिन में शुरू हो जाएगी और संयोजकों का चयन केवल महंतों (मुख्य पुजारियों) में से ही किया जाएगा. परिषद ही राज्य में पंजीकृत मंदिरों, मठों और न्यासों की संपत्ति का रिकॉर्ड रखती है तथा उनकी गतिविधियों की निगरानी भी करती है.
संयोजकों को मिलेंगी कईं जिम्मेदारियां
रणबीर नंदन ने कहा कि इन संयोजकों की कई जिम्मेदारियां भी होंगी, जिसका पालन करना सुनिश्चित होगा. संयोजकों की जिम्मेदारियों में मासिक पूजा की जाएगी, जिसके तहत संयोजक यह यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके संबंधित ज़िलों के सभी पंजीकृत मंदिर और मठ हर महीने पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा और अमावस्या के दिन भगवती पूजा का आयोजन करेंगे. वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सभी पंजीकृत मंदिर और मठ इन दोनों पूजाओं के महत्व के बारे में जनता के बीच संदेश फैलाएं. लोगों को हर महीने अपने घरों में ये पूजाएं आयोजित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाय.
अखाड़ों के लिए होगी विशेष व्यवस्था
संयोजक यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सभी पंजीकृत धार्मिक स्थल अखाड़ों के लिए शारीरिक संस्कृति का अभ्यास करने के लिए एक समर्पित स्थान बनाएं. रणबीर नंदन ने कहा कि परिषद का मानना है कि मंदिरों और मठों को सामाजिक गतिविधियां और सामाजिक सुधार के उपाय भी करने चाहिए. हमारे त्योहारों, पूजाओं, मूल्यों और सनातन धर्म के महत्व को फैलाने की आवश्यकता है. उन्होंने छठ पूजा का ज़िक्र करते हुए कहा कि त्योहार, पारिस्थितिक सद्भाव, भक्ति और सामुदायिक भागीदारी की जीवंत अभिव्यक्ति हैं.
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