Bihar News: पवन सिंह बदलेंगे शाहाबाद की हवा, अमित शाह ने ऐसे किया 22 सीटों पर गेम सेट
Bihar News: 2024 के विधानसभा उपचुनाव में तरारी और रामगढ़ पर जीत दर्ज कर भाजपा ने वापसी के संकेत दिए, लेकिन उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने ऐसी हवा बदली कि एनडीए अपनी सभी चार सीटें पर हार गयीं. भाजपा ने पवन सिंह को पार्टी में वापस लाकर शाहाबाद को नये सिरे से साधने की कोशिश की है.
Bihar News: पटना. पावर स्टार पवन सिंह भाजपा में लौट आये हैं. उपेंद्र कुशवाहा से उनकी सुलह हो गयी है. पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की सुलह ने शाहबाद में एनडीए के लिए उम्मीद पैदा कर दी है. शाहाबाद वो इलाका है, जिसे जीतना भाजपा के लिए हमेशा चुनौती रही है. शाहाबाद क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है. पिछले दिनों अमित शाह बिहार के 50 सीटों के लिए खास प्लान तैयार किया था, जिनमें से 22 सीटें शाहाबाद की थी. पवन सिंह की भाजपा में वापसी और उपेंद्र कुशवाहा से सुलह के बाद माना जा रहा है कि शाह ने शाहाबाद के 22 सीटों पर गेम सेट कर दिया है.
काफी मुश्किल रही है भाजपा के लिए यहां जीत
शाहाबाद की 22 सीटों पर पिछले एक दशक का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो आंकड़ों में भी काफी उतार चढ़ाव दिखता है. साल 2015 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 22 में से महज 6 सीटें मिली थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में शाहबाद की चारों सीटें जीतकर बीजेपी ने जोरदार वापसी की थी, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब रहा और एनडीए को सिर्फ दो सीटें आरा और बड़हरा मिल सकी. 2024 के विधानसभा उपचुनाव में तरारी और रामगढ़ पर जीत दर्ज कर भाजपा ने वापसी के संकेत दिए, लेकिन उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए अपनी सभी चार सीटें पर हार गयीं.
पवन सिंह के कारण उपेंद्र कुशवाहा हारे थे चुनाव
2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की करारी हार हुई. पवन सिंह के पावर ने कुशवाहा को तीसरे नंबर पर ला दिया. पवन सिंह को 2,74,723 वोट मिले, जबकि कुशवाहा को महज 1,71,761 वोट. राजा राम सिंह ने 3,80,581 वोटों से दोनों को पछाड़कर जीत हासिल की. पवन सिंह के निर्दलीय उतरने से कुशवाहा के कोर वोट बैंक- खासकर युवा और भोजपुरी प्रेमी विभाजित हो गए. पवन सिंह की स्टार पावर ने ग्रामीण इलाकों में लहर पैदा कर दी.
वोटरों को एकजुट रखने की कोशिश
पवन सिंह का भोजपुरी कनेक्शन इस बार एनडीए को फायदा पहुंचाएगा. उपेंद्र और पवन के बीच समझौता एनडीए की रणनीति को मजबूत कर सकता है. पवन सिंह की फैन फॉलोइंग- खासकर बिहार के ग्रामीण और युवा वोटरों में कुशवाहा के आरएलएम को नई ऊर्जा देगी. इस बार के चुनाव में उपेंद्र और पवन के साथ आने से उपेंद्र के जातिगत वोट में विभाजन नहीं होगा, साथ ही पवन सिंह के पावर का लाभ भी गठबंधन को मिलने की उम्मीद है.
