बिहार में अब हर मकान को मिलेगा डिजिपिन, गली-मोहल्लों की मैपिंग पूरी

Bihar News: डाक विभाग अब बिहार में मकानों को डिजिपिन जारी करेगा. इससे मोबाइल पर लाइव लोकेशन के आधार पर डाकिया आसानी से घरों तक पहुंच सकेंगे. इसके लिए 10 हजार डाकिया को ट्रेनिंग दी जाएगी.

By Rani Thakur | August 23, 2025 1:04 PM

Bihar News: बिहार में लोगों को समय पर चिट्ठी मिले इसके लिए डाक विभाग सभी गली-मोहल्लों को लाइव लोकेशन से जोड़ने का काम कर रहा है. इस कड़ी में हर मकान को डिजिपिन (डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर) दिया जाएगा. इसके लिए डाक विभाग की तरफ से बिहार सर्किल ने पूरे राज्य के इलाकों की मैपिंग पूरी कर ली है.

एक करोड़ गली-मोहल्लों की मौपिंग पूरी

इसके तहत एक करोड़ से अधिक गली एवं मोहल्लों की मैपिंग हो चुकी है. इस मैपिंग के माध्यम से सभी घरों की लाइव लोकेशन को डाला जाएगा. इसकी मदद से डाकिया अपने मोबाइल से आसानी से देख कर निर्धारित जगह पर पहुंच सकेंगे.

बिहार सर्किल के 30 डिवीजन शामिल

बता दें कि डाक विभाग का अभी तक पिन कोड है. शहर के विभिन्न इलाकों का अपना पिन कोड है, लेकिन अब डिजिपिन कोड होगा. इस नए कोड से हर इलाके के हर घर को चिह्नित किया जाएगा. इसमें बिहार सर्किल के 30 डिवीजन को शामिल किया गया है.

अधूरा पता होने के कारण होती थी दिक्कत

अभी बिहार सर्किल के सभी डिविजनों में आधा अधूरा पता होने के कारण 45 फीसदी चिट्ठियां, पार्सल निर्धारित जगह पर नहीं पहुंच पाती हैं. इसमें 30 से 35 फीसदी चिट्ठियां और पार्सल वापस चला जाता है. ऐसे में अब डिजिपिन से आधा अधूरा पता वाली चिट्ठियां भी पहुंच सकेंगी. 10 अंकों वाले इस डिजिपिन में संबंधित गली-मोहल्ले के साथ संबंधित घर को भी इंडिकेट किया जाएगा.

डाकिया को मिलेगी ट्रेनिंग

मिली जानकारी के अनुसार बिहार सर्किल में 10 हजार से अधिक डाकिया हैं. इन सभी डाकिये को मोबाइल लाइव लोकेशन के साथ भी जोड़ा जाएगा. साथ ही मोबाइल पर लाइव लोकेशन कैसे देखें, इसके लिए इन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. यह प्रशिक्षण डाकिया को डिविजन के आधार पर दिया जाएगा. इससे डाकिया को चिट्ठी, पत्री या पार्सल का पता खोजने में कोई परेशानी नहीं होगी और समय से पार्सल की डिलीवरी भी हो सकेगी.

क्या है ये डिजिपिन

डिजिपिन 10 अंको का एक कोड होता है. सभी इलाकों को डिजिटल एड्रेस सिस्टम से 4 मीटर के दायरे में बांटा जाएगा. इसकी मदद से किसी भी स्थान का सही डिजिटल पता मिल जाता है. इसे आईआईटी हैदराबाद एवं एनआरएससी इसरो के सहयोग से डाक विभाग ने विकसित किया है.

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