ऐसे टूटी बिहार में नक्सलियों की रीढ़! एनकाउंटर में दो दुर्दांत ढेर, 5 खूंखार हार्डकोर ने कर दिया सरेंडर
Bihar Naxal News: बिहार में नक्सलियों की रीढ़ अब टूट चुकी है. पिछले कुछ सालों में हार्डकोर रहे नक्सलियों ने सरेंडर किया या गिरफ्तार हुए. दो बेहद दुर्दांत नक्सली अविनाश और प्रवेश दा एनकाउंटर में ढेर हुए.
बिहार में आतंक मचाने वाले कई दुर्दांत नक्सलियों ने सरेंडर किया तो कई एनकाउंटर में ढेर हुए. झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ इस साल दो बड़े मुठभेड़ हुए. इन दोनों एनकाउंटर में कई नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया गया. इस कार्रवाई से बिहार के लोगों ने भी राहत की सांस ली. अप्रैल 2025 में बोकारो में ‘ऑपरेशन डाकाबेड़ा’ में आठ नक्सली मारे गए. इनमें एक दुर्दांत नक्सली अरविंद यादव उर्फ अविनाश दा भी था. वहीं पिछले दिनों हजारीबाग के एनकाउंटर में हार्डकोर सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश दा मारा गया. अविनाश दा और प्रवेश दा का खौफ बिहार में 20 साल पहले ही शुरू हो गया था. लंबे समय तक दोनों ने बिहार के कई जिलों में कोहराम मचाया.
बेहद दुर्दांत थे ये नक्सली
बिहार में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू किए गए. कई इलाके ऐसे थे, जिसे नक्सलियों ने अपना गढ़ बना लिया था. जमुई, लखीसराय और मुंगेर में इन नक्सलियों की सक्रियता अधिक रही. सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश दा, अरविंद यादव उर्फ अविनाश दा, पिंटू राणा, अर्जुन कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा, सुरेश कोड़ा, नारायण कोड़ा, रावण कोड़ा की गिनती बेहद दुर्दांत नक्सलियों में होती थी. पुलिस अधिकारियों की भी निर्मम तरीके से हत्या करने में ये पीछे नहीं रहते थे.
कुख्यात पिंटू राणा पकड़ाया
बिहार में नक्सलियों के खात्मे के लिए केंद्र और बिहार सरकार ने कार्रवाई कुछ साल पहले बेहद तेज कर दी. सीआरपीएफ और जिला पुलिस के अभियान शुरू हुए तो नक्सलियों को अब भय भी सताने लगा था. जान बचाने के लिए दुर्दांत नक्सलियों ने सरेंडर करना बेहतर समझा. वहीं कुछ हार्डकोरों की गिरफ्तारी भी हुई. वर्ष 2022 में पिंटू राणा पकड़ाया. 2005 में हुए भेलवाघाटी नरसंहार का भी वह आरोपी था. बीच चौराहे पर ग्राम रक्षा दल के सदस्यों की हत्या हुई थी. किसी को गोली मारकर तो किसी को गला रेतकर मौत के घाट उतारा गया था. चिलखारी नरसंहार में भी उसका हाथ था.
हार्डकोर बालेश्वर,अर्जुन और नागेश्वर कोड़ा ने सरेंडर किया
पिंटू राणा की गिरफ्तारी से पहले जून 2022 में तीन बेहद हार्डकोर नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया था. दरअसल, जमुई के गिद्धेश्वर जंगल में मुठभेड़ के दौरान नक्सली संगठन का सब जोनल कमांडर मतलु तुरी मारा गया था. उसके बाद सर्च ऑपरेशन तेज हुआ तो बेहद दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा, अर्जुन कोड़ा और नागेश्वर कोड़ा ने पुलिस के आगे हाजिर होकर हथियार डाल दिए थे. इन तीन नक्सलियों के सरेंडर ने काफी हद तक लोगों को राहत दी थी. नक्सल मुक्त अभियान के लिए भी यह बड़ी कामयाबी थी.
तीनों का था आतंक, जवानों को भी बेखौफ होकर मौत के घाट उतारते थे ये नक्सली
बालेश्वर कोड़ा, अर्जुन कोड़ा और नागेश्वर कोड़ा का आतंक इस कदर था कि इनपर सरकार ने इनाम तक रखे थे. मुंगेर में एसपी केसी सुरेंद्र बाबू की हत्या उनकी गाड़ी को लैंडमाइंस से उड़ाकर इन्होंने की थी. मुंगेर के ऋषि कुंड में 4 सैप की जवानों की हत्या हो या फिर जमुई के खैरा में इंस्पेक्टर कपिल राम की हत्या. या फिर सोनो में गोरिल्ला अटैक कर 6 जवानों की हत्या की घटना. या फिर बरहट के गुरमाहा कुमरतरी में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की हत्या करके पूरे गांव को विस्थापित करने की घटना हो. इन तीनों का इसमें हाथ रहा. कजरा में भीषण पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 7 पुलिसकर्मियों की हत्या में भी इनकी संलिप्तता बतायी गयी थी.
रावण कोड़ा भी गिरफ्तार, अब दो दुर्दांत की थी पुलिस को तलाश
पिंटू राणा और बालेश्वर, अर्जुन, नागेश्वर कोड़ा जेल के अंदर गए तो पुलिस को कई जानकारी हाथ लगने लगी. ताबड़तोड़ कार्रवाई चलती रही और एक के बाद एक करके छोटे-बड़े नक्सली पकड़ाने लगे. इस साल जून महीने में एक और खतरनाक नक्सली रावण कोड़ा गिरफ्तार हुआ जो 15 साल से फरार था. 3 लाख का वह इनामी नक्सली था. इसकी गिरफ्तारी के बाद अब दो खूंखार नक्सलियों की पकड़ आसान लगने लगी थी, जो कमजोर पड़े नक्सल संगठन को मजबूत करने में जुटे थे. ये दो हार्डकोर थे, अविनाश दा और प्रवेश दा. जिन्हें हाल में ही एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया. दोनों का दस्ता सक्रिय रहता था.
महिला नक्सलियों से भी मिली जानकारी, एनकाउंटर में मारा गया प्रवेश और अविनाश
अविनाश दा और प्रवेश दा से जुड़ी कुछ अहम जानकारी महिला नक्सलियों से भी मिली. बीते कुछ सालों में कई महिला नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई थी. रेणुका और दुखनी जैसी कुछ नक्सली इन हार्डकोर नक्सलियों की बेहद करीबी थीं. जिन्होंने पुलिस के पास कई राज उगले. अब दो और नक्सलियों की तलाश पुलिस को है. सुरेश कोड़ा और नारायण कोड़ा का पकड़ा जाना अभी बांकी है. लेकिन पिंटू राणा, बालेश्वर कोड़ा, अर्जुन कोड़ा और नागेश्वर कोड़ा का जेल के अंदर होना और प्रवेश दा और अविनाश दा जैसे दुर्दांत के ढेर होने से लोग राहत की सांस ले रहे हैं.
