अय्याशी में बीतती थी खूंखार नक्सलियों की जिंदगी! बिहार में अदालत तक पहुंचा था गर्भपात का मामला

Naxalite News: बिहार के कई दुर्दांत नक्सलियों का सफाया हो चुका है. कोई एनकाउंटर में ढेर हुआ तो किसी ने सरेंडर किया. ताबड़तोड़ गिरफ्तारी भी हुई. महिलाओं की लत भी इनमें कई नक्सलियों को भारी पड़ी. पुलिस को इन महिलाओं से कई अहम सुराग हाथ लगे.

By ThakurShaktilochan Sandilya | September 20, 2025 5:52 PM

बिहार के लोगों ने एक दौर ऐसा भी देखा जब नक्सलियों का आतंक चरम पर था. जमुई, लखीसराय, मुंगेर, औरंगाबाद जैसे कुछ जिले ऐसे थे जहां जंगली इलाकों में नक्सल संगठनों का दबदबा था. कई गांवों के लोग इन नक्सलियों के खौफ में रहे. आए दिन कत्लेआम करना इन खूंखार नक्सलियों के लिए आम बात थी. हालांकि अब दृश्य पूरी तरह बदल चुका है. दुर्दांत नक्सली या तो एनकाउंटर में मारे गए. या उन्होंने सरेंडर करना उचित समझा. कई गिरफ्तार हुए और जेल में बंद हैं. इन नक्सलियों की धरपकड़ में गिरफ्तार हो चुकी महिला नक्सलियों की भी बड़ी भूमिका रही है.

बिहार में इन दुर्दांत नक्सलियों का रहा आतंक

एक समय बिहार में हार्डकोर सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश दा,अरविंद यादव उर्फ अविनाश दा, पिंटू राणा, अर्जुन कोड़ा, रावण कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा जैसे दुर्दांत नक्सलियों का आतंक था. अविनाश और प्रवेश इसी साल एनकाउंटर में ढेर हुआ. जबकि बाकि सभी या तो सरेंडर किए या फिर गिरफ्तार हुए. सभी आज जेल के अंदर ही हैं. इन नक्सलियों पर दबाव बनाने और इन्हें गिरफ्तार करने या घेरकर एनकाउंटर में ढेर करने में कई महिला नक्सलियों की भी भूमिका रही.

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महिला कैडरों से अत्याचार पड़ा महंगा, पुलिस के पास पीड़िताओं ने उगले राज

दरअसल, बीते कुछ सालों के अंदर कई महिला नक्सलियों को पकड़ने में कामयाबी मिली. ये महिला नक्सली दुर्दांत नक्सलियों के दस्ते में बड़ा रोल निभाती थीं. कई सालों से ये फरार थीं. इनके पकड़े जाने से हार्डकोर नक्सलियों के कई अहम सुराग पुलिस के हाथ लगे. ये महिला नक्सली भी संगठन के अंदर हो रहे शोषण से परेशान थीं. भोग की वस्तु मानकर इनमें कई महिलाओं का शारीरिक शोषण भी पुरुष नक्सली करते थे. कुछ महिला नक्सलियों ने पुलिस को दिए बयान में यह बताया तो कुछ लेटर भी वायरल हुए जिससे हकीकत सामने आयी.

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महिला नक्सलियों का शोषण करते थे पुरुष नक्सली

पिछले दिनों दुर्दांत नक्सली प्रवेश दा झारखंड के हजारीबाग में हुए एनकाउंटर में ढेर हुआ. इसका आतंक बिहार में भी 20 साल से अधिक रहा. नक्सली संगठन में प्रवेश दा की बेहद करीबी थी रेणुका कोड़ा, जो मुंगेर की रहने वाली थी. वर्ष 2023 में उसे देवघर से गिरफ्तार किया गया तो पुलिस के सामने उसने संगठन के अंदर महिलाओं के शोषण की कहानी बतायी. रेणुका ने एक पत्र भी लिखा था और उसमें जिक्र किया था कि संगठन के अंदर पुरुष नक्सली मौका पाकर महिलाओं को छेड़ते हैं. शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाते हैं. एक पार्टनर रखकर दूसरी महिला से भी अवैध संबंध बनाते हैं. इस पत्र का जबाव देते हुए नक्सली कमांडरों ने भी हालात को स्वीकारा था. वहीं सिदो कोड़ा दस्ते की रीना कोड़ा ने भी पत्र लिखकर संगठन के कमांडरों को बताया था कि महिला साथियों पर अत्याचार होता है.

रेणुका को सीनियर नक्सली के द्वारा भेजा गया पत्र

गर्भपात की अनुमति के लिए अदालत तक पहुंचा था मामला

दो साल पहले यानी 2023 में लखीसराय में एक महिला नक्सली पकड़ायी तो उसने भी संगठन में शोषण की कहानी पुलिस को बतायी थी. कजरा की रहने वाली यह नक्सली अविवाहित थी लेकिन गिरफ्तारी के बाद मेडिकल जांच खुलासा हुआ कि वह गर्भवती है. हाल में ही झारखंड के बोकारो में एक एनकाउंटर में मारे गए इनामी नक्सली अरविंद यादव उर्फ अविनाश दा की वह करीबी बतायी जाती है. कई केस भी अलग-अलग थानों में उसपर दर्ज थे. गिरफ्तारी के बाद उसने कोर्ट में आवेदन देकर गर्भपात कराने की मांग की थी. उसने खुलासा किया था कि संगठन में पुरुष नक्सल उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाते थे, जिससे वो गर्भवती हो गयी.

लखीसराय में गिरफ्तार महिला नक्सली (file)

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में भी शोषण का जिक्र

गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि नक्सल संगठनों मे महिला नक्सलियों के शोषण की हकीकत बेहद दर्दनाक है. संगठन में सीनियर माओवादी पुरुष कैडरों के द्वारा बलात्कार, जबरन विवाह और छेड़छाड़ किए जाते हैं. महिला कैडरों से शादी करके उसकी नसबंदी करा दी जाती थी. वहीं कई महिला नक्सलियों से उनकी मर्जी के खिलाफ गर्भपात कराए जाते थे.

इन महिला नक्सलियों की गिरफ्तारी से आसान हुआ पुलिस का काम…

रीना कोड़ा, करुणा, रेणुका, रोजिना, सुनीता, दुखनी, पोली, कारी… ये कुछ महिला नक्सलियों के प्रमुख नाम हैं जिनकी गिरफ्तारी हुई, तो उन हार्डकोर नक्सलियों तक पहुंचना आसान हो गया जो वर्षों से फरार थे. कई इनामी नक्सलियों को मजबूरन सरेंडर करना पड़ा. जबकि अविनाश और प्रवेश दा जैसे दुर्दांत नक्सली एनकाउंटर में ढेर हो गए.