बिहार में इन तीन खूंखार नक्सलियों को पत्नी ने कराया था सरेंडर, अब खात्मे के कगार पर पहुंच गया संगठन…
Bihar Naxalite News: बिहार में तीन खूंखार नक्सलियों ने जब एकसाथ सरेंडर कर दिया था तो नक्सल संगठन का खात्मा करीब दिखने लगा था. दो दुर्दांत नक्सलियों के एनकाउंटर हाल में हुए. अब गिने चुने ही हार्डकोर नक्सली बचे हैं जो संगठन को फिर जिंदा करने का प्रयास करते आए हैं.
बिहार-झारखंड में आतंक मचाने वाला दुर्दांत नक्सली सहदेव सोरेन पिछले दिनों झारखंड के हजारीबाग में हुए एनकाउंटर में मारा गया. नक्सल संगठन में उसे प्रवेश दा के नाम से जाना जाता था. प्रवेश दा की तूती बिहार के भी कई जिलों में थी. मुंगेर, लखीसराय, जमुई में उसके आतंक की अनेकों कहानियां हैं. वहीं तीन हार्डकोर नक्सली प्रवेश दा के इशारे पर काम करते थे, जिन्होंने सरेंडर कर दिया तो प्रवेश दा तक पहुंचना भी पुलिस के लिए आसान हो गया. ये तीन नक्सली थे-अर्जुन कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा और नागेश्वर कोड़ा.
बेखौफ होकर आतंक मचाते थे तीनों नक्सली
जब प्रवेश दा केंद्रीय कमेटी का सदस्य बना तो उसपर रखे गए इनाम की राशि 25 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दी गयी. हाल में ही झारखंड के हजारीबाग में पुलिस से हुए मुठभेड़ में प्रवेश दा मारा गया. उसकी तलाश पुलिस को कई सालों से थी. बिहार में प्रवेश दा के इशारे पर कई नक्सली आतंक मचाते थे. करीब तीन साल पहले जब अपनी जान बचाने के लिए तीन दुर्दांत नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया तो संगठन के कई राज भी खुले. तीनों नक्सलियों का आत्मसमर्पण एक बड़ी कामयाबी थी. बालेश्वर, अर्जुन और नागेश्वर ने बेखौफ होकर बेहद खौफनाक सब वारदात को अंजाम दिया था. पुलिसकर्मियों को भी मौत के घाट इन्होंने उतारे थे.
सरेंडर कराने में पत्नियों की रही बड़ी भूमिका
बालेश्वर, अर्जुन और नागेश्वर कोड़ा पूर्वी बिहार पूर्वोत्तर झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी नक्सली संगठन के हार्डकोर नक्सली थे. इनपर इनाम भी रखा गया था. प्रवेश दा के करीबी माने जाने वाले इन तीनों नक्सलियों ने तीन साल पहले जब मुख्यधारा में आने की सोची और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया तो नक्सल संगठन कमजोर ही नहीं हुआ था, बल्कि खात्मे के कगार पर पहुंच गया था. इन नक्सलियों को उनकी पत्नी ने प्रेरित किया. चोरमारा में CRPF बटालियन का कैंप खुला तो नक्सलियों की पत्नी अधिकारियों के संपर्क में लगातार रहीं. आखिरकार अपने-अपने पति को भी समझा-बुझाकर सरेंडर करवा दिया.बालेश्वर कोड़ा की पत्नी मंगरी देवी तथा अर्जुन कोड़ा की पत्नी सरस्वती देवी ने इसमें अहम भूमिका निभाई.
ट्रेनों पर हमले किए, जवानों को मौत के घाट उतारा
इन तीनों नक्सलियों के ऊपर जमुई, मुंगेर और लखीसराय जिले के कई थानों में नक्सल केस दर्ज हैं. किऊल-जसीडीह रेलखंड के कुंदर हॉल्ट के पास करीब 12 साल पहले धनबाद-पटना इंटरसिटी ट्रेन पर नक्सलियों ने हमला बोल दिया था. 100 से अधिक नक्सलियों ने इस ट्रेन पर कब्जा कर लिया था. ट्रेन पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गयी. इस हमले में एक जवान और दो यात्रियों की मौत हुई थी. हमले का मास्टरमाइंड अरविंद यादव को बताया गया था. इस हमले में भी अर्जुन कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा और नागेश्वर कोड़ा का नाम आया था. किऊल-भागलपुर रेलखंड के जमालपुर के पास ट्रेन पर हमले के भी ये आरोपी रहे.
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कैदी वाहन से प्रवेश दा को छुड़ाकर ले गए थे नक्सली
2011 में कजरा के जंगल में सुरक्षाबलों पर हमला और वर्ष 2013 में गिरिडीह में कैदी वाहन पर हमला करके नक्सली संगठन के शीर्ष नेता प्रवेश दा को छुड़ाकर ले जाने के मामले में भी इन तीनों का हाथ था. ऐसे कई गंभीर मामले और हैं, जिसमें ये तीनों आरोपित रहे. वहीं जब तीनों ने सरेंडर कर दिया तो प्रवेश दा से जुड़ी अहम जानकारी भी पुलिस के हाथ लगी. अब प्रवेश दा एनकाउंटर में मारा जा चुका है.
खात्मे के कगार पर नक्सली संगठन
बिहार में नक्सल संगठन अब खात्मे के कगार पर है. हार्डकोर अर्जुन कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा ने एकसाथ सरेंडर कर दिया. पिंटू राणा, रावण कोड़ा जैसे दुर्दांत भी अब जेल के अंदर हैं. वहीं प्रवेश दा और अविनाश दा को इसी साल एनकाउंटर में मार गिराया गया. अब नारायण कोड़ा, बहादुर कोड़ा और सुरेश कोड़ा जैसे कुछ नक्सलियों का खात्मा शेष है.
