Bihar Land Survey: बिना कागजात भी दर्ज होगी आपकी जमीन, सरकार ने दी बड़ी राहत

Bihar Land Survey: जमीन तो अपनी है, लेकिन कागजात खो गए या पुराने हैं… तो क्या मालिकाना हक खतरे में पड़ जाएगा? बिहार सरकार ने इस दुविधा का समाधान निकालते हुए लाखों लोगों को राहत दी है.

By Pratyush Prashant | September 29, 2025 11:34 AM

Bihar Land Survey: बिहार में इस समय भूमि सुधार और राजस्व से जुड़ा सबसे बड़ा महाअभियान चल रहा है. राज्य सरकार विशेष भूमि सर्वेक्षण के जरिए हर जमीन मालिक को रिकॉर्ड से जोड़ने की कवायद कर रही है.

इस बीच सबसे बड़ी चुनौती उन लोगों की थी, जिनके पास पुराने दस्तावेज—जैसे खतियान, केबाला (रजिस्ट्री), दाखिल-खारिज या रसीद—नहीं हैं. सरकार ने अब साफ कर दिया है कि ऐसे लोग भी सर्वेक्षण से बाहर नहीं होंगे. वे स्वघोषणा पत्र भरकर अपनी जमीन को रिकॉर्ड में दर्ज करा सकेंगे.

पुराने कागजात न होने पर भी शामिल होंगे मालिक

ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में बड़ी संख्या में लोग हैं जिनके पास जमीन के पुराने कागजात नहीं बचे हैं. कई बार दस्तावेज नष्ट हो गए, खो गए या फिर पुराने नाम पर ही दर्ज रह गए. परिणामस्वरूप सर्वे टीम के सामने वे अपने स्वामित्व को साबित नहीं कर पा रहे थे.

सरकार ने यह समस्या देखते हुए कहा है कि ऐसे लोग अब सिर्फ एक स्वघोषणा पत्र जमा करें, जिसमें खाता, खेसरा नंबर और रक़वा जैसी मूल जानकारी दर्ज हो. इसके आधार पर उनकी ज़मीन भी सर्वे में शामिल की जाएगी.

15 वैकल्पिक दस्तावेज होंगे मान्य

सरकार ने घोषणा की है कि पुराने दस्तावेज न होने की स्थिति में 15 वैकल्पिक कागजात मान्य होंगे. हालांकि सूची औपचारिक रूप से अभी जारी नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि इनमें बिजली बिल, पानी बिल, बैंक पासबुक, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पंचायत या नगर निकाय से जारी प्रमाणपत्र, वंशावली प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज शामिल होंगे. इनकी मदद से लोग अपनी पहचान और जमीन पर स्वामित्व को साबित कर पाएंगे.

जमीन से जुड़े विवाद बिहार में लंबे समय से बड़ी समस्या रहे हैं. कागजात के अभाव में अक्सर परिवारों या पड़ोसियों के बीच झगड़े होते हैं और कई मामले अदालतों तक पहुँच जाते हैं. सरकार का यह कदम भविष्य में ऐसे विवादों को काफी हद तक कम करेगा. खासकर गरीब और ग्रामीण इलाकों के लोग, जिनके पास दस्तावेज सुरक्षित नहीं हैं, अब अपनी जमीन का अधिकार दर्ज करा पाएंगे.

भूमि सुधार अभियान में तेजी

राज्य सरकार का साफ कहना है कि इस महाअभियान का उद्देश्य किसी को बाहर करना नहीं, बल्कि सभी को राजस्व अभिलेखों में दर्ज करना है. यही कारण है कि स्वघोषणा पत्र की व्यवस्था की गई है. इससे भूमि सुधार प्रक्रिया में तेजी आएगी और राजस्व रिकॉर्ड पारदर्शी होंगे.

भूमि सर्वेक्षण सिर्फ रिकॉर्ड का सुधार नहीं है, बल्कि यह भविष्य में जमीन से जुड़े कानूनी विवादों और पारिवारिक झगड़ों को रोकने का भी साधन है.

सरकार चाहती है कि हर मालिक का नाम स्पष्ट रूप से जमाबंदी और खेसरा रजिस्टर में दर्ज हो. इससे न सिर्फ जमीन का लेन-देन आसान होगा, बल्कि बैंक से कर्ज लेने या योजनाओं का लाभ उठाने में भी सुविधा होगी.

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