Bihar Election: बिहार में बदले गठबंधन के सियासी समीकरण, चिराग पासवान और प्रशांत किशोर पर सबकी नजर
Bihar Election: इस बार के विधानसभा चुनाव में जिस हिसाब से गठबंधन और पार्टियों के समीकरण बदले हैं, उसका असर चुनाव परिणाम आने के बाद भी दिखेगा. लोजपा अगर एनडीए के साथ रहती है तो 5 प्रतिशत वोट एकमुश्त एनडीए के खाते में दिख रही है.
Bihar Election: पटना : इस बार के विधानसभा चुनाव में जिस हिसाब से गठबंधन और पार्टियों के समीकरण बदले हैं, उसका असर चुनाव परिणाम आने के बाद भी दिखेगा. एनडीए से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अलग होना और राजद वाले महागठबंधन से वीआइपी का अलग होना पिछले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर परिणामों को प्रभावित किया था. इस बार समीकरण बदला हुआ है. चिराग पासवान एनडीए के साथ दिखाई दे रहे हैं, तो मुकेश सहनी राजद के पाले में बैठे दिख रहे हैं. हम और रालोसपा जैसी छोटी पार्टियां भी एनडीए के साथ हैं. पिछली बार जहां औवेशी एक बड़े फैक्टर बने, उसी तरह इस बार प्रशांत किशोर के वोट शेयर पर सबकी नजर रहेगी.
वोट शेयर के मामले में महागठबंधन रहा है आगे
विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही रहने की बात कह रही है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने सीएम फेस पर अब तक अपना पत्ता नहीं खोला है. वामदलों की एकजुटता भी इस बार देखने को मिल रही है. पिछले दिनों वोटर अधिकार यात्रा के दौरान महागठबंधन के सभी घटक दलों के बीच बेहतर तालमेल देखने को मिला. वोट शेयर के लिहाज से अगर देखा जाये तो 2020 में महागठबंधन के घटक दलों का वोट शेयर बेहतर रहा है, लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं. 2020 में राष्ट्रीय जनता दल का 23.11, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 9.48 और भाकपा (मा-ले) लिबरेशन का 3.16 प्रतिशत वोटों पर कब्जा रहा. चुनाव में सबसे ज्यादा फायदा सभी वाम दलों को हुआ. इसने 12 सीटों पर जीत हासिल की.
लोजपा के एनडीए में लौटने का पड़ेगा असर
एनडीए की बात करें तो 2020 में भाजपा को 19.46% वोट मिले, जबकि 80 सीटें हासिल की. जदयू को 2020 में 43 सीटें रही, जबकि वोटों का प्रतिशत 15.42 प्रतिशत रहा. जदयू को दोनों स्तरों पर ज्यादा नुकसान हुआ. लोजपा इस बार एनडीए के साथ है. 2020 में लोजपा खुद 145 सीटों पर चुनाव लड़ी. उसे 5.69 प्रतिशत वोट भी मिले, लेकिन बड़ी मुश्किल से सिर्फ एक सीट ही जीत पायी. ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएमआइ ने पांच सीटें जीतीं और उसे 1.24 प्रतिशत वोट मिले हैं, लेकिन उसके चार विधायक पाला बदलकर राजद में आ गये. 10 साल बाद 2020 में बासपा ने एक सीट जीती, उसे 1.49 प्रतिशत वोट मिले.
2005 में लोजपा के पास थी सत्ता की कुंजी
वर्ष 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में पोस्ट इलेक्शन में पार्टियों की गुणा गणित बेहद पेंचिदा हो गयी थी. राजद को 75, जदयू को 55, बीजेपी को 37, कांग्रेस को 10 और लोजपा को 29 सीटें मिली थी. भाजपा और जदयू के मिलने के बाद भी सरकार बनाने के जादुई आंकड़ों नहीं मिल पा रहे थे. लोजपा के अपने शर्त के कारण राजद को समर्थन नहीं दी. लगभग छह माह के गुणा गणित के बाद सरकार नहीं बना पायी और दोबारा चुनाव में जाना पड़ा. ऐसे में इस बार विधानसभा चुनाव में दो प्रमुख गठबंधनों के बीच ही मुकाबले की संभावना है. लोजपा अगर एनडीए के साथ रहती है तो 5 प्रतिशत वोट एकमुश्त एनडीए के खाते में दिख रही है.
2020 में दल वोट सीट
- भाजपा 19.46% 74
- जदयू 15.39% 43
- राजद 23.11% 75
- एआइएमआइएम 01.24 % 5
- कांग्रेस 09.48% 19
- बसपा 01.49% 01
- सीपीआइ 0.83% 02
- माकपा 0.65% 02
- लोजपा 05.66% 01
- राकांपा 0.23% 00
- रालोसपा 01.77% 00
- नोटा 01.68%
