Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में कौन बनेगा ‘X फैक्टर’? महिलाओं और GenZ वोटरों पर टिकी सबकी नजर
Bihar Election 2025: पहले चरण की वोटिंग ने बिहार में एक नया इतिहास लिखा है. बूथों पर न सिर्फ महिलाएं लंबी कतार में दिखी, बल्कि स्मार्टफोन और हेडफोन वाली युवा पीढ़ी भी लोकतंत्र की कतार में दिखी. यह बिहार विधानसभा वह चुनाव है, जहां महिलाओं की रिकॉर्ड भागीदारी ने पुरुषों को पीछे छोड़ा और GenZ वोटरों ने पहली बार अपने वोट से इतिहास में दस्तक दी.
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान संपन्न हुआ. कुल 65.08% वोटिंग के साथ यह चरण कई मायनों में ऐतिहासिक रहा. सबसे बड़ी बात, महिलाओं ने पुरुषों से आठ प्रतिशत अधिक मतदान कर लोकतंत्र की नब्ज को अपने हाथों में ले लिया.
दूसरी तरफ, GenZ यानी 18 से 29 साल के नए मतदाताओं ने भी इस बार चुनावी माहौल में नई ऊर्जा भर दी है. यह पीढ़ी न तो जातीय समीकरणों से प्रभावित है, न पारंपरिक वोट बैंक की तरह सोचती है.
महिलाओं की सक्रियता और युवाओं का जोश दोनों ने मिलकर इस चुनाव को “नई दिशा का चुनाव” बना दिया है.
महिलाओं ने रचा नया रिकॉर्ड, पुरुषों से आगे निकलीं
पहले चरण के आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाओं ने 69.04% मतदान किया, जबकि पुरुषों का प्रतिशत 61.56% रहा. 2020 में महिलाओं की वोटिंग 59.69% थी, यानी इस बार लगभग 10% की वृद्धि दर्ज की गई. यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि संकेत है कि अब बिहार की महिलाएं सिर्फ घर संभालने तक सीमित नहीं, बल्कि लोकतंत्र को दिशा देने में भी निर्णायक भूमिका निभा रही हैं. साथ ही साथ वह अपने मतदान का सही प्रयोग करने के लिए जागरूक भी है.
मीनापुर बना मिसाल, कुम्हरार सबसे पीछे
मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर विधानसभा क्षेत्र में 82.49% महिलाओं ने वोट डालकर राज्य में रिकॉर्ड बनाया. यह वही क्षेत्र है, जहां महिलाओं की भागीदारी पिछले दो चुनावों से लगातार बढ़ती रही है. इसके उलट, पटना के कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ 39.13% महिलाओं ने वोट किया. दिलचस्प बात यह है कि यहां पुरुषों की वोटिंग भी सबसे कम (41.10%) रही. यानी शहरी इलाकों में मतदान का उत्साह अब भी ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले कम है.
2010 से लगातार हुए विधानसभा चुनावों में महिलाओं की भागीदारी हर बार बढ़ी है. 2010 में जहां महिलाओं का वोट प्रतिशत 54.85 था, वहीं 2015 में यह बढ़कर 59.69% और अब 2025 में 69.04% पर पहुंच गया है.
यह वृद्धि सिर्फ “संख्या” नहीं बल्कि राजनीतिक चेतना का प्रमाण है. अब महिलाएं “पति या पिता के कहने पर” नहीं, बल्कि अपने विवेक और अनुभव से वोट डाल रही हैं. ग्रामीण इलाकों में यह बदलाव ज्यादा साफ दिख रहा है, जहां पंचायत स्तर पर सशक्तिकरण और महिला समूहों की भूमिका ने लोकतांत्रिक समझ को गहराई दी है.
“माय वोट,माय वॉइस”: GenZ वोटरों ने दी लोकतंत्र को नई ऊर्जा
इस बार बिहार में करीब 1.77 करोड़ GenZ वोटर हैं, यानी कुल मतदाताओं का लगभग 24 प्रतिशत हिस्सा. इनमें 18 से 29 वर्ष के युवा शामिल हैं. यही वह पीढ़ी है, जिसने राजनीति को सोशल मीडिया पर देखा, नेताओं को लाइव सुना और अब ईवीएम पर अपनी राय दर्ज कर रही है.
बेगूसराय, खगड़िया और मधेपुरा जैसे जिलों में GenZ वोटरों की हिस्सेदारी 25% से अधिक है, दूसरी ओर, पटना में सबसे कम 18.45% GenZ वोटर हैं. शहरी युवाओं की संख्या भले कम हो, लेकिन उनकी डिजिटल मौजूदगी और राजनीतिक राय अब चुनावी एजेंडा तय करने लगी है.
दरभंगा, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर बने युवा राजनीति के केंद्र
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, दरभंगा जिले में 18-19 साल के सबसे अधिक (62,127) नए मतदाता हैं. मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में भी GenZ वोटरों की औसत हिस्सेदारी 22-23% है. यह वे जिले हैं जहां कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों का घनत्व अधिक है, इसलिए युवाओं का राजनीतिक संवाद और जागरूकता भी ज्यादा है. कॉलेज डिबेट, सोशल मीडिया ट्रेंड और कैम्पस चर्चाएं अब चुनावी माहौल का हिस्सा बन चुकी हैं.
महिलाओं और युवाओं का गठजोड़: लोकतंत्र की नई ताकत
पहले चरण के मतदान के बाद एक बात साफ है अब चुनाव सिर्फ राजनीतिक दलों या जातीय समीकरणों का खेल नहीं, बल्कि महिलाओं और युवाओं का संयुक्त जनादेश बनता जा रहा है. इन दोनों वर्गों ने अपने मतदान के ताकत से दिखा दिया कि लोकतंत्र तभी जीवंत रहेगा जब हर वोट अपनी सोच से डाला जाएगा.
महिलाएं बदलाव की वाहक हैं, जिन्होंने अपने अधिकार को जिम्मेदारी में बदला है. युवा ऊर्जा के प्रतीक हैं, जिन्होंने पुरानी राजनीतिक सोच को चुनौती दी है. बिहार के बूथों पर इस बार यह “दोहरी क्रांति” साफ दिखाई दी. एक तरफ साड़ी में सशक्त स्त्रियां, दूसरी तरफ जींस-टीशर्ट में वोटिंग के बाद सेल्फी लेते युवा.
