Bihar Election 2025: जब महादेवी वर्मा के आह्वान पर चुनाव मैदान में उतरे थे रेणु, रामबचन राय ने सुनाईं 72 की कहानी
Bihar Election 2025: महादेवी वर्मा के आह्वान की सूचना पूरे देश में पहुंची, जिसकी जानकारी रेणु जी को भी मिली. इस पर रेणु जी ने संदेश भेजा कि 1972 में विधानसभा चुनाव होंगे, तो उसमें वे सत्ता के विरोध में चुनाव लड़ेंगे. महादेवी वर्मा के आह्वान पर रेणु जी चुनाव मैदान में उतरे गए.
Bihar Election 2025: सन् 1972 का विधानसभा चुनाव था. फणीश्वरनाथ रेणु फारबिसगंज से निर्दलीय उम्मीदवार थे. नाव छाप उनका सिंबल था. बिहार विधान परिषद के उपसभापति प्रो रामबचन राय ने बताया कि मैं पूरे चुनाव उनके साथ था. इस चुनाव में उनके दो मित्र भी मैदान में थे. कांग्रेस के सरयू मिश्र और दूसरा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के लखनलाल कपुर. तीनों मित्र कहीं-कहीं चुनाव प्रचार के दौरान मिल जाते, तो एक-दूसरे का अभिवादन करते व कुशल क्षेम पूछते. उन दिनों रेणु के समर्थन में गांवों में नारा लगा था. कह दो-गांव-गांव में, इस चुनाव में-वोट पड़े नाव में. फुर्सत के क्षणों में रेणु जी चुनाव में उतरने की कहानी बयां करते. उनके मुताबिक भारत का 1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध हो चुका था. इसके बाद से समाज में मायूसी बढ़ती जा रही थी.
महादेवी वर्मा की नेहरू परिवार से था नजदीकी
1972 में साहित्यिक हस्ती महादेवी वर्मा ने इलाहाबाद में एक सम्मेलन आयोजित किया. इसमें सुमित्रानंदन पंत, इलाचंद्र जोशी, यशपाल सहित देश के कई नामी-गिरामी साहित्यकार शामिल हुए. इस सम्मेलन में संयोगवश फणीश्वरनाथ रेणु मौजूद नहीं थे. महादेवी वर्मा की नेहरू परिवार से नजदीकी था. उनका इलाहाबाद में अक्सर आनंद भवन में आना-जाना होता था. कांग्रेस का जमाना था. इसके बावजूद इलाहाबाद के सम्मेलन में महादेवी वर्मा ने कहा कि लगता है कि देश पर बड़ा संकट आने वाला है. लोगों में मायूसी बढ़ रही है. ऐसे में साहित्यकारों और लेखकों को भी देश की बेहतरी के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए.
रेणु जी को मिली जानकारी
महादेवी वर्मा के आह्वान की सूचना पूरे देश में पहुंची, जिसकी जानकारी रेणु जी को भी मिली. इस पर रेणु जी ने संदेश भेजा कि 1972 में विधानसभा चुनाव होंगे, तो उसमें वे सत्ता के विरोध में प्रतीकात्मक चुनाव लड़ेंगे और ऐसा ही हुआ. उस चुनाव में रेणु जी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे. चुनाव मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ उतरे तीनों उम्मीदवारों में गहरी मित्रता थी. 1942 के भारत छोड़ों आंदोलन में तीनों एक ही साथ भागलपुर जेल में थे.
नाव चुनाव चिह्न
निर्दलीय उम्मीदवार रेणु जी को नाव चुनाव चिह्न मिला. उनके चुनाव प्रचार के लिए साहित्यकारों का फारबिसगंज में जुटान हुआ. मैं भी गया. वहां हमलोग फारबिसगंज के फ्रेंच होटल में रहकर रेणु जी के लिए चुनाव प्रचार करते थे. रेणु जी के लिए चुनाव अभियान के खर्च की जिम्मेदारी फारबिसगंज के ही जगदीश राइस मिल के परिवार वालों ने उठाया था. उस चुनाव में रेणु जी के लिए समां बंध गया था. इनके प्रति लोगों में आकर्षण था. मतदान हुआ, हालांकि वहदौर कांग्रेस का था. चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सरयू मिश्र जीत गये. रेणु जी हार गये.
