Bihar Election 2025: चुनाव घोषणा से पहले नीतीश कुमार का मास्टर स्ट्रोक, 14 दिन में 76 हजार करोड़ की योजनाओं का एलान

Bihar Election 2025: बिहार में चुनावी बयार चल रही है, और इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास योजनाओं की झड़ी लगाकर राजनीतिक माहौल में नया रंग भर दिया है. पिछले 14 दिनों में उन्होंने राज्य के कोने-कोने में जाकर 76 हजार करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास और कार्यारंभ किया. इन घोषणाओं ने एक ओर जहां विकास की रफ्तार को नया आयाम दिया है, वहीं दूसरी ओर चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट कर दिया है—सरकार मैदान में है और विकास इसका सबसे बड़ा चेहरा होगा.

By Pratyush Prashant | October 6, 2025 9:59 PM

Bihar Election 2025: बिहार में इन दिनों विकास का पहिया रफ्तार पकड़ चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार ऐक्शन मोड में हैं. पिछले 14 दिनों में उन्होंने राज्य के अलग-अलग जिलों का दौरा कर 76 हजार करोड़ रुपये से अधिक की विकास योजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास और कार्यारंभ किया है. सड़क से लेकर सिंचाई, ऊर्जा से लेकर शिक्षा और उद्योग से लेकर शहरी विकास तक—हर क्षेत्र में नई परियोजनाओं की सौगात दी जा रही है. सरकार का दावा है कि इन योजनाओं से न केवल बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को भी नई दिशा मिलेगी. चुनावी मौसम में विकास की इस तेज रफ्तार को लेकर सियासी हलकों में भी हलचल तेज है.

विकास यात्रा का नया अध्याय: 22 सितंबर से 6 अक्टूबर तक की गहमागहमी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास यात्राओं की शुरुआत 22 सितंबर से हुई, और महज दो हफ्तों में उन्होंने लगभग पूरे बिहार को कवर करते हुए कई जिलों में जाकर योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. इस दौरान ऊर्जा, जल संसाधन, पथ निर्माण, भवन निर्माण, उद्योग, पंचायत और शहरी विकास जैसे लगभग हर बड़े विभाग को शामिल करते हुए विकास की एक व्यापक रूपरेखा पेश की गई.

6 अक्टूबर को एक अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ में रिमोट के जरिए उन्होंने 13,721 करोड़ रुपये की योजनाओं का शुभारंभ किया. इनमें ऊर्जा विभाग की 264 योजनाएं, जल संसाधन विभाग की 14, उद्योग विभाग की 37, पथ निर्माण विभाग की 15 और भवन निर्माण विभाग की 116 योजनाएं शामिल थीं. अकेले ऊर्जा विभाग में 5847.66 करोड़ रुपये की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास हुआ. जल संसाधन विभाग में बाढ़ और सिंचाई से जुड़ी लगभग 5000 करोड़ की योजनाओं पर मुहर लगी.

जिलों में सौगातों की बौछार, हर दिन रहा ऐतिहासिक

इन 14 दिनों में शायद ही कोई ऐसा दिन रहा हो जब किसी जिले को विकास की सौगात न मिली हो.

5 अक्टूबर को नालंदा में 1,242 करोड़ रुपये की 48 योजनाओं का उद्घाटन हुआ.

इसी दिन राजगीर खेल परिसर में लगभग 1000 करोड़ रुपये की लागत से बने क्रिकेट स्टेडियम का उद्घाटन कर खेल और पर्यटन क्षेत्र को नई उड़ान दी गई.

4 अक्टूबर को मुंगेर में 12,690 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास किया गया.

1 अक्टूबर को ‘संकल्प’ में 4,233 करोड़ रुपये की योजनाओं की शुरुआत हुई, जिसमें पंचायत सरकार भवन और विवाह मंडप जैसी ग्रामीण संरचनाएं शामिल थीं.

29 सितंबर को सबसे बड़ा कार्यक्रम हुआ, जब 11,921 करोड़ रुपये की राशि से 20,658 योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया. इनमें जन सुविधा और विकास से जुड़ी 16,065 योजनाएं शामिल थीं—जो राज्यभर में स्थानीय निकायों, पंचायतों और विभागों के माध्यम से लागू की जाएंगी.

गांव-गांव में पहुंची विकास की गूंज

नीतीश कुमार का यह दौर केवल पटना या बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने ग्रामीण बिहार को भी इस विकास अभियान में पूरी मजबूती से जोड़ा.

28 सितंबर को वैशाली में 745 करोड़ की 331 योजनाओं और गोपालगंज में 1,585 करोड़ की 185 योजनाओं की सौगात दी गई.

27 सितंबर को मधुबनी में 8,329 करोड़ और कटिहार में 583 करोड़ की योजनाओं की शुरुआत की गई.

26 सितंबर को दरभंगा में 3,463 करोड़ की 97 योजनाएं और 25 सितंबर को खगड़िया व भागलपुर में कुल 822 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन हुआ.

24 सितंबर को रोहतास और कैमूर में लगभग 1900 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया गया.

23 सितंबर को पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण में 1,800 करोड़ से अधिक की योजनाओं से विकास की नई बयार बही.

22 सितंबर को पटना में 10,929 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास हुआ, जिसमें दीघा-शेरपुर-बिहटा तक गंगा पथ का विस्तार, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के भवनों का उद्घाटन शामिल था.

ऊर्जा से लेकर उद्योग तक—हर क्षेत्र में निवेश

इन योजनाओं का दायरा बेहद व्यापक है. ऊर्जा विभाग में जहां बिजली आपूर्ति और ग्रिड मजबूती के लिए नई परियोजनाएं शुरू हुईं, वहीं जल संसाधन विभाग में बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के लिए बड़ी रकम आवंटित की गई. पथ निर्माण विभाग ने सड़क और पुल परियोजनाओं से जुड़ी योजनाओं को गति दी.

भवन निर्माण विभाग के तहत पंचायत भवन, विवाह मंडप, स्वास्थ्य केंद्र और शहरी सुविधाओं से जुड़ी योजनाएं शुरू की गईं. उद्योग विभाग की योजनाओं में छोटे-बड़े औद्योगिक क्लस्टरों, प्रशिक्षण केंद्रों और आधारभूत ढांचे पर जोर दिया गया है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए तैयार की गई हैं.

चुनाव से पहले बड़ा संदेश: विकास ही एजेंडा

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के ठीक बाद विकास योजनाओं की यह बाढ़ महज संयोग नहीं मानी जा रही. राजनीतिक हलकों में इसे नीतीश कुमार का एक सोचा-समझा कदम बताया जा रहा है. दो चरणों में होने वाले चुनाव से पहले सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह उपलब्धियों के साथ मैदान में उतरेगी.

शहरों में बुनियादी ढांचे का विकास और गांवों में पंचायत स्तर पर योजनाओं का विस्तार—दोनों स्तरों पर सरकार ने काम दिखाकर विपक्ष को जवाब देने की कोशिश की है. इसके साथ ही यह संकेत भी दिया गया है कि नीतीश सरकार की प्राथमिकता चुनावी वादों से आगे निकलकर योजनाओं के जमीनी अमल पर है.

लोगों की जिंदगी में सीधे असर की कोशिश

इन योजनाओं का सबसे बड़ा पहलू यह है कि इनका असर सीधे आम लोगों के जीवन पर पड़ने वाला है. पंचायत भवनों, विवाह मंडपों, सड़कों और सिंचाई परियोजनाओं से ग्रामीण इलाकों की सुविधा और आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होगा. वहीं बिजली, उद्योग और पशु संसाधन विभाग की परियोजनाएं राज्य की अर्थव्यवस्था में स्थायी सुधार लाने की दिशा में कदम हैं.

नीतीश कुमार के विकास मॉडल की खासियत यह रही है कि यह योजनाएं केवल कागज पर नहीं, बल्कि कार्यारंभ के साथ मैदान में भी उतर रही हैं.

विकास बनाम राजनीति की नई जंग

नीतीश कुमार ने दो हफ्तों में 76 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात देकर एक बार फिर विकास को अपनी राजनीतिक ढाल और धार दोनों बना लिया है.

अब देखना यह होगा कि इन योजनाओं की चमक चुनावी रणभूमि में कितनी असरदार साबित होती है. लेकिन इतना तय है कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव केवल राजनीतिक गठबंधनों या नारों पर नहीं, बल्कि सड़कों, पुलों, ऊर्जा, सिंचाई और गांव-शहर की सुविधाओं पर भी टिका होगा—जहां नीतीश कुमार ने अभी से अपनी मजबूत पारी खेलनी शुरू कर दी है.

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