Bihar Congress: 7 बड़े नेता 6 साल के लिए निष्कासित, कांग्रेस पार्टी ने लिया सख्त एक्शन
Bihar Congress: बिहार कांग्रेस में चुनावी हार और अंदरूनी कलह के बीच अनुशासन की सबसे बड़ी कार्रवाई सामने आई है. पार्टी ने उन चेहरों पर गाज गिरा दी है, जो लंबे समय से संगठन की नीतियों से इतर जाकर बयानबाजी कर रहे थे और कांग्रेस हाईकमान के फैसलों को सार्वजनिक रूप से चुनौती दे रहे थे.
Bihar Congress: बिहार कांग्रेस में चल रही असंतोष और बागी तेवरों की लगातार शिकायतों के बीच पार्टी ने कड़ा कदम उठाते हुए सात नेताओं को छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है. टिकट वितरण से लेकर चुनावी रणनीति तक कई मुद्दों पर पार्टी मंच से बाहर जाकर बयान देने वाले नेताओं को अब संगठन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अनुशासन समिति ने साफ कहा है कि इन नेताओं की गतिविधियां पार्टी के अनुशासन उल्लंघन के दायरे में साफ तौर पर आती हैं.
कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई—7 बड़े चेहरे बाहर
कांग्रेस प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिलदेव प्रसाद यादव द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि सातों नेताओं से मांगे गए स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाए गए. इसलिए उन्हें छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है.
निष्कासित नेताओं में शामिल हैं—कांग्रेस सेवा दल के पूर्व उपाध्यक्ष आदित्य पासवान, बिहार कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष शकीलुर रहमान, किसान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार शर्मा, युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राज कुमार राजन, अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष कुंदन गुप्ता, बांका जिला अध्यक्ष कंचना कुमारी और नालंदा जिला के रवि गोल्डेन.
समिति ने कहा कि इन नेताओं की लगातार गतिविधियां पार्टी मंचों और अनुशासन के खिलाफ थीं, जिससे संगठन की विश्वसनीयता और छवि को नुकसान पहुंचा.
बयानबाजी बनी बड़ी वजह
अनुशासन समिति की रिपोर्ट के अनुसार, निष्कासित नेता लगातार कांग्रेस के कार्यक्रमों, फैसलों और चुनावी घोषणाओं के खिलाफ सार्वजनिक मंचों पर बयान दे रहे थे. टिकटों की खरीद–फरोख्त जैसे गंभीर आरोप सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में लगाए गए, जिसे पार्टी ने भ्रामक, निराधार और संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली कार्रवाई बताया.
पार्टी का कहना है कि टिकट वितरण से लेकर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति तक हर प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ पूरी की गई थी और एआईसीसी ने विस्तृत समीक्षा के बाद प्रत्याशी तय किए थे.
अनुशासनहीनता के चलते संगठन में पैदा हुआ भ्रम
कांग्रेस की अनुशासन समिति ने कहा कि इन नेताओं के बार-बार निर्देशों की अवहेलना करने और हाईकमान के फैसलों की सार्वजनिक अवमानना ने संगठन के भीतर भ्रम की स्थिति पैदा की. कई बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी उनका आचरण नहीं बदला, जिसके बाद कठोर कार्रवाई अनिवार्य हो गई.
समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पांडेय की सहमति से उन्हें विभिन्न चुनावी जिम्मेदारियां दी गई थीं, लेकिन उसके बाद भी उनका बर्ताव पार्टी विरोधी ही बना रहा.
बिहार कांग्रेस में अनुशासन की नई रेखा?
यह कार्रवाई बिहार कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में बड़ा संकेत मानी जा रही है. पार्टी विधानसभा चुनावी नतीजों के बाद लगातार संगठनात्मक सुधार और कमजोर कड़ियों को पहचानने में जुटी है. इस निष्कासन को हाईकमान के उस संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है कि अनुशासनहीनता को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
