Bihar Bridge Construction : गांवों को शहरों से जोड़ेगा सात सौ चार नए पुलों का जाल, दस सितंबर से होगा निर्माण कार्य शुरू
Bihar Bridge Construction : ग्रामीण कार्य विभाग ने संवेदकों को दी चेतावनी, 10 सितंबर से निर्माण कार्य शुरू करें वरना कर दिए जाएंगे ब्लैक लिस्टेड. इन पुलों के निर्माण से राज्य के हजारों गांवों को मिलेगा स्थायी और सुरक्षित सड़क संपर्क. मिसिंग ब्रिज की वजह से अधूरे रास्तों को नए पुलों का निर्माण कर किया जाएगा पूरा.
Bihar Bridge Construction : मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना के तहत 10 सितंबर से बिहार में 704 नए ग्रामीण पुलों का निर्माण शुरू होगा. 3,688 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले ये पुल गांवों को शहरों से जोड़ने और ग्रामीण संपर्क व्यवस्था को मजबूत करने का काम करेंगे.
सरकार ने निर्माण एजेंसियों को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि तय समय पर काम शुरू न करने पर उनकी जमानत राशि जब्त कर उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा.
गांवों तक पहुंचेगी विकास की राह
यह योजना उन ग्रामीण इलाकों के लिए बड़ी राहत है, जहां हर साल बारिश और बाढ़ के कारण आवाजाही ठप हो जाती है. कई जगह पुराने पुल जर्जर हो चुके हैं और कुछ मार्ग अधूरे पड़े हैं क्योंकि वहां पुल ही नहीं हैं. अब नए और मजबूत पुल बनाकर इन कमियों को पूरा किया जाएगा.
सबसे ज्यादा पुल पूर्वी चंपारण में
इस योजना के तहत सबसे अधिक 56 पुलों का निर्माण पूर्वी चंपारण में होगा. इसके अलावा दरभंगा में 38, गया, सिवान और सीतामढ़ी में 30-30, सारण और वैशाली में 28-28, भागलपुर और गोपालगंज में 27-27, रोहतास और शेखपुरा में 26-26, नालंदा में 24, बेगूसराय में 20 और पटना में 18 पुलों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है.
यानी उत्तर से दक्षिण बिहार तक यह योजना व्यापक असर डालेगी.
जनता की मांग से बनी योजना
यह योजना खास इसलिए भी है, क्योंकि इसमें आम जनता की मांग को सरकार ने प्राथमिकता दी है. “जनता के दरबार में मुख्यमंत्री” कार्यक्रम में आए प्रस्ताव और मुख्यमंत्री द्वारा की गई सार्वजनिक घोषणाएं, दोनों को इस योजना में शामिल किया गया है. यानी यह योजना सिर्फ विभागीय पहल नहीं बल्कि जनभागीदारी से बनी योजना है.
किसानों, छात्रों और आम लोगों को राहत
सरकार का मानना है कि यह सिर्फ पुलों का निर्माण नहीं बल्कि ग्रामीण जीवन को आसान बनाने की नींव है. किसानों को अब मंडियों तक अपने उत्पाद पहुंचाने में परेशानी नहीं होगी.
बच्चे सुरक्षित रास्तों से स्कूल जा सकेंगे और आपात स्थिति में मरीजों को शहरों के बड़े अस्पतालों तक ले जाना आसान हो जाएगा.
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