Bihar AQI: दिल्ली की ही हवा नहीं पटना और बिहार के गांव की हवा भी दमघोंटू, आपका जिला है इतना जहरीला
Bihar AQI: पटना समेत बिहार के सात शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ गया है. राजधानी सहित कई जिलों का एक्यूआई 200 से ऊपर पहुंचने के कारण शहर ऑरेंज जोन में दर्ज किए गए हैं, जिससे लोगों को खराब हवा में सांस लेनी पड़ रही है.
Bihar AQI: बिहार के कई शहरों में वायु प्रदूषण एक बार फिर चिंता का विषय बन गया है. राजधानी पटना सहित राज्य के सात शहरों की हवा खराब श्रेणी में पहुंच गई है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार पटना, आरा, हाजीपुर, बिहारशरीफ, बक्सर, राजगीर और समस्तीपुर ऑरेंज जोन में दर्ज किए गए हैं. इन शहरों का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 200 से 300 के बीच रिकॉर्ड किया गया है, जो सीधे तौर पर खराब हवा में सांस लेने का संकेत देता है.
पटना का AQI पहुंचा 343
शुक्रवार को पटना का औसत एक्यूआई 217 रहा, लेकिन राजधानी के कई इलाकों में स्थिति इससे कहीं ज्यादा गंभीर रही. वेटनरी मैदान इलाके में एक्यूआई 343 तक पहुंच गया, जिसे बेहद खराब श्रेणी माना जाता है. सचिवालय क्षेत्र में 253, दानापुर में 202, तारामंडल में 254 और गांधी मैदान इलाके में 163 एक्यूआई दर्ज किया गया. हालांकि पटना सिटी अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में रही, जहां एक्यूआई 90 दर्ज हुआ, जो संतोषजनक श्रेणी में आता है.
आरा और समस्तीपुर की हवा भी हुई जहरीली
अन्य शहरों की बात करें तो आरा का एक्यूआई 266, बिहारशरीफ 261, हाजीपुर 229, राजगीर 261 और समस्तीपुर 258 दर्ज किया गया. विशेषज्ञों के अनुसार इन आंकड़ों से साफ है कि प्रदेश के शहरी इलाकों में हवा की गुणवत्ता तेजी से गिर रही है.
प्रदूषण की मुख्य वजह वातावरण में बढ़े धूलकण बताए जा रहे हैं. पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर मानक से तीन गुना तक अधिक पाया गया है. शहरों में निर्माण कार्य, सूखी सड़कों और वाहनों से उड़ने वाली धूल इसके पीछे बड़ा कारण मानी जा रही है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने क्या कहा?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है. डॉक्टरों का कहना है कि जब एक्यूआई 300 के पार पहुंचता है तो हवा खतरनाक हो जाती है. आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और सिरदर्द जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं. फेफड़े और हृदय रोगियों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा रहता है. ऐसे लोगों को बाहर निकलने से बचना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मास्क का उपयोग करना चाहिए.
वहीं, प्रदूषण नियंत्रण को लेकर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं. आरोप है कि एंटी-स्मॉग जेट मशीनों से सड़कों की बजाय एक्यूआई मापने वाली मशीनों और उनके आसपास ज्यादा पानी का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे आंकड़ों पर असर पड़ सकता है. हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डॉ. डीके शुक्ला ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि मशीनों के पास पानी के छिड़काव से एक्यूआई रीडिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
