विदेशी मांग के अनुरूप अब खेती करेंगे बिहार के किसान, डॉलर में होगी फसल से कमाई, जानें सरकार की तैयारी

बिहार में किसानों के अच्छे दिन आएंगे. सरकार इसे लेकर अब नयी तैयारी कर रही है. किसानों को खेती के दौरान आने वाली बड़ी समस्याओं में एक उनके फसल को बाजार में सही कीमत नहीं मिल पाना भी है. जिसका समाधान भी अब जल्द निकल सकता है. राज्य के किसान अब स्टार्टअप और एग्रोपेन्योर बनने की तकनीक से अवगत कराये जायेंगे. उन्हें अब विदेशों में फसल निर्यात करने के बारे में जानकारी दी जायेगी. जिसकी मॉनिटरिंग बिहार कृषि विश्वविद्यालय करेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2021 11:20 AM

बिहार में किसानों के अच्छे दिन आएंगे. सरकार इसे लेकर अब नयी तैयारी कर रही है. किसानों को खेती के दौरान आने वाली बड़ी समस्याओं में एक उनके फसल को बाजार में सही कीमत नहीं मिल पाना भी है. जिसका समाधान भी अब जल्द निकल सकता है. राज्य के किसान अब स्टार्टअप और एग्रोपेन्योर बनने की तकनीक से अवगत कराये जायेंगे. उन्हें अब विदेशों में फसल निर्यात करने के बारे में जानकारी दी जायेगी. जिसकी मॉनिटरिंग बिहार कृषि विश्वविद्यालय करेगा.

बिहार के किसानों को अब बेहद कम रुपयों में अपने मेहनत-पसीने से उपजाये फसल को बेचने से मुक्ति मिलेगी. अब वो व्यापारियों से डॉलर में सौदा कर अपने फसलों को बेच पायेंगे. सरकार उन्हें इसके लिए ट्रेनिंग भी दिलवाने जा रही है ताकि वो निर्यात के तरीकों को जान सकें. यह जिम्मेदारी राज्य के कृषि विज्ञान केंद्रों को दी गई है. जिसकी निगरानी बिहार कृषि विश्विद्यालय करेगा.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एपीडा ने बिहार कृषि विश्विद्यालय को एक पत्र भेजा है.जिसमें इसकी तैयारी का निर्देश दिया गया है. सभी केवीके को किसानों और वैज्ञानिकों के साथ सरकार के बीच कड़ी बनने की सलाह दी गई है. किसानों को निर्यात और सप्लाई चेन की जानकारी दी जायेगी. उन्हें अंतराष्ट्रीय बाजार के भी बारे में बताया जायेगा.

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बिहार के किसानों को विदेश में कृषि क्षेत्रों की मांग के अनुरूप फसल उपजाने के बारे में प्रेरित किया जायेगा. उन्हें स्टार्टअप और एग्रीपेन्योर बनाने की तकनीक से अवगत कराया जायेगा. सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने को लेकर ये प्रयास कर रही है. इस क्रम में किसानों के फसलों का उत्पादन बढ़ाने से लेकर उसके मार्केटिंग को भी ध्यान में रखा गया है.प्रदेश की कई फसलों की मांग दूसरे देशों में भी की जाती है. लेकिन यहां के किसानों को इसके अहमियत अभी नहीं पता चल सके हैं. जिसके कारण उनकी रुची अभी बड़े स्तर पर नहीं जग सकी है. विदेशी मांग के अनुरूप अब खेती करेंगे बिहार के किसान तथा Hindi News से अपडेट के लिए बने रहें।

Posted By: Thakur Shaktilochan

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