Bhagalpur News: भागलपुर के दो वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, नैनो टेक्नोलॉजी से तैयार किए तीन फॉर्मूले, घर-घर बनेगा दर्जनों उत्पाद

Bhagalpur News: कम खर्च, ज्यादा असर और घर बैठे दर्जनों घरेलू व बायोमेडिकल प्रोडक्ट बनाने की सुविधा! भागलपुर के दो वैज्ञानिकों ने नैनो साइंस के जरिये यह कमाल कर दिखाया है.

By Pratyush Prashant | November 23, 2025 8:37 PM

Bhagalpur News:(संजीव झा, भागलपुर) भागलपुर के दो वैज्ञानिकों ने नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर आधारित तीन ऐसे फॉर्मूले तैयार किये हैं, जिनसे दर्जनों घरेलू उत्पाद तैयार किये जा सकेंगे. फॉर्मूला इतना सहज व आसान होगा कि लोग घर में ही खुद से प्रोडक्ट बना लेंगे. ये प्रोडक्ट लोगों को स्वस्थ व स्वच्छ रखने में सहायक होंगे. साथ ही हर घड़ी सहयोगी साबित होंगे.

दोनों वैज्ञानिक हैं- प्रो कमल प्रसाद व डॉ अनल कांत झा. अनल-कमल की यह वही जोड़ी है, जिन्हें आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी, पटना में वर्ष 2012 से 2015 तक नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी का केंद्र स्थापित करने और 2019 तक एमटेक व पीएचडी की पढ़ाई कराने का श्रेय जाता है. इन फॉर्मूलों को इंडियन पेटेंट ऑफिस में भेजा गया, जो इस ऑफिस की वेबसाइट पर प्रकाशित भी कर दी गयी है. अगले छह महीने में पेटेंट मिलने की उम्मीद है.

कौन-कौन से हैं तीनों फॉर्मूले, जिनमें नहीं है कोई साइड इफेक्ट

  1. घरेलू उत्पाद : इस टेक्नोलॉजी से फ्लोर क्लीनर, एयर फ्रेशनर, सैनिटाइजर आदि. अगर किसी के घर की सफाई में पांच लीटर पानी और 100 एमएल फिनाइल की जरूरत पड़ती है, तो फिनाइल की जगह नैनो टेक्नोलॉजी से बने प्रोडक्ट की दो बूंद ही काफी होगी.
  2. बायोमेडिकल प्रोडक्ट : एप्रन, मास्क, मेडिकेटेड बेडशीट, पर्दे, डोरमैट, एसी के एयर फिल्टर आदि. नैनो टेक्नोलॉजी से बने एप्रन, मास्क, घर व खिड़कियों आदि के पर्दे वायरस को अंदर आने से रोक देगा. इसकी बेडशीट पर सोने से बेडशोर नहीं होगा.
  3. कैंसर जांच : एआइ व मशीन लर्निंग के उपयोग से कैंसर सेल का पता लगाया जा सकेगा. कैंसर का पता पहले ही चल जायेगा. साथ ही अगर कैंसर हो गया है, तो उसके स्टेज की जानकारी भी आसानी से मिल जायेगी. यह काम भी लोग खुद कर सकेंगे

अमेजन पर दोनों किताबें कर दी गयी हैं उपलब्ध

तीनों फॉर्मूलों पर आधारित प्रोडक्ट बनाने की विधि व उपयोग पर दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. पहली पुस्तक एक्सप्लोरिंग द रियलम्स ऑफ नेचर फॉर नैनोसिंथेसिस है, जिसका प्रकाशन स्विटजरलैंड के प्रकाशक स्प्रिंगर प्रेस ने किया है. इसके लेखक राम प्रसाद, अनल कांत झा व कमल प्रसाद हैं. इसकी कीमत 99.99 यूरो (भारतीय बाजार में 10,216 रुपये) है. दूसरी पुस्तक नैनोफेब्रिकेशन है, जिसे यूएसए के प्रकाशक सीआरसी ने प्रकाशित किया है. इसकी कीमत 76 पॉन्ड (भारतीय बाजार में 8,811 रुपये) है. प्रकाशकों ने इसे खरीदने के लिए अमेजन पर उपलब्ध कराया है. इसके लेखक कमल प्रसाद, गजेंद्र प्रसाद सिंह व अनल कांत झा हैं.

अमेजन पर उपलब्ध,दोनों किताबें

कौन हैं दोनों वैज्ञानिक

प्रो कमल प्रसाद तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी फिजिक्स डिपार्टमेंट के अध्यक्ष हैं और डॉ अनल कांत झा पीजी केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के डेमोंस्ट्रेटर हैं. प्रो प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2002 में एक रिसर्च पेपर में प्रकाशित हुआ था कि माइक्रोवेव्स की मदद से नैनो पार्टिकल का निर्माण किया जा सकता है. इसे पढ़ना पूरा किया था और उसी समय कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ कर अनल कांत झा आये थे. उनकी मदद से काम शुरू किया.

आइआइटी मुंबई से मदद ली और उसकी लैबोरेट्री में टेस्टिंग के लिए नैनो पार्ट भेजना शुरू किया. गोल्ड, जिंक, आयुर्वेद से जुड़ी वस्तुओं आदि के दर्जनों नैनो पार्ट टेस्टिंग के लिए भेजे. जब टेस्टिंग में यह पास हुआ, तो आइआइटी के प्रोफेसर, डॉक्टर, एग्रीकल्चर से जुड़े वैज्ञानिकों की टीम बनायी, ताकि फील्ड में टेस्टिंग हो सके. सफलता मिलती गयी और आखिरकार तीन फॉर्मूले ईजाद हुए.

इसका पेटेंट मिलने के बाद लोग अपने घर पर ही तरह-तरह के उत्पाद तैयार कर रोजगार कर सकेंगे. उद्देश्य है नैनो टेक्नोलॉजी को रोजगार क्रांति से जोड़ना.

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