‘बदलो बिहार महाजुटान’ बिहार के लोगों का चुनावी एजेंडा तय करेगा : दीपंकर
भाकपा माले ने दो मार्च को पटना के गांधी मैदान में राज्यभर के आंदोलन के साथियों का महाजुटान आयोजित है.
भाकपा माले ने दो मार्च को पटना के गांधी मैदान में राज्यभर के आंदोलन के साथियों का महाजुटान आयोजित है. ‘ बदलो बिहार महाजुटान ’ के नाम से इस सम्मेलन की तैयारी जोर शोर से चल रही है. महाजुटान यानी पीपुल्स कन्वेंशन का एजेंडा क्या है, कौन लोग इसमें शामिल होंगे, सवाल पर भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य से राजनीतिक संपादक मिथिलेश ने बातचीत की. माले महागठबंधन का हिस्सा है. लिहाजा, चुनाव में सीटों के तालमेल आदि को लेकर पूछा गया तो माले महासचिव दीपंकर ने कहा कि बिहार में सीटों का समझौता अंत -अंत तक होता है.अभी वह समय नहीं आया है. अभी चुनाव का एजेंडा सेट करने का समय है. पार्टी चाहती है कि बिहार की जनता झारखंड की तरह ही चुनाव का एजेंडा तय कर ले. इसलिए हमने सभी आंदोलनरत साथियों को गांधी मैदान में जमा होने को कहा है. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश. q. बदलो बिहार महाजुटान का मुख्य एजेंडा क्या है? बिहार में इस साल चुनाव होने वाले हैं. यह तो तय है, लेकिन भाजपा चुनाव को झारखंड की तरह मंदिर-मस्जिद समेत दूसरे चीजों पर भटकाना चाहती है. हम चाहते हैं चुनाव का एजेंडा जमीनी सच्चाई पर आधारित हो. राज्य की जनता को लेकर आमलोगों में कैसी प्रतिक्रिया है? हम उनकी प्रतिक्रियाओं को देखते हुए बदलाव का एजेंडा लाना चाहते हैं. हम बेहतर विकल्प देंगे. q. महाजुटान में कौन-कौन से दल और लोग शामिल होंगे? यह महाजुटान किसी एक दल का नहीं है. हम दल के आधार पर किसी को नहीं बुला रहे हैं. पटना के गर्दनीबाग में जो रैली, धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, उन सभी आंदोलन के साथियों को हमने गांधी मैदान में आमंत्रित किया है. सौ से अधिक संगठन इसमें शामिल होंगे. सरकार और प्रशासन के लोग उनकी बात सुनते तो धरना देने की जरूरत ही नहीं होती. मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार हाें , लेकिन सत्ता भाजपा के हाथों में है. सरकार में बड़ी भागीदार भी भाजपा ही है. इसलिए सरकार की नीतियों से परेशान सभी तबके के लोग गांधी मैदान की रैली में शामिल होंगे.गांधी मैदान के मंच पर जनता अपनी विधानसभा लगायेगी. q. विधानसभा चुनाव में इस बार भाकपा माले की महागठबंधन में कितनी हिस्सेदारी होगी? विधानसभा चुनाव में अभी देर है. वैसे भी, बिहार में सीटों का तालमेल अंतिम समय में ही तय हो पाता है. अभी मुद्दा वह नहीं है. अभी चुनाव का एजेंडा तय करने की बात है. हम चाहते हैं, चुनाव इधर-उधर की बात पर नहीं हो. झारखंड में भाजपा मंदिर- मस्जिद और घुसपैठिये की बात कर जनता को उनके मुद्दों से भटकाना चाह रही थी. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. वहां जल- जंगल-जमीन का मुद्दा ही हावी रहा. q. इस आयोजन में प्रशांत किशोर भी आयेंगे? यह प्रशांत किशोर की बात नहीं है. वह कोई पार्टी नहीं हैं. हमने कहा कि जितने भी आंदोलन चल रहे, सबके प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे. किसान,गरीब,महिलाएं सभी तबके की इसमें भागीदारी होगी. पदयात्रा हुई है.न्याय यात्रा हुई. इस क्रम में जनता के जो भी सवाल आये, हम इन सभी मुद्दों पर गांधी मैदान में बात करेंगे. q. इसका मतलब यह हुआ कि कमान भाकपा माले की हाथों में ही होगी? जनता में यह अपेक्षा हमारे विधायकों से हैं कि वह जन सरोकार के मुद्दों को विधानसभा में उठाते रहे हैं आगे भी उठायेंगे. अब तो पार्टी के दो सांसद भी हो गये हैं. इसलिए उनकी भागीदारी तो निश्चित रूप से होगी. मंच पर भी वे होंगे. लोगों में भी इस रैली को लेकर उत्साह देखा जा रहा है. q. 2020 बिहार चुनाव के दौरान लालू जेल में थे. अब जब वे रिहा हो चुके हैं, तो क्या आपको लगता है कि वह विपक्षी गठबंधन में सक्रिय भूमिका निभाएंगे? यह सही है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में लालू जेल में थे, लेकिन उस चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना में बेहतर रहा. उनकी अपनी साख, लंबा राजनीतिक अनुभव और इतिहास है, लेकिन समय बदल चुका है. अब सभी दलों में नयी पीढ़ी के नेता अच्छा कर रहे हैं. यहां तक कि जनता दल (यूनाइटेड) में भी नीतीश कुमार के बेटे निशांत की राजनीति में एंट्री को लेकर चर्चाएं हो रही हैं.
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