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बिहार में कोसी के कहर से बचने में अब एआई करेगा मदद, नया वॉर्निंग सिस्टम इस तरह करता है अलर्ट…

AI Warning System: बिहार में मानसून के समय नदियों का जलस्तर बढ़ जाने से बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है. खास कर कोसी नदी के कहर को झेल पाना बेहद मुश्किल होता है. ऐसे में अब इस परेशानी से निपटने में एआई मदद करेगा. एआई बाढ़ को लेकर पहले ही अलर्ट कर देगा.

By Preeti Dayal | July 14, 2025 8:15 AM
बिहार में कोसी के कहर से बचने में अब एआई करेगा मदद, नया वॉर्निंग सिस्टम इस तरह करता है अलर्ट…

AI Warning System: बिहार में मानसून के दौरान कई नदियों में उफान आ जाता है. कोसी नदी में बाढ़ के कारण हर साल लोग इसकी विभीषिका झेलते हैं. लोगों को अपना घर तक छोड़ना पड़ जाता है. ऐसे में अब कोसी के कहर से निपटने में एआई की मदद ली जाएगी. दशकों से उत्तर बिहार के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त करने वाली इस नदी की बाढ़ पर नियंत्रण के लिए एक्सप्लेनेबल एआई की मदद ली जा रही है. जानकारी के मुताबिक, आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ऐसा सिस्टम तैयार किया है, जो कोसी नदी में बाढ़ के समय और इसकी विकरालता का समय रहते आंकलन कर सतर्क कर देगा.

समय रहते हो सकेगा बचाव

इस वार्निंग सिस्टम द्वारा उपलब्ध कराये गए आंकड़ों के आधार पर न सिर्फ बाढ़ से बचाव के इंतजाम, बल्कि लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजने की कार्रवाई भी समय रहते की जा सकेगी. इससे बाढ़ के दौरान जान-माल की हानि को कम किया जा सकेगा. आईआईटी रुड़की का यह शोध न सिर्फ तकनीकी तौर पर अत्याधुनिक है, बल्कि बिहार जैसे आपदाग्रस्त राज्य के लिए सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी भी है. इस शोध का वास्तविक असर उन लाखों लोगों पर होगा जो हर साल बाद से प्रभावित होते हैं.

पहले ही कर देगा अलर्ट

वहीं, एआई मॉडल की बात करें तो, इसको इस तरह विकसित किया गया है कि यह बाढ़ के पहले सटीक अलर्ट जारी कर सकता है. इससे प्रशासन को समय रहते राहत बचाव टीमों को सक्रिय करने, संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित निकालने और आपातकालीन संसाधन पहले से तैनात करने में बड़ी मदद मिलेगी.

सरकार को मिलेगी खास मदद

एआई की ओर से बनाये गये बाढ़ संभाव्यता मानचित्र की मदद से सरकार और स्थानीय निकाय अब यह तय कर पायेंगे कि कहां सड़कों, पुलों और आश्रयगृहों को मजबूत किया जाए या नये भवन कहां न बनें. इसके साथ ही बाढ़ के समय भूमि उपयोग नियमन के लिए भी यह डेटा महत्वपूर्ण आधार बनेगा.

रिसर्च की यह भी है खासियत…

इस रिसर्च की एक और खासियत यह बताई जा रही है, एक्सप्लेनेबल एआई . यह तकनीक यह भी बताती है कि किसी क्षेत्र को बाढ़ संभावित क्यों माना गया है, जिससे नीति-निर्माताओं को भरोसे के साथ निर्णय लेने में सुविधा होती है. इससे नीतिगत पारदर्शिता और जनता का विश्वास दोनों मजबूत होते हैं.

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