पटना हाइकोर्ट का फैसला : शराबबंदी के नाम पर दवा का लाइसेंस नहीं देना गलत
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी के मद्देनजर राज्य सरकार के आयुर्वेद और होमियोपैथ दवाओं के उत्पादन में अल्कोहल के इस्तेमाल पर लगायी गयी रोक को आज खारिज कर दिया. गत एक अप्रैल से बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद राज्य सरकार द्वारा गत 17 मार्च को एक अधिसूचना जारी […]
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी के मद्देनजर राज्य सरकार के आयुर्वेद और होमियोपैथ दवाओं के उत्पादन में अल्कोहल के इस्तेमाल पर लगायी गयी रोक को आज खारिज कर दिया. गत एक अप्रैल से बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद राज्य सरकार द्वारा गत 17 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर आयुर्वेद और होमियोपैथ दवाओं के उत्पादन में अल्कोहल के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस दिए जाने से इनकार कर दिया था. पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायाधीश समरेंद्र प्रताप सिंह की खंडपीठ ने इस मामले में दायर दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार की उक्त अधिसूचना को आज निरस्त कर दिया. अदालत ने सम्राट केमिकल इंडस्ट्री और श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन प्राइवेट लिमिटेड की याचिका की सुनवाई करते हुए खंडपीठ का मानना है कि राज्य सरकार को ऐसा आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है.
राज्य सरकार के वकील सरकार के आदेश के पक्ष में कहा कि कंपनियों को दवा के निर्माण के लिएस्प्रीट के इस्तेमाल की छूट दिये जाने पर अल्कोहल के उत्पादन के लिए गलत इस्तेमाल किया जा सकता है. याचिकाकर्ता के वकील सत्यवीर भारती और आलोक चंद्र का कहना था कि गलत इस्तेमाल की संभावना किसी को अपनी गतिविधि चलाने से नहीं रोक सकता है. भारती का कहना था दवा उत्पादन के लिए लाइसेंस देने से इनकार करने का अधिकार केंद्र सरकार को है, न कि राज्य सरकार को और ऐसा करने पर केंद्र को यह व्याख्या करनी होगी कि इसका लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने दलील रखी कि राज्य सरकार ने लाइसेंस नहीं देकर लोगों को व्यापार और व्यवसाय करने के उनके मौलिक अधिकार को छीन लिया है.
