नेपाल से नकली नोट छपकर आ रहे बिहार

पटना: बिहार में बड़े पैमाने पर नकली नोटों की तस्करी हो रही है. ये नोट पड़ोसी देश में छपकर बिहार के रास्ते आ रहे हैं. केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी है. इसके अनुसार, नेपाल में काठमांडू के पास तराई इलाके में एक बेहद आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 9, 2016 2:08 AM
पटना: बिहार में बड़े पैमाने पर नकली नोटों की तस्करी हो रही है. ये नोट पड़ोसी देश में छपकर बिहार के रास्ते आ रहे हैं. केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी है. इसके अनुसार, नेपाल में काठमांडू के पास तराई इलाके में एक बेहद आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस में भारतीय और नेपाली दोनों तरह की नकली नोटों की छपाई होती है.

बिहार और नेपाल की सीमा पूरी तरह से खुली होने के कारण आसानी से इन्हें बिहार के रास्ते पूरे देश में फैलाया जा रहा है. सीमावर्ती जिलों में इन नकली नोटों का कारोबार काफी पसरा हुआ है, लेकिन फिलहाल चिंता की बात है कि सिर्फ बड़ी खेप ही पकड़ में आ रही है. छोटे या कम मात्रा में लाये गये नकली नोट पकड़ में नहीं आ रहे हैं. इसके अलावा यह भी जानकारी मिली है कि बेहद असली दिखने वाले जाली नोट पाकिस्तान से छपकर आते हैं. इस बात की भी सूचना प्राप्त हुई है कि इनकी छपाई वहां की टकसाल में होती है, जिसके कारण इन्हें आमतौर पर पकड़ पाना मुश्किल होता है. हालांकि इस मामले की फिलहाल जांच चल रही है.

आतंकी और उग्रवादी मिलकर चला रहे नेटवर्क
नेपाल में जाली नोटों की छपाई कौन कर रहा है, इसकी सटीक जानकारी जुटाने में खुफिया एजेंसियां लगी हुई हैं. राज्य और केंद्र की खुफिया एजेंसी की एक संयुक्त टीम यहां की ‘टोह’ लेकर भी आयी है. यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि नेपाल में आतंकी और उग्रवादी मिलकर भी इस नेटवर्क को संचालित कर रहे हैं. फिलहाल इस पर विस्तृत काम चल रहा है. परंतु इसमें उग्रवादियों का हाथ होने की सूचना है. वहीं पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के साये में यह काम होता है.
एफ-नेट 1 नवंबर से हो जायेगा शुरू
केंद्र सरकार ने जाली नोटों के नेटवर्क की सतत मॉनीटरिंग करने और विस्तृत ब्योरा तैयार करने के लिए ‘एफ-नेट (फेक करेंसी नेटवर्क)’ नामक एक नयी प्रणाली विकसित की है, जो 1 नवंबर से काम करना शुरू कर देगा. इस नेटवर्क से देश और राज्य की सभी खुफिया एजेंसियां आपस में जुड़ जायेंगी. सीबीआइ, आइबी, डीआरआइ, एनआइए, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अलावा राज्य की इओयू, एटीएस, राज्य क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो जैसी सभी प्रमुख एजेंसियों का अपसी सामन्जस्य एक बेव आधारित प्लेटफॉर्म पर हो जायेगा. अगर कोई भी एजेंसी जाली नोट से संबंधित कार्रवाई या बरामदगी करती है, तो उसकी विस्तृत जानकारी इसमें दिये गये तय फॉरमेट में दर्ज कर देगी.
इस वर्ष दर्ज हुए इतने मामले
वर्ष मामले गिरफ्तारी बरामद
2011 51 53 2.30 करोड़
2012 29 69 52 लाख
2013 52 88 34 लाख
2014 32 38 35 लाख
2015 46 71 57 लाख
4.25 करोड़ जब्त : पिछले पांच वर्ष के दौरान राज्य में जाली नोट के 10 बड़े मामले पकड़े गये हैं. करीब 4.25 करोड़ जाली रुपये जब्त किये गये. 17 तस्कर भी गिरफ्तार किये गये हैं. खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की लगातार चौकसी जारी है. नेपाल-बिहार सीमा पर एसएसबी को ज्यादा अलर्ट कर दिया गया है और तलाशी करने के लिए कहा गया है.

Next Article

Exit mobile version