बिहार के 11 मनोनीत MLC पर हाई कोर्ट ने उठाए सवाल

पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बिहार विधान परिषद के 12 मनोनीत सदस्यों को लेकर गंभीर रुख अख्तियार किया है. सोमवार को इस मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की कोर्ट में सुनवाई आरंभ हुई.शुरू में कोर्ट सरकार को नोटिस जारी करने जा रही थी. लेकिन, सरकारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 11, 2016 8:21 PM

पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बिहार विधान परिषद के 12 मनोनीत सदस्यों को लेकर गंभीर रुख अख्तियार किया है. सोमवार को इस मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की कोर्ट में सुनवाई आरंभ हुई.शुरू में कोर्ट सरकार को नोटिस जारी करने जा रही थी. लेकिन, सरकारी वकील के यह कहे जाने पर की सरकार मनोनयन कोटे के सभी सीटों पर मनोनीत सदस्यों की विशेषता के बारे में विस्तृत जानकारी देगी, नोटिसपर को रोक लिया गया. सरकारी वकील के आश्वासन के बाद कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख सोमवार को दी है.

कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार के जवाब से वह संतुष्ट नहीं हुई तो सरकाार और सभी सदस्यों को नोटिस जारी कर यह पूछा जायेगा कि आप किस चीज के विशषज्ञ हैं. उनसेउनकी विशेषज्ञता के बारे में जानकारी मांगी जायेगी. 22 मई, 2014 को सरकार ने 12 लोगों को बिहार विधान परिषद में मनोनयन कोटे से मनोनीत किया था. बिहार सरकार ने राम लषण राम रमण, विजय कुमार मिश्र, सम्राट चौधरी, राणा गंगेश्वर , जावेद इकबाल अंसारी, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, शिवप्रसन्न सिंह यादव, संजय कुमार सिंह-1, डॉ. रामवचन राय, ललन सर्राफ, डॉ. रणवीर नंदन और रामचंद्र भारती को मनोनीत किया है.

नियम और प्रावधान के मुताबिक विधान परिषद में साहित्यकार, शिक्षा विद ,कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता का कोटा निर्धारित है. इन तबके के 12 लोगों को मनोनीत करने का प्रावधान है. लेकिन सरकार ने अपनी पार्टी के कुछ नेताओं को मनोनीत किया है. कई सदस्य ऐसे हैं जो ना तो कलाकार हैं. ना ही साहित्यकार हैं और न ही शिक्षा विद हैं. इनमें से एक सदस्य सम्राट चौधरी की सदस्यता पहले ही रद्द हो चुकी है.

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