नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली के हाथों ‘धोखाधड़ी का शिकार” हुए : जेठमलानी

पटना : विदेशों में जमा काले धन को वापस नहीं ला पाने को लेकर महागठबंधन की आलोचनाओं से घिरे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी ने आज कहा कि वह नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली के हाथों ‘धोखाधड़ी का शिकार’ हुए. जेठमलानी ने यहां कहा, ‘‘मैंने देश के नेता के तौर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 4, 2015 2:08 PM

पटना : विदेशों में जमा काले धन को वापस नहीं ला पाने को लेकर महागठबंधन की आलोचनाओं से घिरे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी ने आज कहा कि वह नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली के हाथों ‘धोखाधड़ी का शिकार’ हुए.

जेठमलानी ने यहां कहा, ‘‘मैंने देश के नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी का प्रचार करके जो किया, उसका प्रायश्चित करने मैं आज यहां आया हूं. मैंने सोचा था कि भगवान ने उन्हें भारत को बचाने के लिए अपने औलिया के रुप में भेजा है. मैं कैसे धोखाधडी का शिकार हो गया.’ वह यहां ‘वन रैंक वन पेंशन’ के लिए पूर्व-सैनिकों की मांग के सिलसिले में आये थे.

जेठमलानी ने कहा कि केंद्र में रही संप्रग सरकार और मौजूदा मोदी नीत सरकार, दोनों ने ही विदेशी पनाहगाहों से काले धन को वापस लाने के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने काला धन रखने वाले लोगों के नाम सार्वजनिक नहीं होने के लिए पी चिदंबरम और अरुण जेटली दोनों को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अगर हम वाकई काला धन वापस लाना चाहते हैं तो पी चिदंबरम और अरण जेटली दोनों को पहले गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. जेटली ने ‘दोहरा कराधान बचाव संधि’ (डीएटीटी) की आड में सहारा लिया.’ वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि जर्मनी की सरकार ने विदेश में काला धन रखने वाले 1400 लोगों के नाम बताये थे और जर्मनी की सरकार भारत सरकार के साथ निशुल्क सूचना साझा करने को भी तैयार थी लेकिन उसने शर्त लगाई थी कि सरकार की ओर से लिखित अनुरोध होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने भाजपा नेताओं को दो पंक्ति का पत्र लिखा था और उनमें से किसी ने पत्र पर दस्तखत नहीं किये.’

जेठमलानी के अनुसार विदेशी कर पनाहों में 1500 अरब डॉलर जमा हैं जो 90 लाख करोड़ रुपये के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार देश में एक भी डॉलर वापस नहीं ला सकी है. अगर सरकार काला धन वापस लाने में सफल होती तो उसे ‘ओआरओपी’ पर पूर्व-सैनिकों की मांगों को मानने में किसी आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार से शुरुआत होनी चाहिए. उन्हें हराइए. उन्होंने राम जेठमलानी को बेवकूफ बनाया है लेकिन बिहार की जनता मूर्ख नहीं बनेगी.’ आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों पर वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘यह इस बारे में बात करने का समय नहीं है और यह केवल संविधान संशोधन से ही हो सकता है, संघ के निर्देशों पर यह नहीं होगा.

‘ आरक्षण व्यवस्था को जारी रखने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पिछडे वर्ग के लोग उस स्तर पर नहीं पहुंचे हैं जहां आरक्षण को समाप्त किया जा सके. यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक यह तबका खुद को दूसरों के साथ स्पर्धा करने में सक्षम नहीं समझे.’ इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट के अध्यक्ष मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि वे उन सभी जगहों पर जाएंगे, जहां चुनाव होने हैं और वे लोगों को, खासकर सैनिकों को उन पार्टियों के लिए वोट देने के लिए जागरक करेंगे जो उनकी बात करते हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 2.5 लाख सैन्यकर्मी हैं जो करीब 25 लाख वोटों को प्रभावित कर सकते हैं, इनमें सेवारत, सेवानिवृत्त कर्मी और युद्ध विधवाएं शामिल हैं. ओआरओपी के मुद्दे को राजनीतिक रंग दिये जाने पर नाराजगी जताते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) अनिल सिन्हा ने कहा कि इस विषय का प्रदेश में हो रहे चुनावों से कोई लेनादेना नहीं है.

हालांकि सिन्हा को यह कहते हुए कार्यक्रम स्थल से बाहर होने पर मजबूर कर दिया गया कि वह जनरल वी के सिंह के समूह से हैं. बाद में लेफ्टिनेंट कर्नल सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वह ओआरओपी पर बात करना चाहते थे और राज्य में चुनावों का केंद्र सरकार या ओआरओपी से क्या लेनादेना.

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