जमीन अपनी, खतियान में नाम किसी और का

वर्षो से नहीं हुआ जमीन का सर्वे, जमीन- खरीद बिक्री तो हो रही, पर खतियान अपडेट नहीं हो रहा अनुपम कुमारी पटना : लैंड एंड रिफॉर्म्स डिपार्टमेंट द्वारा लगभग सौ सालों से जमीन सर्वे का काम नहीं कराया जा सका है. इससे सौ साल पहले, जिन जमीनों पर किसी एक व्यक्ति का मालिकाना हक हुआ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2015 7:58 AM
वर्षो से नहीं हुआ जमीन का सर्वे, जमीन- खरीद बिक्री तो हो रही, पर खतियान अपडेट नहीं हो रहा
अनुपम कुमारी
पटना : लैंड एंड रिफॉर्म्स डिपार्टमेंट द्वारा लगभग सौ सालों से जमीन सर्वे का काम नहीं कराया जा सका है. इससे सौ साल पहले, जिन जमीनों पर किसी एक व्यक्ति का मालिकाना हक हुआ करता था.
वह आज भी उन्हीं के नाम है. जमीन क ी खरीद-बिक्री तो हुई, लेकिन खतियान अपडेट नहीं किया गया. इससे खतियान में अब भी सौ साल पुराने मालिक का नाम दर्ज है. सर्वे नहीं होने से सरकार के पास लैंड रिकॉर्ड के रूप में जो खतियान है, उसमें अब तक कोई बदलाव नहीं किया गया है. जमीन खरीद-बिक्री होने के बाद दाखिल-खारिज में दर्ज तो किये जा रहे हैं, लेकिन सर्वे नहीं होने से खतियान में कोई बदलाव नहीं हो सका है. इससे जमीन बिक्री के बावजूद खतियान में दर्ज मालिकाना हक अभी भी बरकरार है, उसमें कोई संशोधन अब तक नहीं हो सका है.
आउटडेटेड खतियान से बढ़ रही है परेशानी
विभाग के आउटडेटेड खतियान से रजिस्ट्री करानेवाले लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है. निबंधन कार्यालय की मानें, तो खतियान में कोई चेंज नहीं होने से फर्जी रजिस्ट्री की संभावना बढ़ जाती है.
साथ ही यदि सौ साल पुराने खतियान यदि फट या गुम हो जाते हैं, तोउसका कोई नया रिकार्ड नहीं मिल सकेगा. इसके साथ ही खतियान में दर्ज नक्शा के आधार पर जमीन की पूरी जानकारी मिल जाती है. इससे किसी प्रकार के फर्जीवाड़े पर पूरी तरह से रोक लग जाती है.
समय-समय पर सर्वे से अपडेट हो पायेगा
विभाग के अनुसार सर्वे के बाद रजिस्टर वन के रूप में खतियान तैयार किया जाता है. उसे कभी बदला नहीं जा सकता, बल्कि सर्वे करा कर उसे अपडेट किया जा सकता है. खतियान को अपडेट रखने के लिए समय-समय पर सर्वे कराया जाना जरूरी है. लंबे समय तक यदि सर्वे नहीं कराया जाता है, तो खतियान पूरी तरह से अपडेट करना मुश्किल हो जायेगा. इससे सरकार के पास जमीन व उसके मालिक, जमीन का एरिया व श्रेणी की पूरी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी.
खतियान का अर्थ है रिकॉर्ड ऑफ राइट. सर्वे नहीं होने से खतियान अपडेट नहीं हो पाया है. ऐसे में सौ साल पुराने खतियान के फट जाने व खराब हो जाने की स्थिति में नकल मिलना मुश्किल हो रहा है.
इसके अलावा किस व्यक्ति के नाम कितनी जमीन है यह खतियान के आधार पर ही तय किया जा सकता है. इसके नहीं होने से जमीन विवाद के केसेज बड़ी संख्या में कोर्ट में दर्ज तो किये जा रहे हैं, लेकिन कोई प्रूफ नहीं होने से अधिकांश मामले लंबित हो जा रहे हैं.
अनिल कुमार सिन्हा उद्योगी, अध्यक्ष, समाहरणालय अधिवक्ता संघ सह अधिवक्ता
1911 से 2008 तक चलता रहा सर्वे का सिलसिला
लैंड विभाग की मानें तो बिहार भर में अलग-अलग जिले में अलग-अलग समय में सर्वे कराये गये. इसके अनुसार वर्ष 1911 में सीएस सर्वे कराया गया. इसके बाद 1933 में म्यूनिसिपल (शहरी क्षेत्र ) के लिए एमएस सर्वे, तो 1980 से रीविजनल सर्वे (देहाती क्षेत्र ) के लिए कराये गये, जो वर्ष 2008 तक चला.
इसके बाद वर्ष 2011 में विशेष सर्वे एवं बंदोबस्ती अधिनियम लागू किया गया. इसके बाद पूर्व से चल रहे सर्वे पर रोक लगा कर नये अधिनियम के अनुसार सर्वे की जानी थी. इसके अनुसार बिहार के कुछ जिले में सर्वे कार्य शुरू भी कराये गये, लेकिन वह पूर्ण रूप से लागू नहीं हो सका. इससे 1911 के बाद सर्वे तो हुए पर आधे-अधूरे.