भाजपा 2000 की स्थिति की आज से तुलना कर भ्रम फैला रही है : नीतीश

पटना: वर्ष 2000 में तत्कालीन राज्यपाल विनोद चंद्र पांडेय के अभिभाषण का हवाला दे कर भाजपा द्वारा हमला बोले जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को भाजपा पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि वर्ष 2000 और आज की परिस्थिति अलग-अलग हैं. तब राज्यपाल महोदय ने आमंत्रण दिया था. कई दलों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2015 7:16 AM
पटना: वर्ष 2000 में तत्कालीन राज्यपाल विनोद चंद्र पांडेय के अभिभाषण का हवाला दे कर भाजपा द्वारा हमला बोले जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को भाजपा पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि वर्ष 2000 और आज की परिस्थिति अलग-अलग हैं. तब राज्यपाल महोदय ने आमंत्रण दिया था. कई दलों की गंठबंधन की सरकार थी. हमारे साथ 152 विधायक थे. तब राज्यपाल महोदय ने सात दिनों का वक्त दिया था. आज तो सब कुछ क्लियर है.

नेता चुना गया, विश्वासमत हासिल करने का आवेदन दिया गया. विधायकों ने राज्यपाल और राष्ट्रपति के समक्ष परेड तक की. भाजपा इसमें लगातार बाधा उत्पन्न कर रही है. उन्होंने भाजपा से ही पूछा है कि वही बताये किसकी सरकार चल रही है? आज जो राजनीतिक माहौल बिगड़ा है, उसके लिए भाजपा जिम्मेवार है, दूसरा कोई नहीं. कैसे बहुमत साबित करेंगे जीतन राम मांझी? संविधान के 10 शिड्यूल में दो तिहाई सदस्य ही दल-बदल कर सकते हैं.

इक्के-दुक्के दल-बदल करते हैं, तो उनकी सदस्यता चली जायेगी. मांझी जी जबरदस्ती सरकार में बने हैं. वे सरकार बचाने के लिए तरह-तरह का प्रलोभन दे रहे हैं. भाजपा भी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगी है. वह अव्यवस्था फैलाने की कोशिश कर रही है. उन्हें परदे के पीछे से भाजपा समर्थन दे रही है. राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा ने यही किया था, तब भाजपा की कलई खुल गयी थी. सच तो यह है कि भाजपा जदयू को कमजोर करना चाह रही है. इस नाम पर वह लोकतंत्र को भी कमजोर करने में जुटी है. भाजपा की कथनी और करनी में कोई ताल-मेल नहीं है.

दिल्ली में भाजपा का सुपड़ा साफ क्यों हो गया? जम्मू में बाप-बेटी की पार्टी कह कर पीडीपी का विरोध किया गया, आज उसी के साथ समझौता करने को लालायित है भाजपा. लोक सभा चुनाव में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही गयी, किसानों के साथ न्याय करने और हर गरीबों के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा कराने की बात कही गयी, हुआ क्या? सच तो यह है कि भाजपा चुनाव के वक्त जो कहती है, उस पर कभी अमल नहीं करती. दिल्ली चुनाव में क्या हुआ? वोट के लिए दिल्ली में रह रहे एक-एक बिहारी के घर गये, किंतु एक वोट भी नहीं ले पायी भाजपा. अब झारखंड में भाजपा बाबू लाल मरांडी की पार्टी तोड़ने में लगी है.

भाजपा बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है. मुङो सीन से आउट करना चाह रही थी. वह तरह-तरह के तिकड़म कर रही है. अब गुप्त मतदान की बात कर रही है भाजपा. गुप्त समर्थन से लोकप्रिय सरकार नहीं चलती. विधानसभा में व्हीप का उलंघन करनेवालों की सदस्यता जायेगी. विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी संविधान के प्रावधानों के तहत काम कर रहे हैं. भाजपा उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है. अब उनके खिलाफ सीबीआइ का मामला उछाल रही है. भाजपा के लिए बिहार में अपनी दाल गलाने का कोई चांस नहीं है. मैदान में हम कूद चुके हैं. 20 को विधान सभा में हम बहुमत साबित करेंगे.

(सभार: सहारा समय )