कैदियों पर मेहरबान 24 जेलकर्मी रडार पर
बिहार की जेल व्यवस्था में वर्षों से चली आ रही ‘छुपी हुई व्यवस्था ’ के अस्तित्व की पुष्टि दो हालिया छापेमारियों ने कर दी है.
अनुज शर्मा, पटना बिहार की जेल व्यवस्था में वर्षों से चली आ रही ‘छुपी हुई व्यवस्था ’ के अस्तित्व की पुष्टि दो हालिया छापेमारियों ने कर दी है. गोपालगंज के चनावे मंडल कारा में दो दिसंबर को डीएम और एसपी की संयुक्त छापेमारी में मोबाइल और कैश मिलने के बाद राज्य सरकार ने पूरे जेल तंत्र को जांच के दायरे में ला दिया है. इस छापेमारी से पहले 29 नवंबर को राज्य की सभी जेलों में की गयी औचक तलाशी में जिस संगठित नेटवर्क की तरफ संकेत मिले थे, अब विभागीय रिपोर्टें उस पूरे गठजोड़ को नामों सहित चिह्नित कर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक कारा एवं सुधार सेवाएं निरीक्षणालय ने शुरुआती रिपोर्ट में दो दर्जन से अधिक कर्मियों को रडार पर रखा है. इन पर कैदियों को खास लाभ और प्रतिबंधित सुविधाएं देने के आरोप हैं. यह नेटवर्क उपकारा से लेकर मंडल कारा तक फैला हुआ है और संचालन में सबसे अहम भूमिका जेल के अंदर तैनात कर्मचारियों की बताई जा रही है. उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी पहले ही साफ कर चुके हैं कि जेलों में नियम तोड़ने वालों के लिए कोई जगह नहीं. दो साल में 118 पर कार्रवाई रिकॉर्ड बताते हैं कि यह समस्या गहराई तक जमी है. बेतिया के सहायक कारा अधीक्षक मिथिलेश कुमार को प्रतिबंधित सामान पहुंचाने के आरोप में निलंबित किया गया था. भागलपुर के उपाधीक्षक कारा अखिलेश कुमार को कुख्यात नईम मियां से जुड़ी गोपनीय जानकारी लीक करने पर पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है. जनवरी 2024 से अब तक 118 पदाधिकारी कार्रवाई का सामना कर चुके हैं. विजिलेंस विंग हुई सक्रिय छापेमारियों के बाद कारा एवं सुधार सेवाएं निरीक्षणालय की विजिलेंस को फुल एक्टिव मोड में डाल दिया गया है. यह विंग निगरानी विभाग के साथ मिलकर मुलाकात प्रणाली से लेकर अवैध पहुंच और आर्थिक भ्रष्टाचार तक पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है. सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई की तैयारी है. इसमें दोषी अधिकारियों को सिर्फ निलंबन ही नहीं बल्कि विभागीय और दंडात्मक प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ सकता है.
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