24 घंटे बिजली का दावा, पटना के कई अस्पतालों में 10 घंटे चल रहा जेनरेटर

प्रहलाद कुमार पटना : राज्य में शहरी इलाकों में 24 घंटे और गांवों में 18 से 22 घंटे तक बिजली उपलब्ध है. बावजूद इसके राजधानी के सरकारी अस्पतालों में जेनरेटर चलने के नाम पर लाखों रुपये की डीजल खरीद हो रही है. दूरदराज जिलों की कौन कहे, पटना के ग्रामीण सरकारी अस्पतालों में 10 घंटे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 23, 2020 8:31 AM
प्रहलाद कुमार
पटना : राज्य में शहरी इलाकों में 24 घंटे और गांवों में 18 से 22 घंटे तक बिजली उपलब्ध है. बावजूद इसके राजधानी के सरकारी अस्पतालों में जेनरेटर चलने के नाम पर लाखों रुपये की डीजल खरीद हो रही है. दूरदराज जिलों की कौन कहे, पटना के ग्रामीण सरकारी अस्पतालों में 10 घंटे तक जेनरेटर चलाया जा रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति के आंकड़े यही कह रहे हैं.
24 घंटे बिजली मिलने के बाद भी सरकारी अस्पतालों में जेनरेटर के लिए डीजल खरीद के नाम पर पैसे का खेल हो रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति के आंकड़ों को देखें, तो कुछ अस्पतालों में 10 घंटे तक बिजली नहीं रहती है. जेनरेटर चलने के पीछे डॉक्टर लो वोल्टेज का हवाला दे रहे हैं.
जिला स्वास्थ्य समिति और बिजली विभाग के आंकड़ों में खेल
जिला स्वास्थ्य समिति के आंकड़ों को देखें, तो मालूम होता है कि अस्पतालों में बिजली आपूर्ति कम है. इस कारण से एक महीने में धनरुआ में 235 घंटे, मसौढ़ी में 330.55 घंटे, पंडारक 366.11 घंटे जेनरेटर चलाया जा रहा है.
दूसरी ओर उर्जा विभाग के आंकड़ों को देखें, तो प्रतिदिन राज्यभर में चार हजार मेगावाट बिजली की खपत है और पटना जिले में 1000 मेगावाट खपत होती है. हॉस्पिटल में जेनरेटर अधिक चलने के दो कारण हैं. इसमें पहला कारण है कि ऑपरेशन चल रहा हो या लो वोल्टेज की परेशानी हो. ऑपरेशन के समय अधिक से अधिक जनरेटर की खपत होती है.
सिविल सर्जन की विशेष स्थापना से होता है भुगतान
अधिकारियों के मुताबिक सिविल सर्जन कार्यालय स्थापना से विशेष अदायगी से भुगतान होता है. लेकिन इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं होती है कि कहां पर किस अस्पताल में कितना जनरेटर चला और कितना भुगतान किया गया है. पूछे जाने पर कहा गया कि हमलोगों को जब कहा जाता है. तो हम हर माह की रिपोर्ट बनाते हैं. वरना बिल आता है. तो उसी पर भुगतान कर दिया जाता है जनरेटर का भुगतान हमारे माध्यम से नहीं होता है. आउटसोर्सिंग पर दिया गया है. जिस हॉस्पिटल में जनरेटर चलता है, वहां डयूटी पर तैनात डॉक्टरों को हर दिन साइन करना होता है.
-डॉ राजकिशोर चौधरी, सिविल सर्जन, पटना.
राज्य में बिजली की कोई कमी नहीं है. ग्रामीण इलाकों में किसी कारण ब्रेक डाउन होता है. तो उसे ठीक करने में थोड़ा बहुत समय लगता है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगातार बिजली की आपूर्ति हो रही है.
-संजीव सिन्हा, एमडी, साउथ बिहार पावर डिस्टिीव्यूशन कंपनी लिमिटेड.

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