पिछड़ों को घोखा देनेवालों को कर्पूरी जयंती मनाने का अधिकार नहीं : सुशील मोदी, जननायक को भारत रत्न देने की मांग की

पटना : भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित जननायक कर्पूरी ठाकुर की 96वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भारत सरकार से स्व कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की उपाधि से नवाजे जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि बाद के दिनों में अतिपिछड़ों की सूची में करीब दो दर्जन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 24, 2020 6:45 PM

पटना : भाजपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित जननायक कर्पूरी ठाकुर की 96वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भारत सरकार से स्व कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की उपाधि से नवाजे जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि बाद के दिनों में अतिपिछड़ों की सूची में करीब दो दर्जन नयी जातियों को जोड़ा गया है, इसलिए आनेवाले दिनों में पंचायत में अति पिछड़ों के कोटा को बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है.

उपमुख्यमंत्री ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘पिछड़ों-अतिपिछड़ों को घोखा देनेवाले राजद को कर्पूरी जयंती मनाने का अधिकार नहीं है.पिछड़ों के नाम पर राजनीति करनेवाले राजद-कांग्रेस ने हमेशा पिछड़ों को धोखा दिया है. 1952 में गठित काका कालेलकर कमेटी की रिपोर्ट 1953 में आ गयी थी, मगर कांग्रेस को उसे लागू करने की हिम्मत नहीं हुई थी. इसी प्रकार जनसंघ के सहयोग से 1977 में बनी मोरारजी की सरकार ने मंडल कमीशन का गठन किया. मगर, 10 वर्षों तक कांग्रेस उसकी रिपोर्ट को लागू नहीं कर पायी.’

साथ ही कहा कि ‘जननायक कर्पूरी ठाकुर की सरकार ने सरकारी नौकरियों में पिछड़ों को आरक्षण दिया. इस सरकार में जनसंघ के कैलाशपति मिश्र भी शामिल थे.’ मंडल कमीशन की रिपोर्ट भी भाजपा के समर्थन से चलनेवाली बीपी सिंह की सरकार ने लागू की. बिहार में जब 2005 में एनडीए की सरकार बनी, तब जाकर स्थानीय निकायों में अति पिछड़ों को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. नतीजतन आज अतिपिछड़ा समाज के 1600 से ज्यादा मुखिया चुन कर आये हैं. राजद-कांग्रेस ने तो 2003 में आरक्षण का प्रावधान किये बिना 27 वर्षों के बाद हुए पंचायत चुनाव में पिछड़ों की हकमारी की.

उन्होंने कहा किनरेंद्र मोदी द्वारा सवर्ण गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विरोध करनेवाले राजद ने कर्पूरी ठाकुर द्वारा ऊंची जाति के गरीबों को दिये गये तीन प्रतिशत आरक्षण को सत्ता में आने के बाद खत्म कर दिया था. बिहार की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी.पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सर्वाधिक 25 अतिपिछड़ों को टिकट दिया, जिनमें से 12 जीत कर आये. जदयू के सात के साथ आज विधानसभा में एनडीए के 19 विधायक अतिपिछड़ा समाज से हैं. राजद-कांग्रेस ने मात्र पांच को टिकट दिया था. इनमें से तीन जीते थे. लोकसभा में एनडीए के सात सांसद अतिपिछड़ा वर्ग से हैं. भाजपा अतिपिछड़ों की हमेशा से हितैषी रही है.

Next Article

Exit mobile version