बिहार म्यूजियम टिकट घोटाला : आरोपित अधिकारियों के बयान दर्ज, एएसपी की सुपरविजन रिपोर्ट का इंतजार

पटना : बिहार संग्रहालय में टिकट के लाखों रुपये गबन करने के मामले में कोतवाली थाने में दर्ज प्राथमिकी मामले में एएसपी विधि व्यवस्था स्वर्ण प्रभात के सुपरविजन का इंतजार है. मामले के अनुसंधानकर्ता सुबोध मंडल ने सभी आरोपितों का बयान दर्ज कर लिया है. इनमें उन लोगों ने संलिप्तता होने से साफ तौर पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 16, 2019 8:18 AM

पटना : बिहार संग्रहालय में टिकट के लाखों रुपये गबन करने के मामले में कोतवाली थाने में दर्ज प्राथमिकी मामले में एएसपी विधि व्यवस्था स्वर्ण प्रभात के सुपरविजन का इंतजार है. मामले के अनुसंधानकर्ता सुबोध मंडल ने सभी आरोपितों का बयान दर्ज कर लिया है. इनमें उन लोगों ने संलिप्तता होने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है.

बिहार संग्रहालय के निदेशक मो युसुफ के बयान के आधार पर संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष संग्रह मौमिता घोष, पूर्व अपर निदेशक जय प्रकाश नारायण सिंह, संग्रहालयाध्यक्ष इतिहास रणवीर सिंह राजपूत, पूर्व आउटसोर्स आइटी मैनेजर सुमित कुमार व पूर्व लेखापाल योगेंद्र प्रसाद पाल के खिलाफ कोतवाली थाने में दो सितंबर को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. एसएसपी गरिमा मलिक ने बताया कि मामले में जांच चल रही है. एएसपी खुद मामले की जांच कर रहे हैं. जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है.

क्या दिया गया है प्राथमिकी में

मो युसुफ ने लिखित शिकायत में बताया है कि बिहार संग्रहालय में टिकट क्रय के लिए जयप्रकाश सिंह, मोमिता घोष, रणवीर सिंह व सुमित कुमार की एक कमेटी बनायी गयी थी. इसमें उन्हें कम कीमत पर टिकट छपवाने के लिए एजेंसी का चयन करने की जिम्मेदारी दी गयी थी. कमेटी द्वारा आठ फरवरी, 2018 को टिकट छपवाने के लिए एसके नगर स्थित एमएस कलाकारी ऑफसेट एजेंसी का चयन किया गया था. क्योंकि, उसका रेट सबसे कम था. 1.50 लाख टिकट खरीदने के लिए आदेश दिया गया था. लेकिन, इसके पूर्व ही छह फरवरी को ऊंचे दाम पर टिकट की खरीद की गयी और बिक्री की गयी. प्राथमिकी के अनुसार मोमिता घोष ने टिकट की बिक्री की राशि को बांट कर गबन कर लिया है.

हमेशा विवादों में रहा है बिहार संग्रहालय

बिहार संग्रहालय हमेशा विवादों में रहा है. संग्रहालय के अधिकारियों के बीच मारपीट भी हो चुकी है. निदेशक मो युसुफ के साथ मारपीट के आरोप में तत्कालीन अपर निदेश जयप्रकाश सिंह को भी हटाया जा चुका है. पूर्व लेखापाल गबन के आरोप में बर्खास्त हो चुके हैं.