राजद नेता रघुवंश प्रसाद के चूड़ा-दही भोज में नहीं पहुंचा कोई बड़ा नेता, यूपी में गठबंधन और सवर्णों के आरक्षण पर खुलकर बोले, कहा…

पटना : राजद के वरिष्ठ नेता व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद ने मकर संक्रांति को लेकर बुधवार को पटना के कौटिल्य नगर स्थित अपने निवास पर चूड़ा-दही का भोज आयोजित किया. इस मौके पर राजद का कोई भी बड़ा चेहरा भोज में शामिल नहीं हुआ. रघुवंश के चूड़ा दही भोज में महागठबंधन का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 16, 2019 3:25 PM

पटना : राजद के वरिष्ठ नेता व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद ने मकर संक्रांति को लेकर बुधवार को पटना के कौटिल्य नगर स्थित अपने निवास पर चूड़ा-दही का भोज आयोजित किया. इस मौके पर राजद का कोई भी बड़ा चेहरा भोज में शामिल नहीं हुआ. रघुवंश के चूड़ा दही भोज में महागठबंधन का भी कोई बड़ा नेता शामिल नहीं हुआ. राजद में अलग लाइन पर चल रहे रघुवंश प्रसाद ने पार्टी के फैसले पर भी नाराजगी जतायी. उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन को लेकर एक ओर जहां तेजस्वी यादव खुश हैं, वहीं रघुवंश प्रसाद नाराज दिखे. उन्होंने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दरकिनार किये जाने पर नाराजगी दिखायी. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण दिये जाने पर कहा कि राजद सवर्णों को आरक्षण दिये जाने के विरोध में नहीं है. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा आठ लाख की सीमा तय किये जाने पर सवाल उठाये.

आरक्षण पर बोले रघुवंश, आठ लाख की सीमा ठीक नहीं

उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण को आरक्षण दिये जाने पर कहा कि राजद को कोई परेशानी नहीं है. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से बात हुई है. केंद्र सरकार द्वारा आरक्षण दिये जाने के तरीके को लेकर विरोध है. आठ लाख तक की टैक्स की सीमा ठीक नहीं है. टैक्स देनेवाला आर्थिक रूप से कमजोर कैसे हो सकता है. पिछड़ों, अति पिछड़ों, अनुसूचित जाति-जनजातियों के आरक्षण पर कहा कि उनकी भी जनसंख्या भी बढ़ी है. इसलिए उनके आरक्षण की सीमा बढ़ायी जानी चाहिए.

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन पर कहा- कांग्रेस को साथ लेकर चलना चाहिए

उत्तर प्रदेश में बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के गंठजोड़ और कांग्रेस को दरकिनार करने पर स्पष्ट तौर पर कहा है कि उत्तर प्रदेश में बिना कांग्रेस के अखिलेश और मायावती का हुआ गठबंधन गलत है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को साथ लेकर चलना चाहिए. कांग्रेस के बिना राष्ट्रीय विकल्प की संभावना संभव नहीं है.

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