पटना : केंद्रीय योजनाओं में कम आ रही है राशि, अब तक बजट की 40% राशि ही हुई खर्च
पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट एक लाख 76 हजार 990 करोड़ है. इसमें सभी योजनाओं पर खर्च करने या पूंजीगत व्यय के लिए 92 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. परंतु वित्तीय वर्ष समाप्त होने में करीब पांच महीने ही बचे हैं और अब तक 40 फीसदी से भी कम राशि […]
पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट एक लाख 76 हजार 990 करोड़ है. इसमें सभी योजनाओं पर खर्च करने या पूंजीगत व्यय के लिए 92 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. परंतु वित्तीय वर्ष समाप्त होने में करीब पांच महीने ही बचे हैं और अब तक 40 फीसदी से भी कम राशि ही खर्च हो पायी है. सभी योजनाओं में करीब 35 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. खर्च की रफ्तार बेहद धीमी बनी हुई है. इसकी मुख्य रूप से दो वजह है.
पहला, केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राशि का कम मिलना और दूसरा, राज्य के करीब एक दर्जन विभागों में अपनी-अपनी योजनाओं में खर्च की स्थिति को धीमी बनाये रखना. इस बार जो 92 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान योजना पर खर्च करने के लिए बजट में रखा गया है, उसमें 36 हजार करोड़ रुपये केंद्रीय योजनाओं के भी शामिल हैं. इन केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) में रुपये आने की रफ्तार धीमी होने से खर्च काफी प्रभावित हो रहा है.
राज्य को सीएसएस के तहत निर्धारित 36 हजार करोड़ में महज 11 हजार 200 करोड़ रुपये ही आये हैं. कई बड़ी योजनाओं में रुपये काफी कम आये हैं. इसके साथ ही राज्य के करीब एक दर्जन विभागों के खर्च की रफ्तार बेहद धीमी होने के मामले को वित्त विभाग ने बेहद गंभीरता से लेते हुए सभी विभागों की विशेष बैठक बुलायी थी.
इस दौरान जिन विभागों के खर्च की रफ्तार बेहद धीमी है या वे रुपये खर्च नहीं कर पा रहे हैं, तो उनसे आने वाले पांच महीने में अनुमानित खर्च का ब्योरा लिया गया. इसके बाद बचे हुए रुपये को ज्यादा खर्च करने वाले दूसरे विभागों को ट्रांसफर कर दिया जायेगा. इस बार के बजट में योजनाओं के लिए निर्धारित राशि को ज्यादा से ज्यादा खर्च करवाने पर वित्त विभाग खासतौर से फोकस करेगा. इसके लिए ही यह कवायद की जा रही है.
कुछ विभागों की रफ्तार धीमी, कुछ की ठीक
योजना मद में जिन विभागों के खर्च की रफ्तार काफी धीमी है, उसमें कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन, समाज कल्याण, एससी-एसटी कल्याण, खाद्य एवं आपूर्ति, पीएचईडी, पर्यटन, कला-संस्कृति एवं युवा, स्वास्थ्य समेत अन्य विभाग शामिल हैं. इसके अलावा कुछ विभाग ऐसे भी हैं, जिनके खर्च की स्थिति अच्छी बनी हुई है. उसमें पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य, जल संसाधन समेत अन्य विभाग शामिल हैं.
इन सीएसएस में आये इतने ही रुपये
योजना इतना है मिलना इतने आये
आईसीडीएस 2,158 844
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 150 89
मिशन फॉर 100 स्मार्ट सिटी 320 176
सर्व शिक्षा अभियान 6,600 2,082
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 1,300 851
राष्ट्रीय कृषि विकास 140 82
योजना इतना है मिलना इतने आये
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन 89 35
पीएम कृषि सिंचाई योजना 41 00
मध्याह्न भोजन 1,303 637
पीएम आवास योजना 5,015 2,384
स्वच्छ भारत मिशन 3,625 2,088
(सभी आकंड़े करोड़ रुपये में)
केंद्रीय टैक्स पूल से पैसे आने की रफ्तार अच्छी
एक तरफ सीएससीएस में रुपये के आने की रफ्तार बेहद धीमी बनी हुई है, तो दूसरी तरफ केंद्रीय टैक्स पूल से राज्य को मिलने वाले रुपये की रफ्तार अच्छी बनी हुई है. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 76 हजार 150 करोड़ रुपये आने का प्रावधान रखा गया है. ये रुपये 12 महीने के दौरान 14 किस्तों में आते हैं. इसके आने की रफ्तार सही और किस्त अपडेट मिल रहे हैं. अब तक सात किस्त राज्य को मिल चुके हैं.
