गंगा दशहरा आज: हिंदू ही नहीं मुसलमानों व सिखों की भी है गंगा में आस्था, गोता लगाते ही मिलेगी पापों से मुक्ति

पटना सिटी : गंगा में केवल हिंदू ही नहीं , बल्कि मुस्लिम व सिख भी आस्था रखते हैं. गंगा तट पर रहने वाले मुस्लिम आज गंगा की दुर्दशा से दुखी होकर कहते हैं, अब यह नसीब कहां कभी नमाज पढ़ने के लिए दरिया के तट पर आकर वजू बनाते थे. आलमगंज थाना क्षेत्र में स्थित […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 24, 2018 6:10 AM
पटना सिटी : गंगा में केवल हिंदू ही नहीं , बल्कि मुस्लिम व सिख भी आस्था रखते हैं. गंगा तट पर रहने वाले मुस्लिम आज गंगा की दुर्दशा से दुखी होकर कहते हैं, अब यह नसीब कहां कभी नमाज पढ़ने के लिए दरिया के तट पर आकर वजू बनाते थे.
आलमगंज थाना क्षेत्र में स्थित मस्जिद घाट पर पर कभी वजू कर नवाज पढ़ने वाले हाजी आफताब आलम, हाजी अब्दुल रसीद, हाजी सबी अख्तर व महताब आलम बताते हैं कि जंगी मस्जिद में डेढ़ दशक पहले तक मस्जिद को गंगा का पानी स्पर्श करता था. अब स्थिति यह है कि गंगा 25 से 30 फुट दूर हो गयी है.
यह पीड़ा अकेले मस्जिद घाट के लोगों की नहीं है, बल्कि आलमगंज में ही शीश महल घाट, लोहरवा घाट व छोटी बीएनआर घाट के साथ सुल्तानगंज में भी करीब तीन गंगा घाट हैं, जहां पर मुस्लिम आबादी गंगा में गोता लगाती है. इसी तरह खाजेकलां के दुली घाट व चौक के मदरसा गली घाट के तट पर रहने वाले लोग कभी गंगा के पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करते थे.
सिख गुरुओं की आस्था रही है : सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव जी महाराज, नौवें गुरु तेग बहादुर जी और दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज की अगाध आस्था गंगा में रही है.
धर्म प्रचार कमेटी के चेयरमैन महेंद्र पाल सिंह ढिल्लन व गुरुवाणी मर्मज्ञ प्रो लाल मोहर उपाध्याय ने बताया कि पटना साहिब में सर्वप्रथम गुरु नानक देव जी महाराज 1506 में गायघाट गंगा तट पर आये थे. इसके बाद नवम गुरु तेग बहादुर जी महाराज व माता गुजरी यहां आये. 1666 यहां आये नवम गुरु व उनकी पत्नी ने यहीं पर प्रवास किया था. कंगन घाट या गुरु गोबिंद सिंह घाट जहां गुरु महाराज ने बचपन में खेलकूद किया.
यहां आज भी कंगन घाट गुरुद्वारा है, जहां देश- विदेश से सिख संगत श्रद्धा निवेदित करने आती है. ऐसे में गंगा की दुर्दशा से हिंदू, मुस्लिम व सिख भी दुखी हैं.
गंगा दशहरा आज, गंगा स्नान से मिलेगी पापों से मुक्ति
पटना : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष दशमी तिथि दिन गुरुवार को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जायेगा इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है.पुराणों के मुताबिक ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष तिथि को मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. इसे गंगा दशहरा या गंगा अवतरण के नाम से भी जाना जाता है.
इस बार गुरुवार और पुरुषोत्तम मास का विशेष संयोग बन रहा है. यह योग मीन और धनु राशि वालों के विशेष शुभकारी है. मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से दस पापों से मुक्ति मिल जाती है. पंडित राकेश झा ने बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी संवत्सरमुखी मानी गयी है.
इसमें स्नान और दान का विशेष महत्व है. इन दिन पवित्र नदी पर जाकर अर्घ देना शुभ माना गया है. स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह चार बज कर 15 मिनट से लेकर 5 बज कर 25 मिनट तक है. वहीं, शाही स्नान का समय सुबह 5:35 से 6:42 है. जातक इस दिन ऊं नम: शिवाय: नारायण दशहराये गंगाये नम: के जप करें. ऐसा करने से भगवान की कृपा बरसती है. साथ ही पितरों की तृप्ति मिलती है.
इन चीजों का करें दान
आज दान में सत्तू , मटका , हाथ का पंखा , आम, लीची ,सुपारी, गुड़ आदि दान करने से दोगुना फल मिलता है. साथ ही दस दीपों का भी दान करना चाहिए. स्नान-दान करने से जाने-अनजाने में की गयी गलतियों यानि सात जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है अौर एक हजार वाजपेयी यज्ञ करने का फल मिलता है.

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