नीतीश के बयान ने दूर किया तेजस्वी का सबसे बड़ा डर, RJD में जारी थी खलबली, जानें पूरी बात

पटना : चारा घोटाला मामले में लालू यादव के जेल जाने के बाद से राष्ट्रीय जनता दल के नेता इस बात को लेकर काफी चिंतित थे, कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय से पहले विधानसभा चुनाव करवा सकते हैं. इस बात की संभावना को देखते हुए तेजस्वी यादव ने अचानक जदयू पर हमला तेज कर दिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2018 1:13 PM

पटना : चारा घोटाला मामले में लालू यादव के जेल जाने के बाद से राष्ट्रीय जनता दल के नेता इस बात को लेकर काफी चिंतित थे, कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय से पहले विधानसभा चुनाव करवा सकते हैं. इस बात की संभावना को देखते हुए तेजस्वी यादव ने अचानक जदयू पर हमला तेज कर दिया था. तेजस्वी यादव के बयानों से साफ लगा कि नीतीश कुमार इसी साल दिसंबर में विधानसभा चुनावों के साथ ही अगला लोक सभा चुनाव करा सकते हैं. तेजस्वी ने इसे सत्ता पक्ष के लोगों के बिहार दौरे से जोड़ कर भी देखा. पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव के ताजा बिहार दौरे का जिक्र करते हुए कहा था कि नीतीश कुमार और भाजपा हर हाल में लोकसभा के साथ ही बिहार विधानसभा का चुनाव भी 2018 के अंत करा लेना चाहते हैं. इसी की ये सब पूरी तैयारी चल रही है. अभी हाल में भूपेंद्र यादव बिहार आए थे और मोहन भागवत भी बिहार में घूम रहे हैं.

राजनीतिक जानकारों की मानें, लालू प्रसाद ने जेल जाने से पहले तेजस्वी को अपना वारिस घोषित जरूर कर दिया था लेकिनराजद में नेतृत्व को लेकर कुछ कन्फ्यूजन जरूर बना हुआ था. फिर राबड़ी देवी ने मोर्चा संभाला और सीनियर नेताओं को बुलाकर मीटिंग की थी – लालू की गैर मौजूदगी में पार्टी नेताओं को अपने तरीके से इस बात के लिए भी तैयार करने की कोशिश की कि उन्हें तेजस्वी का नेतृत्व स्वीकार करने में मुश्किल न हो. इस मोर्च पर तेजस्वी काफी हद तक कामयाब भी नजर आ रहे हैं. मगर, बात सिर्फ इतनी होती तब तो. तेजस्वी के सामने अचानक चुनाव की चिंता और दूसरी चुनौतियां भी सामने आ गयीं. उनमें जहानाबाद, कैमूर और अररिया का उपचुनाव भी शामिल है. राजद की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त कहते हैं कि तेजस्वी के सामने समस्या यह है कि उन्हें लालू प्रसाद के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़नी है और अपने खानदानी वोट बैंक को भी बचाना है, जिसमें सेंध लगाने की ताक में विरोधी बैठे हुए हैं. दलितों के लिए कुर्सी तोड़ देने जैसे तेजस्वी के बयान इसी रणनीति का हिस्सा हैं. तेजस्वी को सबसे बड़ा डर पहले चुनाव होने का था, तेजस्वी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं. ताजा मामला है. इतना ही नहीं लालू यादव जेल में हैं और दूसरे मामले में भी पांच साल की सजा हो गयी.

चारों ओर से एक साथ परेशानियां बढ़ गयी. लेकिन नीतीश कुमार के ताजा बयान के बाद तेजस्वी यादव का डर और परेशानियां, कुछ कम हुई हैं. लोकसभा चुनाव के साथ बिहार विधानसभा का चुनाव कराने की अटकलों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विराम लगा दिया है. रविवार को जदयू की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी नेताओं के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सवाल ही कहां से आ रहा है? बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कोई भ्रम में न रहें. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने हमें पूरे पांच साल के लिए चुना है, उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. चुनाव तय समय पर ही होगा. सैद्धांतिक तौर पर हम जरूर इस बात पर सहमत हैं कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हों तो बेहतर है, लेकिन इसके लिए पहले राष्ट्रीय स्तर पर राय बननी है और संवैधानिक व्यवस्था होनी है. कई तरह की प्रक्रियाओं के बाद ही ऐसा संभव होगा.

वहीं पत्रकारों को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव :संगठन: आरसीपी सिंह ने चुनाव खर्च को कम करने के लिए लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराए के लिए हमारी पार्टी सैद्धांतिक तौर पर सहमत है. उन्होंने कहा कि ऐसा पूरे देश में हो और यह नहीं कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ बिहार विधानसभा का चुनाव करा दिया जाये. सिंह ने कहा कि बिहार विधानसभा का चुनाव अपने निर्धारित समय 2020 में ही होगा और हमारी पार्टी दोनों चुनावों को ध्यान में रखकर अपनी तैयारी भी कर रही है. यह पूछे जाने पर अगर 2019 में लोकसभा के साथ बिहार विधानसभा का चुनाव अगर होता है तो क्या उसके लिए आपकी पार्टी तैयार है, सिंह ने कहा कि अभी गुजरात में चुनाव हुए और क्या वहां के विधानसभा का चुनाव लोकसभा के साथ कराया जाना संभव था. उन्होंने कहा कि उसी प्रकार से भविष्य में नगालैंड और त्रिपुरा में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है, तो क्या इन स्थानों का चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराया जाना संभव है. सिंह ने कहा कि हर प्रदेश की अपनी अलग अलग परिस्थितियां हैं उसके अनुसार लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव को तुरंत लागू नहीं किया जा सकता उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा का चुनाव 2020 में ही होगा, 2019 में नहीं हो सकता है.

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