बदल रहा ट्रेंड : आरएक्स-100, पल्सर पुरानी बात, बदमाशों की पसंद 220 सीसी की रेसर बाइक

पटना : 1990 से लेकर वर्ष 2000 तक यमाहा की आरएक्स-100 अपराधियों की पहली पसंद बन गयी थी. यह बाइक जल्दी पिकअप बनाती थी, इसलिए अपराधियों के लिए इससे पीछा करना या भागना दोनों आसान था. यह गियर में क्लच के इस्तेमाल से स्टार्ट हो जाती थी और गाड़ी अगर टॉप गियर में है, तभी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 19, 2018 7:33 AM
पटना : 1990 से लेकर वर्ष 2000 तक यमाहा की आरएक्स-100 अपराधियों की पहली पसंद बन गयी थी. यह बाइक जल्दी पिकअप बनाती थी, इसलिए अपराधियों के लिए इससे पीछा करना या भागना दोनों आसान था.
यह गियर में क्लच के इस्तेमाल से स्टार्ट हो जाती थी और गाड़ी अगर टॉप गियर में है, तभी बहुत जल्द फुल स्पीड पकड़ लेती थी. इस बाइक का बैलेंस भी काफी अच्छा था. इसलिए देश भर में क्रिमिनल के बीच इस बाइक का जबरदस्त क्रेज था.
बाद में यह बाइक पुलिस के नजर में आ गयी, वाहन चेकिंग में इस बाइक पर विशेष फोकस रहता था. इस बाइक के कंपनी द्वारा बंद कर दिये जाने के बाद भी अपराधी इसके कायल थे और पुरानी आरएक्स-100 को सेकेंड हैंड खरीद कर इस्तेमाल करते थे.
बाद में पल्सर 150 सीसी से लेकर 220 सीसी तक की बाइक मार्केट में आने से क्रिमिनल इनका इस्तेमाल करने लगे. यह बाइक भी बहुत जल्द स्पीड पकड़ लेती है. इसलिए यह भी अपराधियों की पसंद है. पल्सर अभी बंद नहीं हुई है लेकिन अन्यकंपनी की महंगी बाइकों ने इसके क्रेज को कम कर दिया है. अब नये अपराधी 220 सीसी की बाइक का इस्तेमाल करते हैं, जो रेसर बाइक हैं.
बदल रहा ट्रेंड
यामाहा की अर्वन-5, केटीएम, आरजेड-5, फेजर-155, एक्सट्रीम स्पोर्ट, ड्यूक जैसी 220 सीसी की बाइक के लुक और हैवी पावर का गलत इस्तेमाल करने वाले स्कूली छात्र पटना में बाइकर्स गैंग के सदस्य हो गये. एक साथ पांच छह गाड़ियों के साथ सड़क पर निकलते हैं और फुल स्पीड, तेज हॉर्न, लहरिया कट, फुल स्लेटर लेकर बाइक को चलाना और दहशत भरी पहचान बनाना इनका शगल है. यदि बाइक से किसी घटना को अंजाम देते हैं, तो पुलिस का पहला शक बाइकर्स गैंग पर ही जाता है.
बुलेट थी थानेदार की पहचान, अब मोबाइल दस्ता के पास अपाची बाइक : एक वक्त था जब बुलेट की आवाज सुन कर अंधेरे में भी लोग यह मान लेते थे कि थानेदर आ रहे हैं. 1990 के दशक में पुलिसवालों की यह पहली पसंद बन गयी. पुलिस विभाग ने अपाची गाड़ी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. मोबाइल दस्ता 150-160 सीसी की बाइक खरीद करता है.
अपराधियों की महंगी बाइक के सामने पर्याप्त नहीं है पुलिस की अपाची
वर्तमान समय में अगर देखा जाये, ताे जिस तरह की बाइक अपराधी इस्तेमाल कर रहे हैं, उसके मुकाबले पुलिस की अपाची पर्याप्त नहीं है. अपराधी की बाइक 220 सीसी है, इसके सामने 160 सीसी की अपाची रेस में पीछे छूट जा रही है. अपराधी गैंग में होते हैं और घटना को अंजाम देने के बाद कुछ दूर तक एक साथ भागते हैं और फिर अलग-अलग इलाकों में भाग जाते हैं.

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