रिजवी के मदरसों में आतंकी पैदा होने की बात से अलग जदयू प्रवक्ता ने कही बड़ी बात, जानें क्या कहा…

पटना / लखनऊ : शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर मदरसों में आतंकी पैदा किये जाने को लेकर इस संस्था को खत्म करने और मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा से जोड़ने की पैरवी किये जाने पर जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बड़ी बात कही है. उन्होंने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 10, 2018 2:01 PM

पटना / लखनऊ : शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर मदरसों में आतंकी पैदा किये जाने को लेकर इस संस्था को खत्म करने और मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा से जोड़ने की पैरवी किये जाने पर जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा है कि मदरसा एक शैक्षणिक संस्था है, जहां छात्रों को तालीम दी जाती है. एक-दो मदरसों में उजागर हुए मामलों को लेकर सारे मदरसों पर निर्णय लिया जाना दुखद है.

उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि संविधान के मुताबिक सभी धर्मों और भाषा के लोगों को अपनी-अपनी भाषा में शिक्षण-प्रशिक्षण लेने का अधिकार प्राप्त है. बिहार के मदरसों में उर्दू-अरबी के साथ कंप्यूटर से लेकर विज्ञान तक की पढ़ाई होती है. मेरा सवाल है कि क्या इंजीनियरिंग कॉलेज के एक-दो छात्र ऐसी घटनाओं में शामिल हों, तो क्या सारे इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद कर दिया जाना चाहिए. मदरसा समेत सभी प्रकार के स्कूलों को आधुनिक किया जाना चाहिए. ऐसे स्कूलों में कंप्यूटर, विज्ञान से लेकर हर आधुनिक शिक्षा की पढ़ाई की व्यवस्था की जानी चाहिए. मदरसों में आतंकी पैदा किये जाते हैं, इस बात से हम पूर्णत: असहमत हैं.

सिनेमा घरों में राष्ट्रगान की अनिवार्यता खत्म किये जाने को सही ठहराया

राष्ट्रगान पर उन्होंने कहा कि देश में सवा सौ करोड़ जनता है. इनका राष्ट्रगान और राष्ट्र ध्वज के प्रति सम्मान है. राष्ट्रगान राजनीतिक एजेंडा नहीं, यह अंत:करण से उठने वाली आवाज है. सिनेमा मनोरंजन का माध्यम है. फिल्म देखने जिस मनोदशा में लोग जाते हैं, उस मनोदशा में राष्ट्रगान की प्रतिज्ञा का अनुपालन कराना मुश्किल है. लोगों को राष्ट्रगान के प्रति सम्मान में स्वयं खड़ा हो जाना चाहिए. अगर वे खड़ा नहीं हो पाते हैं, तो ऐसे में केंद्र सरकार का निर्णय मनोरंजन के माहौल में दर्शकों की मनोदशा को देखते हुए ही किया गया है.

PM मोदी को शिया वक्फ बोर्ड ने पत्र लिख कर कहा था- आतंकवाद से जुड़ने को प्रेरित करते हैं मदरसा, बंद कर दें…

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि देश में मदरसों को बंद कर दिया जाये. निकाय ने आरोप लगाया है कि ऐसे इस्लामी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा छात्रों को आतंकवाद से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है. प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में शिया बोर्ड ने मांग की है कि मदरसों के स्थान पर ऐसे स्कूल हों, जो सीबीएसई या आईसीएसई से संबद्ध हों और ऐसे स्कूल छात्रों के लिए इस्लामिक शिक्षा के वैकल्पिक विषय की पेशकश करेंगे.

बोर्ड ने सुझाव दिया है कि सभी मदरसा बोर्डों को भंग कर दिया जाना चाहिए. शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने दावा किया कि देश के अधिकतर मदरसे मान्यता प्राप्त नहीं हैं और ऐसे संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करनेवाले मुस्लिम छात्र बेरोजगारी की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि ऐसे मदरसे लगभग हर शहर, कस्बे, गांव में खुल रहे हैं और ऐसे संस्थान गुमराह करनेवाली धार्मिक शिक्षा दे रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मदरसों के संचालन के लिए पैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी आते हैं तथा कुछ आतंकवादी संगठन भी उनकी मदद कर रहे हैं.

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में मदरसों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और रिजवी उन पर सवाल उठाकर उनकी तौहीन कर रहे हैं. हालांकि, रिजवी ने एक ट्वीट में कहा कि ऐसे स्कूलों को सीबीएसई या आईसीएसई से संबद्ध किया जाना चाहिए और उनमें गैर-मुस्लिम छात्रों के लिए भी अनुमति होनी चाहिए.

उन्होंने ट्वीट में कहा, ऐसे स्कूल सीबीएसई, आईसीएसई से संबद्ध होने चाहिए और गैर-मुस्लिम छात्रों को भी अनुमति होनी चाहिए. मजहबी शिक्षा को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए. मैंने इस संबंध में प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा, इससे हमारा देश और मजबूत होगा. पत्र में मदरसों को बंद करने की मांग को उचित ठहराने के लिए दो प्राथमिक कारण बताए गये हैं. इसमें आरोप लगाया गया है कि मदरसों में दी जा रही शिक्षा आज के माहौल के हिसाब से प्रासंगिक नहीं है और इसलिए वे देश में बेरोजगार युवाओं की संख्या को बढ़ाते हैं.

रिजवी ने कहा कि मदरसों से पास होनेवाले छात्रों को रोजगार मिलने की संभावना अभी काफी कम है और उन्हें अच्छी नौकरियां नहीं मिलतीं. अधिक से अधिक, उन्हें उर्दू अनुवादकों या टाइपिस्टों की नौकरियां प्राप्त होती हैं. पत्र में यह भी कहा गया है कि कई मामलों में पाया गया है कि ऐसे संस्थानों की शिक्षा छात्रों को आतंकवाद से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

रिजवी की टिप्पणी पर एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने उन्हें जोकर की संज्ञा देते हुए कहा कि रिजवी बहुत ही अवसरवादी आदमी हैं. ओवैसी ने कहा कि उन्होंने (रिजवी ने) अंतरात्मा आरएसएस को बेच दी है. रिजवी एक भी ऐसे मदरसा के बारे में बता दें, जहां इस तरह की पढ़ाई होती है और अगर ऐसा है, तो गृह मंत्रालय के पास उस सबूत को दिखाएं.

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