ओबरा सीओ व खुदवां के थानाप्रभारी होंगे गिरफ्तार, हाइकोर्ट ने औरंगाबाद डीएम को दिये एफआइआर करने के आदेश

पटना हाइकोर्ट ने औरंगाबाद के डीएम को निर्देश दिया है कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामले में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के अंचलाधिकारी अमित कुमार और खुदवां के थानाध्यक्ष संतोष ठाकुर के विरुद्ध तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार किया जाये.

By Prabhat Khabar Print Desk | September 30, 2022 8:27 AM

पटना. पटना हाइकोर्ट ने औरंगाबाद के डीएम को निर्देश दिया है कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामले में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के अंचलाधिकारी अमित कुमार और खुदवां के थानाध्यक्ष संतोष ठाकुर के विरुद्ध तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार किया जाये. इस मामले में औरंगाबाद के डीएम सौरव जोरवाल और एसपी कांतेश कुमार मिश्र गुरुवार को हाइकोर्ट में पेश हुए. कोर्ट ने उनसे कई सवाल-जवाब किये.

औरंगाबाद डीएम के कार्य कलापों पर कोर्ट सख्त

न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने औरंगाबाद के डीएम को कहा कि अदालती आदेशानुसार इन दोनों पदाधिकारियों पर कार्रवाई कर 10 अक्तूबर को स्वयं उपस्थित रहकर इसकी जानकारी कोर्ट को दें. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने कोर्ट को बताया कि अतिक्रमण संबंधी मामले पर पिछली सुनवाई में कोर्ट ने औरंगाबाद डीएम के कार्य कलापों पर सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें तलब किया था. कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि अधिकारी सही जवाब नहीं देंगे, तो उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है.

अगली सुनवाई 10 अक्तूबर को होगी

सुनवाई के समय औरंगाबाद के एसपी भी कोर्ट में उपस्थित थे. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने कोर्ट को बताया कि खुदवा थानाध्यक्ष एक महिला को सहयोग दे कर जिनकी भूमि पर अतिक्रमण था, उनके पूरे परिवार के विरुद्ध एससी, एसटी एक्ट के तहत औरंगाबाद सिविल कोर्ट में एक मामला दर्ज करवा दिया है. जिनकी भूमि है, उन्हें तरह तरह से धमकाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि संबंधित सीओ की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध प्रतीत हो रहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई 10 अक्तूबर को होगी.

अतिक्रमण नहीं हटाने से जुड़ा है मामला

ओबरा प्रखंड के खुदवां थाना क्षेत्र के सावाडिहरी गांव में अतिक्रमण हटाये जाने का मामला हाइकोर्ट पहुंचा था. कोर्ट में एक याचिका द्वारा दायर की गयी थी, जिसमें आम गैरमजरूआ जमीन पर अतिक्रमण करने का मामला चल रहा था. कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था. इसी मामले में औरंगाबाद के डीएम ने हलफनामा दायर कर कहा था कि 18 अगस्त को अतिक्रमण हटा लिया गया है. याचिकाकर्ता ने इसे चुनौती दी. इस पर हाइकोर्ट ने एक अधिवक्ता को आयुक्त बनाकर जांच करायी. कोेर्ट ने झूठा हलफनामा दायर किये जाने पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए 29 सितंबर को औरंगाबाद के डीएम व एसपी को तलब किया था.

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