राष्ट्रीय बालिका दिवस: पिता के निधन के बाद बिहार की बेटी ने लिया प्रण, एवरेस्ट की ऊंचाई पर पहुंची अनीशा दुबे

राष्ट्रीय बालिका दिवस: बिहार के जमुई की बेटी अनीशा दुबे के पिता का निधन तब हुआ जब वो बेहद छोटी थीं. अनीशा को उसके सपनों को पूरा करने में समाज का साथ नहीं मिला तो वो अपने ही प्रण से आगे बढ़ी और एवरेस्ट की ऊंचाई तक पहुंची.

By Prabhat Khabar Print Desk | January 24, 2023 4:02 PM

National girl child day: देश भर में आज राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जा रहा है. इस दौरान हम उन बेटियों की कहानियां सेलिब्रेट कर रहे हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत हारने की बजाय उनसे लड़कर एक बेहतर मुकाम हासिल कर अपने सपनों को संवारने में लगी हैं. उनमें से ही एक कहानी है जमुई के बिहारी मोहल्ला निवासी अनीशा दुबे की जिसने आर्थिक विपन्नता और सामाजिक अवरोध का सामना करने के बावजूद भी अपने जज्बे को जिंदा रखा और महज 22 साल की उम्र में उसने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की 18 हजार फुट की चढ़ाई पूरी कर वहां बिहार का झंडा फहरा दिया.

महज तीन दिन में ही माउंट पताल शु की चौदह हजार फुट की चढ़ाई

इतना ही नहीं अपने शुरुआती दौर में ही अनीशा ने हिमाचल प्रदेश के माउंट पताल शु की चौदह हजार फुट की चढ़ाई महज तीन दिन में ही पूरी कर ली थी. जमुई शहर के बिहारी मोहल्ले की रहने वाली सिंगल मदर की बेटी अनीशा दुबे का सफर बड़ा साहसिक रहा है. एवरेस्ट की चढ़ाई करने से पहले उसे कई कठिन चढ़ाई को पार करना पड़ा. जिसमें सामाजिक अवरोध और आर्थिक विपन्नता शामिल हैं. पर कभी हार ना मानने वाली अनीशा ने इन सब पर विजय हासिल कर सबको गौरवान्वित किया है.

अलग कर गुजरने की ठानी तो समाज ने दिया था ताना

अनीशा बताती हैं कि बचपन से ही मुझे कुछ अलग करने की हरसत थी. आम जीवन में नौकरी या कई ऐसे काम जो सामान्यतः लोग करते हैं. ऐसे में मैंने सोचा कि बिहार से काफी कम ऐसी लड़कियां हैं जो दुनिया भर के विभिन्न ऊंची चोटी को फतह कर सकी है. इसलिए मैंने बिल्कुल अलग रास्ता चुना और इसपर निकल पड़ी. शुरुआत से ही मुझे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, सामाजिक अवरोध के साथ साथ मुझे घरेलू यातनाओं का भी शिकार होना पड़ा.

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पिता के निधन के बाद ये ठाना..

अनीशा दुबे ने कहा कि मेरे पिता का निधन मेरे बचपन में ही हो गया था, किंतु इसके बावजूद मेरी मां ने हार नहीं मानी और मुझे आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया. हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि मुझे इसकी प्रॉपर ट्रेनिंग मिलती. इसलिए मैंने ठान लिया कि मैं बिना ट्रेनिंग के ही ट्रेकिंग करूंगी. इसमें काफी खतरा था लेकिन मैं यह करना चाहती थी. जिसके बाद मैं निकल पड़ी और मैंने सबसे पहले माउंट पताल शू की चढ़ाई की. इसके बाद मैंने माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप की चढ़ाई की.

अगले महीने अफ्रीका के माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई करेगी अनीशा

अनीशा दुबे ने बताया कि मेरी अगली योजना अगले महीने में अफ्रीका के माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई की है. इसके लिए मैं तैयारियों में लगी हुई हूं. गौरतलब है कि माउंट किलिमंजारो की ऊंचाई 19 हजार फीट है और वह दुनिया की चौथी ऊंची चोटी है. अनीशा ने कहा कि मेरी योजना विश्व भर के सभी ऊंची चोटियों को फतह करने की है साथ ही माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने की भी है.

लड़कियों के लिए प्रेरणास्त्रोत

अनीशा ने यह भी कहा कि हम जब भी कुछ अलग करने की कोशिश करेंगे समाज सौ तरह की बातें करेगा, मैंने उन सबको सुनना ही बंद कर दिया और बस वही करती गई जो मेरा मन मुझे करने की इजाजत देता था. अनीशा की कहानी उन सब लड़कियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो यह कहती हैं कि वो बस इसलिए सफल नहीं हो सकी क्योंकि समाज में लोग उसके खिलाफ हो गए.

(जमुई से गुलशन कश्यप की रिपोर्ट)

Posted By: Thakur Shaktilochan

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