आज भी सैलानियों को आकर्षित करती हैं सिमुलतला की वादियां

सिमुलतला : दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग के किनारे व समुद्री तट से 242.722 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्रकृति की अनमोल धरोहर से भरपूर एवं बिहार की मिनी शिमला के नाम से एक पर्यटक स्थल के रूप में मशहूर सिमुलतला की एक अलग पहचान है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरे एवं स्वच्छ जलवायु से फलीभूत यहां […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 23, 2019 7:24 AM

सिमुलतला : दिल्ली-हावड़ा मुख्य रेल मार्ग के किनारे व समुद्री तट से 242.722 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्रकृति की अनमोल धरोहर से भरपूर एवं बिहार की मिनी शिमला के नाम से एक पर्यटक स्थल के रूप में मशहूर सिमुलतला की एक अलग पहचान है.

ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरे एवं स्वच्छ जलवायु से फलीभूत यहां की हसीन वादियां यहां आए सैलानियों को मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी है. इन्हीं खूबियों के कायल प्रदेशी सैलानियों ने वर्षों पूर्व सैकड़ों आलीशान बंगलों के रूप में यहां पर अपना रैन बसेरा बनवाया.
सिमुलतला की पर्यटक इतिहास में इस खूबसूरत छटा की खूबसूरती में उस समय एक नया मोड़ आया जब 1857 ई. में स्वामी विवेकानंद अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए सिमुलतला आए थे. उन्होंने ही इस भूमि को तपो भूमि कहा था. फिर क्या था ठंढ के मौसम में प्रत्येक वर्ष यहां सैलानियों की भीड़ उमड़ने लगी.
लेकिन बदलते शासन व्यवस्था की लापरवाही का आलम यह रहा कि यह अनमोल धरोहर कौड़ियों के भाव बिकने लगा. यहां के हरे पेड़ पौधों पर लकड़ी माफियाओं की नजर, आलीशन बंगलों पर भू-माफियाओं की नजर गड़ गई. जो वर्तमान में भी जारी है आज यह मिनी शिमला अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष कर रहा है.
हालांकि इन सारी खामियों के अलावें यहां का गौरवशाली अतीत की कुछ खास जगहें आज भी सैलानियों को हर बार आकर्षित करती है. जैसे में लट्टू पहाड़, नॉलड़ेंगा हाउस, हल्दी झरना, कटोरवा ब्रीज, लीलावरण झरना, सिकठिया आश्रम आज भी अपनी चंदन रूपी खुशबू को बनाए रखा है, जहां वर्तमान में भी सैलानियों की चहल-पहल देखने को मिलती है.

Next Article

Exit mobile version