नालंदा के डीएम पर 10 हजार रुपये का जुर्माना

जिले में पइन को भर कर सड़क बनाने का मामला बिहारशरीफ : नालंदा के जिलाधिकारी पर पटना हाईकोर्ट ने 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने जिलाधिकारी को कहा कि हर कीमत पर पइन के औचित्य को बरकरार रखा जाये. अगर उसे भरकर सड़क का निर्माण कर दिया गया है तो उसे खाली […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 16, 2017 3:40 AM

जिले में पइन को भर कर सड़क बनाने का मामला

बिहारशरीफ : नालंदा के जिलाधिकारी पर पटना हाईकोर्ट ने 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने जिलाधिकारी को कहा कि हर कीमत पर पइन के औचित्य को बरकरार रखा जाये. अगर उसे भरकर सड़क का निर्माण कर दिया गया है तो उसे खाली किया जाये. न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने शुक्रवार को अवध किशोर प्रसाद एवं अन्य की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की.
खंडपीठ ने कहा कि विकास के नाम पर सदियों से किसानों को पानी देने की परंपरा रही है.
इसे किसी भी कीमत पर बंद नहीं किया जा सकता. इससे सीधे तौर पर किसान प्रभावित होंगे. सड़क का निर्माण ही किया जाना था तो पइन को छोड़कर निर्माण कराया जाता. कोर्ट ने कहा कि सरकार को नया और अतिरिक्त जल स्रोत बनाना चाहिये. ऐसा न कर सरकार पइन को भरकार सड़क बना दिया. यह ठीक नहीं है.
अदालत इस तरह की अनुमति कभी भी नहीं देगी. राज्य सरकार की ओर से अदालत में जमीन से संबंधित नक्शा प्रस्तुत कर अदालत को संतुष्ट करने का भी प्रयास किया गया. तर्क दिया गया कि सड़क का निर्माण पइन पर नहीं किया गया है. जबकि अदालत के आदेश पर एक अधिवक्ता आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. इसमें स्पष्ट है कि पइन पर सड़क का निर्माण किया जा रहा है. अदालत ने माना कि जिलाधिकारी ने गलत शपथ पत्र दायकर कर कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया है.
इसके लिये इनके साथ-साथ संबंधित इंजीनियर भी दोषी हैं. ऐसी स्थिति में जिलाधिकारी पर अदालत ने 10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाते हुए कहा कि वह जुर्माने की राशि को एक सप्ताह के अंदर संबंधित अधिवक्ता को सौंपेगे. अगर जिलाधिकारी चाहें तो इस राशि की वसूली दोषी इंजीनियरों से कर सकते हैं. अदालत ने आदेश दिया कि वह हर हाल में नौ फरवरी 2018 तक शपथ पत्र दायर कर अदालती आदेश का अनुपालन किये जाने की जानकारी दें.

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